वाराणसी (ब्यूरो)। पितरों को समर्पित पितृपक्ष माह में शहर का बाजार उफान पर है। श्राद्ध में प्रयोग किए जाने वाले प्रसाद के आइटमों की इस समय जबरदस्त डिमांड हो गई है। मार्केट में दूध और मेवे की डिमांड के कारण इनके दामों में जबरदस्त उछाल आ गया है। शहर के प्रमुख बाजार और सट्टिïयों पर खरीदारों का तांता लग रहा है। इस कारण लोगों को सामान सही समय और सही ढंग से नहीं मिल पा रहे हैं। शहर के अंदर डेयरी के दूध और आम आदमी द्वारा लाए गए दूध की बिक्री सट्टिïयों पर होती है। यहां सुबह से ही दूध के लिए मारामारी की नौबत देखने को मिल रही है.
मेवे से किराना बाजार गर्म
बनारस के बाजार में मेवे का कारोबार किराना बाजार में होता है। शहर के दोनों किराना मंडियों विश्वेशरगंज और गोला दीनानाथ मंडी में दुकानदारों के यहां फुटकर दुकानदार से लेकर ग्राहकों की लंबी लाइन लगी हुई है। दुकानदारों का कहना है कि जैसे ही कोई त्यौहार या माह आता है तो मेवे का प्रयोग प्रसाद के रूप में पुरोहित और पंडे दोनों करते हैं जिसके कारण इनकी डिमांड बढ़ जाती है। फौरिया तौर पर हम लोगों के पास ज्यादा स्टाक में माल नहीं होने के कारण उनके दामों में इजाफा करना होता है। इसके बाद भी ग्राहक की डिमांड को पूरा करने में तमाम तरीके की परेशानियां शुरू हो जाती है.
दूध एवं उससे बने उत्पाद
गाय का दूध-80 रु। प्रति लीटर
भैैंस का दूध-70 रु। प्रति लीटर
गाय का घी-1500 रु। प्रति किलो
भैैंस का घी-1200 रु। प्रति किलो
पनीर-600 रु। प्रति किलो
रबड़ी-60 रु। प्रति सौ ग्राम
मलाई-50 रु। प्रति सौ ग्राम
मेवे का रेट एक नजर में
किशमिश- 800 रु। प्रति किलो
छोहाड़ा-500 रु। प्रति किलो
बादाम-1000 रु। प्रति किलो
काजू-900 रु। प्रति किलो
गरी-600 रु। प्रति किलो
गरी का बुरादा-700 रु। प्रति किलो
प्रसाद के अन्य आयटम
चंदन की लकड़ी-100 रुपये प्रति 20 ग्राम
काला तिल-60 रुपये प्रति 100 ग्राम
करैला-700 रुपये प्रति किलो
धूप-60 रुपये प्रति 100 ग्राम
आम की लकड़ी-40 रुपये प्रति किलो
हर साल पितृपक्ष के महीने में दूध के दामों में भारी इजाफा हो जाता था, परंतु इस साल इजाफे के साथ दाम भी बढ़े हैैं। हम लोग भी यही चाहते हैं कि फैमिली वालों को कोई परेशानी न हो.
रविंद्र यादव, दूध विक्रेता
वर्तमान समय में किराना मंडी में मेवे व अन्य प्रसाद के आयटमों की जबरदस्त डिमांड हो गई है। हम लोग यही चाहते हैं कि किसी भी भक्त को कोई भी परेशानी न हो.
भगवान दास, किराना व्यापारी
शुरुआत में ध्यान नहीं रहा तो एक दिन परेशानी हुई। मैैं अपनी बच्ची के लिए दूध लेने सुबह 5 बजे ही आ जाता हूं। दरअसल हम लोग पाउडर या पैकेट के दूध का इस्तेमाल नहीं करते हैं.
आशुतोष पांडेय, नागरिक