वाराणसी (ब्यूरो)कोरोना जैसी महामारी और हाईटेक होते जमाने के साथ ज्यादातर घरों में बच्चे बाहरी खेलकूद की जगह घंटों ऑनलाइन गेम खेलते हैं, अगर आपका बच्चा भी लैपटॉप या मोबाइल पर ऑनलाइन गेम खेलता है तो यह खबर जरूर पढ़ लेंइसकी वजह मासूमों को ऑनलाइन गेम में टूल और बैटल गन के नाम पर ठगा जा रहा हैपिछले 15 दिन में इस तरह की आठ से ज्यादा शिकायतें साइबर सेल में आ चुकी हैं.

केस-1

मढ़ौली सेंट जॉन कालोनी का रहने वाला 37 वर्षीय युवक प्राइवेट नौकरी करता हैगुरुवार सुबह वह नौकरी पर जाने की तैयारी कर रहे थेइस बीच उनके मोबाइल पर बच्चा गेम रहा थाइसी बीच एक लिंक आया, जिसे बच्चे ने क्लिक कर दियाइसके बाद दो घंटे के अंदर उनके खाते से तीन बार में 80 हजार रुपये गायब हो गयाइस संबंध में युवक ने साइबर सेल में शिकायत की.

केस-2

सामने घाट स्थित हरिओम नगर कालोनी में रहने वाले व्यक्ति जब भी ड्यूटी से घर आते हैं तो मोबाइल तुरंत उनका बच्चा ले लेता हैकरीब एक सप्ताह पहले उनका बच्चा मोबाइल पर गेम खेल रहा थाइसी बीच एक लिंक आया, जिस पर बच्चे ने क्लिक कर दियाइसके बाद उनके खाते से आठ हजार रुपये गायब हो गयामैसेज आया तो पढ़ते ही उनके होश उड़ गएहालांकि उन्होंने तत्काल साइबर सेल में शिकायत की.

ये दो केस सिर्फ उदाहरण के तौर पर हैं, लेकिन यह सच है कि अब साइबर ठगों के निशाने पर बच्चे आ रहे हैं.

ऐसे शिकार बनाये जाते हैं बच्चे

आप का बच्चा भी ऑनलाइन गेम खेलता है तो उस पर जरूर ध्यान दें, कहीं ऐसा न हो कि आप को भी खाता साफ होने पर पता लगेबच्चों में पब्जी, फ्री फायर व अन्य ऑनलाइन गेम लोकप्रिय हैंसाइबर ठग सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर फेक पेज बनाकर उस पर पब्जी, फ्री फायर व अन्य ऑनलाइन लोकप्रिय गेम, गेम के टूल व बैटल गन बेचने का विज्ञापन डालते हैं जो बच्चों को आकर्षित करते हैंइन विज्ञापनों को देखकर मासूम बच्चे उनके जाल में फस जाते हैं और ठगी आसान हो जाती हैबच्चे पेज पर विज्ञापन देखकर उससे संपर्क करते है.

ऑनलाइन ठगी से कैसे बचें

अपराधी पहले खाते में रकम मांगते हैं और बाद में बच्चों से उनके पैरेंट्स के क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड का नंबर और फिर मोबाइल पर आए ओटीपी को पूछकर ऑनलाइन ठगी कर लेते हैंऐसे ऑनलाइन ठगी से बचने के लिए अपने क्रेडिट कार्ड व डेबिट कार्ड का नंबर किसी भी आनलाइन गेम में सेव न करेंपेमेंट करने से पहले निर्धारित मोबाइल नंबर पर ओटीपी आता है, जिसे शेयर नहीं करना चाहिए.

बनारस ही नहीं, बल्कि कई बड़े शहरों में साइबरफ्रॉड की घटनाएं हो रही हैंठगी के लिए बच्चों को वह शिकार बना रहे हैंहालांकि पुलिस साइबर क्राइम पर अंकुश लगाने में जुटी हैठगी में इस्तेमाल होने वाली एप चिह्नित कर बंद भी कराया गया हैसमय पर जानकारी मिलती है और पैसा भी वापस हो जाता है.

अंजनी कुमार पांडेय, साइबर सेल प्रभारी