ओएलएक्स पर सात करोड़ में कार्यालय को बेचने का ऐड देने वाले मुख्य आरोपित को नहीं मिली बेल

- मामला संज्ञान में आने के बाद भेलूपुर थाने में दर्ज हुआ था मुकदमा

ओएलएक्स पर पीएम के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय को बेचने का विज्ञापन देने के मामले के मुख्य आरोपित की जमानत शनिवार को निरस्त हो गई। कोर्ट ने आदेश में कहा कि उक्त संपत्ति का ओएलएक्स पर विक्रय के लिए विज्ञापन देने की कार्यवाही उसने स्वयं की थी, जबकि न तो वह भवन स्वामी है और न ही उसे प्राधिकृत किया गया है। ऐसे में उसे जमानत पर रिहा करने के पर्याप्त आधार नहीं हैं। आरोपित कई उच्च शिक्षण संस्थानों में बतौर रीडर नियुक्त रहा है। उसकी जमानत का विरोध अभियोजन पक्ष की ओर से एडीजीसी आलोक चंद्र शुक्ला व विनय कुमार सिंह ने किया।

अभियोजन पक्ष के अनुसार एसआई प्रकाश सिंह ने 18 दिसंबर 2020 को भेलूपुर थाने में सरायनंदन, खोजवां निवासी लक्ष्मीकांत ओझा के खिलाफ नामजद रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि 17 दिसंबर को विभिन्न समाचार पत्रों व वाट्सएप न्यूज ग्रुप में प्रकाशित समाचार से पता चला कि जवाहर नगर, गुरुधाम कालोनी स्थित पीएम के संसदीय जनसंपर्क कार्यालय को लक्ष्मीकांत ओझा ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर धोखाधड़ी की नीयत से कार्यालय को सात करोड़ 50 लाख रुपये में बेचने के लिए कार्यालय का फोटोग्राफ बनाकर ओएलएक्स पर बोली लगाई गई थी। इस मामले में पुलिस ने आरोपित लक्ष्मीकांत ओझा को गिरफ्तार कर लिया। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुनने तथा पत्रावलियों का अवलोकन के बाद अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपित की जमानत अर्जी खारिज कर दिया। पुलिस ने इस मामले में चार आरोपितों को भी 18 दिसंबर को गिरफ्तार किया था। बाद में तीन को जमानत मिल गई।