- नगर निगम अभी तक साफ नहीं कर पाया शाही नाला

- जेएनएनयूआरएम योजना से नहीं दुरुस्त हुई सीवर लाइन

वाराणसी में कुछ दिन की झमाझम बारिश के आगे पूरा शहर बेबस नजर आया। यह तो अभी मानसून सत्र की शुरुआत है। आने वाले समय में ऐसी बारिश से इनकार नहीं किया जा सकता है। ऐसी स्थिति से निपटने के लिए नगर निगम की तैयारी अब भी सवाल के घेरे में है। हर साल बारिश होती है। जलभराव होता है और पब्लिक परेशान होती है, लेकिन नगर निगम की लापरवाही पर ब्रेक नहीं लगा है। जल निकासी के लिए पिछले 12 साल के आंकड़ों की बात करें तो 2009-10 में केंद्र से 600 करोड़ और प्रदेश सरकार से 300 करोड़ और स्मार्ट सिटी के तहत 100 करोड़ से अधिक पैसा नगर निगम को मिला, लेकिन समस्या जस की तस बनी है। स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम योजना पूरी हो गई, लेकिन कारगार साबित नहीं हुआ। 2016 में शाही नाले की सफाई जायका को दिया गया। चार साल में मच्छोदरी तक ही सफाई हो पाई। अब भी 681 मीटर नाला सफाई कार्य बचा है। जेएनएनयूआरएम योजना के तहत सीवर लाइन दुरुस्त नहीं हुई।

28 स्थानों पर मिलीं बड़ी गड़बडि़यां

मूलभूत सुविधाओं को लेकर बनी योजनाओं पर जल निगम ने अब तक पानी फेरने का ही काम किया है। यदि विभाग ने बेहतरीन कार्यशैली का प्रदर्शन किया होता तो गुरुवार को पूरे दिन हुई बारिश में शहर की गलियां व सड़कें जलाजल न होतीं। जल निकासी के लिए 2009 में स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम की योजना बनाई गई। 253 करोड़ रुपये की इस योजना में शहर भर में करीब 76 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई गई। 2015 में कार्य पूरा करने का दावा जल निगम ने किया था, लेकिन अब तक वह जनोपयोगी नहीं हो सकी। अपर नगर आयुक्त देवीदयाल वर्मा ने तकनीकी परीक्षण किया गया तो 28 स्थानों पर बड़ी गड़बडि़यां मिलीं। इसे दूर करने के लिए 15वें वित्त से 14 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

रोड़ा बने अन्य विभाग

अपर नगर आयुक्त की जांच में कई जगहों पर पाइप का आपस में कनेक्शन ही नहीं मिला। इसके अलावा पीडब्ल्यूडी, गेल, आईपीडीएस समेत अन्य विभागों ने सड़क चौड़ीकरण व भूमिगत पाइपों को बिछाने में स्टार्म वाटर ड्रेनेज सिस्टम को क्षतिग्रस्त कर दिया। पीडब्ल्यूडी ने तो सिस्टम में लगे ढक्कन ही तारकोल व गिट्टी के नीचे दबा दिए। परिणाम, ढक्कन पर बने 16 छेद जिससे बारिश का पानी पाइप लाइन में चला जाता वह रुक गया और सड़कें बारिश के पानी से लबालब हो गईं। रोड साइड ड्रेन का कनेक्शन भी नहीं किया।

अब भी शाही नाले का भरोसा

ईस्ट इंडिया कंपनी ने बनारस का टकसाल अधिकारी जेम्स ¨प्रसेप ने 1827 में ड्रेनेज सिस्टम शाही नाला बनाया था। दो सौ साल बाद भी बनारस की ड्रेनेज व सीवेज व्यवस्था उसी जेम्स ¨प्रसेप के शाही नाले के भरोसे है। दो सौ सालों में तरक्की की बात तो दूर, आपको जानकर दुख होगा कि 2014 तक उस नाले की सुध-बुध तक नहीं ली गई थी। 2016 में सफाई का काम जापान की कंपनी जायका को दिया गया। जायका ने काम शुरू किया तो उसे पता चला कि वाराणसी नगर निगम के पास तो शाही नाले का नक्शा ही नहीं है। तब रोबोटिक कैमरे से नाले के भीतर की जानकारी ली गई। बीते चार साल से नाले की सफाई हो रही है जो अब तक पूरी नहीं हो सकी।

तीन साल में भी अधूरी है सफाई

लोगों के मुताबिक 24 किमी तक फैला शाही नाला अस्सी, भेलूपुर, कमच्छा, गुरुबाग, गिरिजाघर, बेनियाबाग, चौक, पक्का महाल, मछोदरी होते हुए कोनिया तक गया है। बीते चार साल से इसकी सफाई हो रही है। अब भी 681 मीटर नाला सफाई कार्य बचा है। मजदूर भी भाग गए हैं। कार्य इस वर्ष भी पूरा हो जाएगा, यह दावे से कहना मुश्किल है।

एक नजर में नगर

-शहर की आबादी : 2081639

-शहर का क्षेत्रफल : 112.26 वर्ग किमी

-नदियां : गंगा, वरुणा, अस्सि, गोमती, बेसुही, नाद

-शहर में वार्ड : 90

-शहर में मुहल्ले : 434

-शहर में आवास : 192786

-शामिल हुए नए गांव : 86

- केंद्र से 600 करोड़

- प्रदेश सरकार से 300 करोड़

- स्मार्ट सिटी से 100 करोड़ वर्ष 2009-10 में मिला

वर्जन

बाकी है कल देंगे