-शहर में प्रेशर हॉर्न बजाने पर नहीं लग पा रही है रोक, हर सड़क पर दौड़ रही हैं प्रेशर हॉर्न लगी बाइक्स और कार

- ट्रैफिक पुलिस भी नहीं दे रही है इस ओर ध्यान, शहर में बढ़ता जा रहा है शोर का लेवल

VARANASI : बेवजह कुत्ता भी नहीं भौंकता। ये स्लोगन आपको अक्सर थानों, चौराहों, अस्पतालों के बाहर और पब्लिक प्लेसेज पर चस्पा किया हुआ दिख जाएगा। जिसे पढ़ने के बाद आप इग्नोर कर देते होंगे लेकिन ये सच है कि कुत्ता भी बेवजह नहीं भौंकता। उसके भौंकने के पीछे भी कोई न कोई रीजन होता है लेकिन अपने शहर में बाइक व अन्य व्हीकल्स में प्रेशर हॉर्न लगाकर चल रहे लोग न तो इस स्लोगन का मतलब समझने में इंटरेस्ट ले रहे हैं और न ही प्रेशर हॉर्न के चलते दूसरों को होने वाली परेशानी की परवाह कर रहे हैं। बस प्रेशर हॉर्न लगाकर चपे रहते हैं अपनी गाड़ी को आगे निकालने में। ये हाल तब है जबकि ऐसे लोगों की इस हरकत पर नकेल कसे जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट सख्त है। इसके बावजूद अपनी ट्रैफिक पुलिस का इस ओर कोई ध्यान ही नहीं है। सिटी में प्रेशर हॉर्न पर ब्रेक लगाने के लिए उसकी ओर से अब तक कोई कैंपेन भी नहीं चलाया जा सका है।

हर ओर बढ़ रहा है शोर

शहर की रोड पर आप अगर बाइक या कार लेकर चल रहे हैं तो ये कंफर्म है कि आपके पीछे कोई बाइक या कार वाला प्रेशर हॉर्न लगाकर उसे कंटीन्यू बजाते हुए आगे निकलने के लिए परेशान रहेगा। ये हर रोज हर इलाके में देखने को मिल जाएगा। प्रेशर हॉर्न के बढ़ रहे यूज को रोकने में नाकाम ट्रैफिक पुलिस के चलते शहर में न सिर्फ शोर का लेवल बढ़ रहा है बल्कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन करने वालों की संख्या में भी इजाफा हो रहा है।

रोकने वाले हैं ही लूज

शहर के अलग अलग इलाकों में बने साइलेंट जोन को मेनटेन रखने की जिम्मेदारी ट्रैफिक पुलिस की है। इसके लिए उसने पिछले दिनों शहर के एक दर्जन से ज्यादा इलाकों को नो हॉर्न जोन के रूप में घोषित किया था। संस्थाओं की मदद से इन इलाकों में नो हॉर्न प्लीज व साइलेंट जोन के बाबत जानकारी देने के लिए होर्डिग्स और बैनर भी लगाये गए थे, लेकिन साइलेंट जोन बने इलाकों में शोर का लेवल बढ़ गया है। साथ ही यहां प्रेशर हॉर्न का भी यूज ज्यादा देखने को मिल रहा है। इसके बाद भी चौराहों पर मौजूद ट्रैफिक पुलिस के जवान गाडि़यों में लगे प्रेशर हॉर्न को देख पाने में फेल हैं।

ये हैं साइलेंट जोन

कैंट, रोडवेज, कचहरी, डीएम आवास, गोलघर चौराहा, पुलिस लाइन, तेलियाबाग संस्कृत यूनिवर्सिटी के पास, लहुराबीर चौराहा, कबीरचौरा मंडलीय हॉस्पिटल के बाहर, महमूरगंज रोड पर बने प्राइवेट हॉस्पिटल्स के पास की सड़क, चौक चौराहा, संकटमोचन मंदिर, विश्वनाथ मंदिर, बीएचयू कैंपस, डीएलडब्ल्यू कैंपस, दुर्गा मंदिर, लंका, सिगरा आईपी मॉल के बाहर, शहर के सभी स्कूलों के आसपास के इलाके, बड़े कोचिंग इंस्टीट्यूटस के पास के इलाके।

गलियों में भी है शोर

ऐसा नहीं है कि शोर से सिर्फ शहर के नो साइलेंट जोन और सड़कों पर रहने वाले लोग परेशान हैं। ये प्रॉब्लम शहर का पक्कामहाल भी झेल रहा है। दारानगर, चौक, गायघाट, राजमंदिर, चौखम्भा, ठठेरी बाजार, रामघाट समेत कई ऐसी गलियां हैं जहां नॉयज पॉल्यूशन से हर कोई परेशान है। इन इलाकों की गलियों से टू व्हीलर्स से गुजरने वाले लोग प्रेशर हॉर्न का जमकर यूज कर रहे हैं। हालात ये है कि जब तक इनकी गाड़ी आगे वाले से आगे निकल नहीं जाती तब तक इनकी उंगली हॉर्न के बटन से हटती नहीं और कानफोड़ू हॉर्न से लोग टेंशन में आने को मजबूर होते हैं।

कौन रोकेगा इसे?

प्रेशर हॉर्न, गाडि़यों के साउंड और हर इलाके में बढ़ रही आबादी के शोर को कैसे रोका जाये इसे लेकर कोई प्लैनिंग किसी के पास नहीं है। यही वजह है कि सिटी में नॉयज पॉल्यूशन का लेवल बढ़ता ही जा रहा है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने हाल ही में अपने किए सर्वे में एक चौंकाने वाला खुलासा किया था, जिसमें सिटी के बीएचयू, रविन्द्रपुरी, गोदौलिया के अलावा कई अन्य इलाकों में भी शोर का लेवल दिनों दिन बढ़ता जा रहा है। जबकि यहां शोर पहले बहुत कम था।

शहर में है शोर का ये हाल

इलाका मानक हाल

बीएचयू भ्भ् डेसीबल भ्8.फ् डेसीबल

रविन्द्रपुरी ब्भ् डेसीबल 7क्.ख् डेसीबल

लहुराबीर म्भ् डेसीबल 77.भ् डेसीबल

गोदौलिया म्भ् डेसीबल 79.8 डेसीबल

लहरतारा 7भ् डेसीबल 8ख्.ब् डेसीबल

सारनाथ भ्0 डेसीबल भ्फ्.ब् डेसीबल

कचहरी भ्0 डेसीबल भ्8.8 डेसीबल

(नोट- ये आंकड़े प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की ओर से पिछले दिनों किए गए सर्वे में सामने आये थे)।

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एमवी एक्ट के आदेशों का सख्ती से फॉलो कराने के लिए ट्रैफिक पुलिस इन दिनों अभियान चला रही है। रैश ड्राइविंग, प्रेशर हॉर्न, ब्लैक फिल्म समेत चीजों पर कार्रवाई की जा रही है।

त्रिभुवन सिंह, एसपी ट्रैफिक

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एक दो चालान से काम नहीं होने वाला है। इसके लिए ट्रैफिक पुलिस को बड़ा कैंपेन चलाकर डेली क्000 गाडि़यों का चालान करना होगा। तब जाकर प्रेशर हॉर्न पर लगाम लगेगी।

चेतन उपाध्याय, सचिव सत्या फाउण्डेशन