वाराणसी (ब्यूरो)जीएसटी यानी गुड्स सर्विस टैक्स ने छोटे कारोबारी हो या फिर बड़े, सभी के कारोबार का बुरा हाल कर दिया हैएक महीने में दस-दस हजार कारोबारियों को नोटिस इश्यू किया जा रहा हैहालात यह हैं कि इन नोटिसों में ऐसे रीजन दिए गए हैं, जिनका कोई औचित्य नहीं हैकोई खामियां न होने के बाद भी नोटिसें जनरेट कर दी गई हैंइन नोटिस को लेकर जो कारोबारी विभाग पहुंच रहे, उनका निस्तारण हो रहा है और जो ऑनलाइन कर रहे हैं, वह परेशान हैं.

एक दर्जन संगठनों ने की बैठक

जीएसटी की खामियों को लेकर अब तक शहर के एक दर्जन व्यापारिक संगठनों ने जीएसटी कमिश्नर प्रिंस कुमार के साथ बैठक कीहर बार कहा जाता है कि नोटिसें इश्यू नहीं की जाएगी, लेकिन बैठक के बाद फिर वही पुराने ढर्रे पर विभाग काम करना शुरू कर देता हैफिर ताबड़तोड़ नोटिसें जारी करना शुरू हो जाता है.

ऑनलाइन से परेशानी

गवर्नमेंट ऑनलाइन को बढ़ावा दे रही है लेकिन जीएसटी विभाग के अधिकारी ऑनलाइन को दरकिनार कर ऑफलाइन को ही बढ़ावा दे रहे हैंविभाग के एडिशनल कमिश्नर से लेकर जोन के अधिकारी तक ऑनलाइन प्रॉब्लम को सॉल्व करने में काफी पीछे हैंअगर कोई कारोबारी या फिर अधिवक्ता ने अपने केस के निस्तारण के लिए ऑनलाइन अप्लाई कर दिया है तो उसका केस निस्तारण कब होगा, किसी को पता नहीं.

नोटिस किया जाता है जारी

जीएसटी के खिलाफ शहरभर के व्यापारी भी आक्रोश में हैंउनका कहना है कि विभाग बुलाने के लिए ही नोटिसें जारी की जाती हंैजो कारोबारी विभाग जाकर अधिकारियों की शर्तें पूरा कर देता है उसका काम हो जाता है और जो ऑनलाइन दाखिल करते हैं वह रोते हंैआज तक विभाग ऑनलाइन केसेज निस्तारण के आंकड़े देने में असहज है.

व्यापारी काफी आक्रोशित

शहरभर के व्यापारी जीएसटी की कार्यप्रणालियों को लेकर काफी आक्रोशित हंैव्यापारी नेता घनश्याम जायसवाल का कहना है कि जीएसटी से अधिक विभाग के अधिकारियों ने नाक में दम कर रखा हैएक ही चीज को लेकर चार से पांच बार नोटिसें जारी की जा रही हैं, जबकि सरकार का ऐसा सिस्टम नहीं हैव्यापारियों को राहत देना सरकार की प्राथमिकता है.

दस रुपए के लिए नोटिस

आईआईए के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष आरके चौधरी का कहना है कि दस रुपए के लिए नोटिसें भेजी जा रही हैंविभाग की मंशा से साफ पता चल रहा है कि वह कारोबारियों का उत्पीडऩ करना चाह रही हैकेसेज की पेंडेंसी की संख्या दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही हैइसके खिलाफ विभाग के अधिकारी कुछ भी नहीं कर रहे हैैं

विभाग की नोटिस से हर व्यापारी परेशान हैविभाग के कमिश्नर के कई बार पत्रक देने के बाद भी कोई सुनवाई नहीं हुई.

आरके चौधरी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, आईआईए

विभाग ने व्यापारियों को राहत देना बंद कर दिया हैबस बेवजह नोटिस भेजकर प्रताडि़त करना शुरू कर दिया है.

प्रतीक गुप्ता, अध्यक्ष, विशेश्वरगंज भैरोनाथ व्यापार मंडल

गारमेंट्स हो या फिर कोई बाना के कारोबारी, विभाग की कार्यप्रणाली से संतुष्ट नहीं हैइनके खिलाफ कोई बोलने वाला भी नहीं है.

अशोक जायसवाल, महामंत्री, महानगर उद्योग व्यापार मंडल

इससे तो अच्छा पहले थाविभाग ऑनलाइन सिस्टम को ही कोलेप्स करने पर अमादा है.

श्रीनारायण खेमका, संरक्षक, महानगर उद्योग व्यापार समिति

किसी भी व्यापारी का उत्पीडऩ नहीं किया जा रहा हैविभाग में आने पर उनकी समस्याओं का निस्तारण किया जा रहा है.

प्रिंस कुमार, एडिशनल कमिश्नर, ग्रेड-1 वाणिज्यकर विभाग