-लॉकडाउन के चलते पैसेंजर्स को स्टेशन पर नहीं मिल रही सवारी गाड़ी

-ऑटो व टैक्सी न मिलने से फेमिली संग पैदल ही निकलना मजबूरी

-वाहन वाले मांग रहे मुंहमांगा पैसा

कोरोना के बढ़ते संक्रमण को देखते हुए प्रदेश में 17 मई तक लॉकडाउन लगा दिया गया है। जिसके चलते जन-जीवन ठप पड़ गया है। सड़कों पर वाहनों की रफ्तार भी रूक गई है। सिर्फ जरूरी वाहनों को ही आने जाने की छूट है। जिसका खामियाजा दूसरे प्रदेशों से घर लौट रहे लोगों को उठाना पड़ रहा है। स्पेशल ट्रेनों से वाराणसी जंक्शन पहुंच रहे लोगों को भारी मुसीबतों का सामना करना पड़ रहा है। सड़कों पर ऑटो और सार्वजनिक यातायात के अन्य साधनों के कमी के चलते वे हलकान हा रहे हैं। उन्हें घर पहुंचने के लिए या तो अपनी जेब हल्का करना पड़ रहा है या पैदल ही निकलना पड़ रहा है।

ढूंढने से नहीं मिल रहे ऑटो

आम दिनों में कैंट रेलवे स्टेशन कैंपस सहित बाहर ऑटो, टैक्सी, ई रिक्शा और पैडल रिक्शा की भीड़ रहती थी। तब यात्री आसानी से अपने गंतव्य तक पहुंच जाते थे। लेकिन लॉकडाउन के चलते इन दिनों वाहनों की संख्या कम होने से यात्री परेशान हो रहे हैं। हालांकि, लॉकडाउन के कारण कम संख्या में बसों और सवारी गाड़ी को चलाने को इजाजत दी गई है। वाहनों की संख्या कम होने के चलते यात्री पैदल सफर करने को मजबूर हो रहे हैं।

जेब हो रही हल्की

रेलवे स्टेशन पर मेट्रो सिटीज से पहुंचने वाले पैसेंजर्स की जेब भी हल्की हो रही है। उनको घर लौटने के लिए मजूबरी में वाहनों को मुंहमांगा पैसे देना पड़ रहा है। कारण कि सवारी गाड़ी कम होने के कारण ऑटो, ई रिक्शा व टैक्सी वाले मुंहमांगा रेट मांग रहे हैं। ऐसे में वो पैदल जाने से बचने के लिए दोगुने से भी ज्यादा पैसा देने को तैयार हो जा रहे हैं। क्योंकि ज्यादातर लोग दूर दराज के रहने वाले होते हैं। या उनके साथ फेमिली होती है। छोटे बच्चों की वजह से भी लोग सवारी गाड़ी के ओनर जितना पैसा मांग रहे हैं उतना देने को तैयार हो जा रहे हैं। बावजूद इसके लोगों को कई कई किमी पैदल चलना पड़ना रहा है। उनको वाहन ही नहीं मिल पा रहा है।

यात्रियों ने सुनाई आपबीती

नई दिल्ली में रहकर तैयारी करता हूं। वहां कोरोना का संक्रमण बढ़ने के कारण घर लौटने का डिसीजन लिया है। वाराणसी जंक्शन पर ऑटो नहीं मिलने के कारण पैदल जाना पड़ रहा है।

विश्वदीपक, पैसेंजर

मुंबई में रहकर जॉब करता हूं, फैक्ट्री बंद होने पर वापस अपने शहर लौटने का मन बनाया। यहां पहुंचने पर कोई सवारी ही नहीं मिल रही है। लगता है पैदल ही घर जाना पड़ेगा।

अनिल कुमार, पैसेंजर

परिवार संग सूरत में रहकर जॉब करता था। पर वहां लॉकडाउन लगने के बाद काम ठप हो गया। सोचा घर लौट जाता हूं। लेकिन कैंट रेलवे स्टेशन पर पहुंचने के बाद वाहन ही नहीं मिल रहे हैं। एक दो से बात हुई तो दोगुने से ज्यादा रेट मांग रहे हैं।

विजय प्रताप, पैसेंजर

रेलवे ने अपने शहर में तो पहुंचा दिया, पर घर कैसे जाऊं समझ में नहीं आ रहा है। स्टेशन से बाहर निकलने पर ऑटो व टैक्सी ही नहीं मिल रहे हैं। बहुत देर से परेशान हूं। घर दूर है किसी को बुला भी नहीं पा रहा हूं।

अनिकेश, पैसेंजर

इन ट्रेंस का हो रहा संचालन

-वंदे भारत एक्सप्रेस

-महानगरी एक्सप्रेस

-कामायनी एक्सप्रेस