नोट-पढ़ी नहीं गई है
- सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ रहे ओवरलोड वाहन, खराब हो रहीं सड़कें
- शहर में गढ्डायुक्त व ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर आवागमन दुश्वार
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VARANASI
शहर की गढ्डायुक्त और ऊबड़-खाबड़ सड़कों पर आवागमन दुश्वार हो गया है। इसका कारण रोड पर धड़ल्ले से दौड़ते ओवरलोड वाहन हैं। महज दस-बीस, पचास रुपये सुविधा शुल्क के चक्कर में पुलिसकर्मी ऐसे वाहनों को रोकने की जहमत नहीं उठाते हैं। परिवहन विभाग भी इसके लिए कम जिम्मेदार नहीं है। वाहनों के अतिरिक्त दबाव से सड़कें अपनी लाइफ से पहले ही खराब हो रही हैं। इससे न सिर्फ लोगों का समय नुकसान हो रहा है, बल्कि ऐसी रोड पर चलने से सेहत पर भी इफेक्ट पड़ रहा है। यह स्थिति शहर की दर्जन भर सड़कों पर रोज दिखती है।
'सीयूपीडी' के आधार पर बनती हैं सड़कें
पीडब्ल्यूडी कामर्शियल वेकिल पर डे (सीयूपीडी) के आधार पर सड़कों का मानक तय करता है। यानी, जिस सड़क पर व्यवसायिक वाहनों (बस, ट्रक, ट्रेलर आदि) का जितना अधिक आवागमन होगा। उस सड़क की चौड़ाई और मोटाई उतनी ही अधिक होगी। डिपार्टमेंटल अफसरों का कहना है कि कामर्शियल वाहन अधिक चलने से दिक्कत नहीं आती है। लेकिन जब इन सड़कों पर ओवरलोड वाहनों का दबाव ज्यादा होगा ताे सड़कें जल्दी खराब हो जाएंगी।
रात में धड़ल्ले से गुजरती हैं ट्रकें
शहर में ओवरलोड वाहन रात को घुसते हैं। रात नौ बजे के बाद ट्रकों और ट्रेलरों को शहर की सड़कों पर धड़ल्ले से दौड़ते देखा जा सकता है। ट्रकों को पिकेट पर तैनात पुलिसकर्मी रोकने की कोशिश नहीं करते, बल्कि 'सेवा' लेकर आराम से शहर में जाने देते हैं। कई बार ओवरलोड वाहन हादसों के कारण भी बन चुके हैं। एनएच-2 से लिंक मार्गो पर ज्यादातर यह होता है।
अगले महीने से बदलेगी सूरत
शहर की 15 सड़कों को संवारने का टेंडर हो चुका है। मई के दूसरे हफ्ते से काम शुरू हो जाएगा। इसके तहत सड़कों का चौड़ीकरण, सतह सुधार, किनारों पर इंटरलॉकिंग व टाइल्स, यूटिलिटी शिफ्टिंग, डिवाइडर और नाली निर्माण होगा। अवर अभियंता उदयशंकर पांडेय ने बताया कि राज्य सड़क निधि से 76 करोड़ की लागत से सड़कों का सुदृढ़ीकरण होगा। प्रथम किश्त के रूप में सात करोड़ 61 लाख रुपये मिल गए हैं।
ये सड़कें ज्यादा खराब
- रथयात्रा से महमूरगंज रोड
- सिगरा से महमूरगंज रोड
- कैंट से लंका रोड
- पंचक्रोशी मार्ग
- सिगरा, मलदहिया से तेलियाबाग रोड
- एनएच-2 पर मोहनसराय से कैंट तक
- पांडेयपुर-चौकाघाट मार्ग
- चौकाघाट से संस्कृत यूनिवर्सिटी तक
- मैदागिन, गोदौलिया, अस्सी से लंका
- विश्वेश्वरगंज-अलईपुर मालगोदाम मार्ग
- रथयात्रा, गोदौलिया से दशाश्वमेघ तक
- शिवपुर लिंक मार्ग
- 40 सड़कें हैं शहर में
- 111 किलोमीटर लम्बाई है सड़कों की
- 4 साल होती है शहर की सड़कों की लाइफ
- 15 सड़कों का होगा सुदृढ़ीकरण
- 48 किलोमीटर बनेंगी सड़कें
- 76 करोड़ आएगी लागत
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गढ्डायुक्त सड़कों पर चलने से हड्डियां हिल जाती हैं। धूल से परेशानी होती है। ओवरलोड वाहनों से सड़कें खराब हो रही है तो इसपर कड़ाई से रोक लगानी चाहिए।
अंश प्रताप सिंह, कस्तूरबा नगर सिगरा
सिगरा-महमूरगंज मार्ग पर चलना दुश्वारी भरा हो गया है। सड़कें खराब होने से आने-जाने में ज्यादा समय लगता है। सेहत का भी नुकसान होता है।
अश्रि्वनी कुमार, महमूरगंज
पीडब्ल्यूडी का काम सड़क बनाना और उसका मेंटीनेंस करना है। ओवरलोड वाहनों के शहर में घुसने से सड़कें पूरी तरह से खराब हो रही हैं। वाहनों का प्रवेश रोकने का काम अन्य विभागों का है।
एके सिंह, एक्सईएन, पीडब्ल्यूडी
सड़कें मजबूत नहीं बनाई जा रही हैं। इसके लिए लखनऊ की बैठक में सीएम योगी आदित्यनाथ ने पीडब्ल्यूडी अफसरों को चेतावनी भी थी। शहर में ओवरलोड ट्रकों का घुसना सम्भव ही नहीं है। इसके लिए परिवहन विभाग जिम्मेदार है।
सुरेश चन्द्र रावत, एसपी (ट्रैफिक)