- ट्रैफिक मंथ के दौरान पुलिस का अभियान सिमटा अतिक्रमण हटाने और चालान काटने में

- प्रेशर हॉर्न को लेकर नहीं है कोई रोक टोक, इससे हर रोज हो रहे हैं हादसे

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केस 1

लहुराबीर पर बुधवार की देर रात रिक्शे से जा रही दो महिलाएं रिक्शे से गिर गई और दोनों को गंभीर हालत में अस्पताल पहुंचाया गया। हादसे की वजह थी पीछे आ रही ट्रक का अचानक प्रेशर हॉर्न बजाना और रिक्शे का बैलेंस खोकर डिवाइडर से जा भिड़ना।

केस 2

लहरतारा में दो माह पहले प्रेशर हॉर्न के कारण बाइक सवार युवक की मौत हुई थी। युवक बाइक से कैंट की ओर आ रहा था। इस दौरान पीछे से आये ट्रक ने हॉर्न बजाया। जिससे बाइक सवार अपना बैलेंस खो बैठा और गिरने के बाद ट्रक के नीचे चला गया।

ये दो केसेज तो आपको ये बताने के लिए हैं कि अपने शहर की सड़कों पर प्रेशर हॉर्न के कारण आये दिन हादसे हो रहे हैं। कभी इनके कारण लोगों की मौत हो रही है तो कभी कोई चोटिल हो रहा है। इसके बावजूद प्रेशर हॉर्न को लेकर ट्रैफिक पुलिस महकमा उदासीन बना हुआ है। ये हाल तब है जब इन दिनों ट्रैफिक नियम को तोड़ने वालों को ट्रैफिक का पाठ पढ़ाने के लिए ट्रैफिक मंथ चल रहा है।

अभियान कहां है

इन दिनों अपने शहर के हर इलाके में प्रेशर हॉर्न लगे वाहनों की भरमार है। कानफाड़ू हॉर्न के शोर से हादसे तो हो ही रहे हैं साथ ही साथ शहर के अलग अलग इलाकों में बने साइलेंट जोन भी डिस्टर्ब हो रहे हैं। इसके बाद भी चौराहों पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के जवान गाडि़यों में लगे प्रेशर हॉर्न को देख पाने में फेल हैं। कैंट, रोडवेज, कचहरी, डीएम आवास, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन, तेलियाबाग संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास, लहुराबीर चौराहा, कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल के बाहर समेत तमाम हॉस्पिटल और स्कूलों के बाहर साइलेंट जोन बनाये गए हैं लेकिन इसका पालन कहीं होता नहीं दिख रहा है। यही वजह है कि बाइक से लेकर कार और ट्रक से लेकर बसों तक में लोग बेखौफ होकर प्रेशर हॉर्न का यूज कर रहे हैं और इनके खिलाफ अभियान चलाकर कोई कार्रवाई करने के मूड में नहीं दिख रही है।

गलियों में है प्रेशर

प्रेशर हॉर्न का असर सिर्फ शहर की सड़कों पर ही नहीं है बल्कि गलियों में भी बाइक्स में लगे प्रेशर हॉर्न का यूज बाइकर्स जमकर कर रहे हैं। दारानगर, चौक, गायघाट, राजमंदिर, चौखम्भा, ठठेरी बाजार, रामघाट समेत कई ऐसी गलियां हैं जहां बाइक लेकर निकलने वाले प्रेशर हॉर्न का यूज खूब करते हैं। इसके कारण गलियों में भी हादसे होते रहते हैं। इसके बावजूद प्रेशर हॉर्न लगाकर चलने वालों की अंगुली हॉर्न के बटन से हटती नहीं और कानफोड़ू हॉर्न से लोग टेंशन में आने को मजबूर होते हैं।

रोकेगा कौन ये बड़ा सवाल

प्रेशर हॉर्न के कारण आये दिन हो रहे हादसों को कौन रोकेगा ये सवाल बड़ा है। क्योंकि इसकी जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की है कि वह अभियान चलाकर प्रेशर हॉर्न के खिलाफ कार्रवाई करे लेकिन ऐसा होता दिख नहीं रहा है। ट्रैफिक मंथ के दौरान भी ट्रैफिक पुलिस का पूरा ध्यान सिर्फ और सिर्फ वसूली और रोड साइड अतिक्रमण करने वालों को हटाने में है। इस वजह से प्रेशर हॉर्न लगाकर चलने वाले बेखौफ होकर फर्राटा भर रहे हैं और इनकी ओर से हॉर्न का यूज हादसों का सबब बन रहा है। नियम के मुताबिक प्रेशर हॉर्न लगाकर चलने वालों को 500 से 1000 रुपये तक चालान और गाड़ी सीज की जा सकती है लेकिन ऐसा कम ही होता है कि प्रेशर हॉर्न के खिलाफ ट्रैफिक पुलिस सख्त हुई हो।

ट्रैफिक पुलिस ट्रैफिक मंथ के दौरान रूल्स फॉलो कराने को लेकर बहुत एक्टिव है। ब्लैक फिल्म, प्रेशर हॉर्न, हूटर और बाइक पर तीन सवारी चलने वालों के खिलाफ अभियान चल भी रहा है।

लल्लन यादव, टै्रफिक इंस्पेक्टर