वाराणसी (ब्यूरो)इंडियन सोसायटी फार असिस्टेड रीप्रोडक्शन (आइएसएआर) की ओर से रविवार को सिगरा स्थित रुद्राक्ष कन्वेंशन सेंटर में 'पर्यावरण, तनाव व प्रजनन क्षमताÓ विषयक सतत चिकित्सा शिक्षा कार्यक्रम आयोजित किया गयाइसमें संस्था की प्रदेश अध्यक्ष डानीलम ओहरी ने कहा कि मानव जीवन पर पर्यावरण का प्रभाव ज्यादा पड़ रहा हैपर्यावरण प्रदूषण से कई बीमारियां होती हैं जिसे लोग नजरअंदाज कर देते हैंइसका परिणाम यह है कि अब प्रदूषण व तनाव संतान उत्पत्ति में बाधक बन रहा हैप्रजनन क्षमता प्रभावित हो रही है.

फैल रहीं बीमारियां

मुख्य अतिथि व संस्था की राष्ट्रीय अध्यक्ष डानंदिता पालशेतकर ने कहा कि कई तरह की बीमारियां प्रजनन क्षमता में कमी के कारण हैंमानव जीन के अध्ययन से कई बीमारियों का पता किया जा सकता हैइससे प्रजनन क्षमता में कमी की भी जानकारी मिल सकती हैप्रजनन के क्षेत्र में ह्यूमन जीनोम स्टडी का भविष्य हैउन्होंने बताया कि हार्मोंस असंतुलन संतान की उत्पत्ति में कमी का कारण हैग्लोबल वार्मिंग के कारण कुछ प्रजातियां विलुप्त होती जा रही हैं जो मनुष्यों को भी प्रभावित कर रही हैं

नई पीढ़ी बरतें सावधानी

मनुष्य में प्रजनन अक्षमता बढ़ रही हैइसलिए नई पीढ़ी को ज्यादा सावधानी बरतनी पड़ेगीडासुजाता कर, प्रोलवीना चौबे, डाशालिनी टंडन, प्रोअनुराधा खन्ना, प्रोमधु जैन, डासुलेखा पांडेय आदि थींइस दौरान डारुचि व डाजिज्ञासा को प्रजनन एवं पर्यावरण संरक्षण क्षेत्र में शोध करने पर सम्मानित किया गयाधन्यवाद ज्ञापन डालतिका अग्रवाल ने किया.