वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस स्टेशन (मंडुआडीह) से बनकर नई दिल्ली जाने वाली काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस का रैक आधुनिक एलएचबी कोच में परिवर्तित कर दिया गया है। यह ट्रेन सोमवार को नए रैक के साथ नई दिल्ली के लिए प्रस्थान की। पुराने आईसीएफ कोच को अलविदा कह दिया गया। खास बात यह है कि आधुनिक एलएचबी (ङ्क्षलक-होफमैन-बुश) में परिवर्तित होने से काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस के सीटों की संख्या में भी इजाफा हो गया है। अब इस ट्रेन के पैसेंजर्स को अधिक स्पीड के साथ आरामदायक सफर का आनंद भी मिलेगा। उन्हें सफर के दौरान झटके महसूस नहीं होंगे.
बढ़ गई सीटों की संख्या
पुराने आईसीएफ कोच की स्लीपर श्रेणी में सीटों की संख्या 72 होती है, वहीं तृतीय श्रेणी में 64 सीट होते हैं। इनसे अलग एलएचबी रैक के स्लीपर श्रेणी में 80 सीट होते हैं। वहीं तृतीय श्रेणी वातानुकूलित बोगी में 72 बर्थ होते हैं। इसका सीधा लाभ यात्रियों को मिलेगा.
बढ़ जाएगी स्पीड
आईसीएफ कोच में बिजली बनाने के लिए डायनेमो लगा होता है, जो ट्रेन की स्पीड को कम कर देता है। साथ ही इस कोच को 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक दौड़ाया जा सकता है लेकिन इसकी अधिकतम गति सीमा 120 किलोमीटर प्रति घंटा ही रखी गई है। एलएचबी बोगी में डायनेमो नहीं लगाया गया। इसलिए इसकी रफ्तार आईसीएफ कोच के मुकाबले ज्यादा होती है। इस ट्रेन के कोच को 200 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार तक दौड़ाया जा सकता है लेकिन इसकी अधिकतम गति की सीमा अभी 160 किलोमीटर प्रति घंटा रखी गई है.
रखरखाव में कम खर्च
आईसीएफ कोच के रखरखाव में ज्यादा खर्चा होता है। वहीं, एलएचबी के रखरखाव में खर्च कम होता है। आईसीएफ कोच को 18 महीने में सर्विस की जरूरत होती है जबकि एलएचबी कोच की सर्विस 24 महीने पर होती है.
दुघर्टना में सुरक्षित
दुर्घटना के दौरान आईसीएफ कोच के डिब्बे एक दूसरे के ऊपर चढ़ जाते हैं क्योंकि इसमें डुअल बफर सिस्टम होता है। वहीं, एलएचबी कोच दुर्घटना के दौरान एक दूसरे पर नहीं चढ़ते क्योंकि इसमें सेंटर बफर काङ्क्षलग सिस्टम लगा होता है। इससे जान माल की कम हानि होती है.
यात्रियों की सुविधा के मद्देनजर काशी विश्वनाथ एक्सप्रेस का रैक एलएचबी में बदला गया है। यह ट्रेन सोमवार को नए कलेवर में नई दिल्ली भेजी गई है.
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अशोक कुमार, जनसंपर्क अधिकारी, एनई रेलवे, वाराणसी