वाराणसी (ब्यूरो)वाराणसी में अवैध आरओ प्लांट से पानी का कारोबार धड़ल्ले से फल फूल रहा है। 30-30 रुपए में 20 लीटर चील्ड पानी का जार डोर टू डोर बेचा जा रहा हैहालांकि, यह जरूरी नहंी है कि आप जो पानी पी रहे हैं वो शुद्ध या आरओ का पानी ही होशहर के ज्यादातर पानी सप्लाई करने वाले आरओ प्लांट सिर्फ चील्ड वॉटर की दुकान चला रहे हैंइनमें से कई के यहां मिलने वाले पानी का टीडीएस लेवल गड़बड़ हैऐसा इसलिए भी है कि गर्मी के सीजन में आरओ वाटर की मांग जरूरत से ज्यादा हैजबकि पानी को फिल्टर करने में प्लांट संचालक को काफी समय लगता हैदूसरी बड़ी बात ये भी है कि इनके लिए कोई नियम न होने के कारण न तो इन प्लांटों की जांच होती है और न ही पानी की शुद्धता जांची जाती हैअलग-अलग स्थानों पर चल रहे इन आरओ प्लांट पर दो हजार से लेकर 10 हजार रुपए तक जुर्माने का प्रावधान है, लेकिन कार्रवाई न होने के चलते प्लांट संचालक धड़ल्ले से कैंपर में सामान्य पानी ही दुकानों से लेकर निजी प्रतिष्ठानों में पानी पहुंचा रहे हैैंइसे लेकर दैनिक जागरण आईनेक्स्ट टीम ने रियलिटी चेक किया तो चौंकाने वाला मामला सामने आया

केस-1

लक्सा स्थित एक आरओ प्लांट के पानी का टीडीएस चेक किया गया तो उसका टीडीएस 244 मिलायह पीने योग्य है

केस 2

लक्सा के दूसरे आरओ प्लांट का पानी चेक किया गया तो उसका टीडीएस लेवल 319 पाया गयायह पानी पीने योग्य नहीं है

20 करोड़ का है पानी का बाजार

डिस्ट्रिक्ट में एक लाख से अधिक कैंपर का कारोबार डेली किया जा रहा हैहैरत की बात है कि खाद्य औषधि विभाग के पास बोतल बंद पानी पर एक्शन का अधिकार है, लेकिन कैंपर के पानी पर नहींहालांकि, भूगर्भ जल विभाग ने अब तक 112 लोगों को आरओ प्लांट चलाने के लिए लाइसेंस दे रखा है, जबकि सिटी में 150 से अधिक आरओ प्लांट संचालक जल दोहन कर रहे हंैअनुमान के अनुसार सालाना कारोबार करीब 20 करोड़ के पार पहुंच चुका हैगर्मी में पानी की खपत ज्यादा बढ़ जाने की वजह से करीब-करीब सभी संचालकों ने इसका दाम भी बढ़ा दिया हैपहले जो पानी 25 रुपए में मिलता था, वो अब 30 रुपए में बेचा जा रहा है

लहुराबीर व अर्दली बाजार में अवैध कारोबार

लहुराबीर, अर्दली बाजार समेत प्रमुख जगहों पर सुबह होते ही कैंपर भरने का सिलसिला शुरू होता है, जोकि दोपहर तक चलता है। 20 लीटर के एक कैंपर पानी की कीमत 30 रुपए हैपूछने पर बताया गया कि इसके लिए लाइसेंस की जरूरत नहीं होती हैबस सबमर्सिबल पंप लगाना होता है.

60 परसेंट पानी होता है बर्बाद

जल दोहन का सबसे बड़ा कारण शहर में चल रहे अवैध आरओ प्लांट हैंशुद्ध पानी के लिए आरओ प्लांट में 70 फीसद पानी बर्बाद होता हैउदाहरण के लिए कैंपर भरने के लिए यदि 1000 लीटर पानी का दोहन करते हैं तो उसे पीने योग्य बनाने में 600 लीटर पानी बर्बाद हो जाता है

चेक नहीं किया जाता टीडीएस

कैंपर वाले पानी में टीडीएस की मात्रा कितनी है? कई आरओ प्लांट में यह भी चेक नहीं किया जातापानी में मैग्नीशियम, कैल्शियम, पोटेशियम की एक निश्चित मात्रा स्वास्थ्य के लिए जरूरी हैइसकी जांच टीडीएस (टोटल डिसॉल्वड सॉलिड्स) के जरिए की जाती है

ये है जरूरी

-पैक्ड मिनरल वाटर प्लांट के लिए ब्यूरो ऑफ इंडियन स्टैंटर्ड का लाइसेंस जरूरी.

-फूड एंड सेफ्टी एक्ट के तहत किसी मिनरल वाटर प्लांट को संचालित करने के लिए भूगर्भ जल संचय विभाग से एनओसी लेना जरूरी.

-प्लांट लगाने से पहले वाटर हार्वेस्टिंग की व्यवस्था जरूरी है.

-कॉमर्शियल एरिया में होना चाहिए प्लांट.

फैक्ट एंड फीगर

15 से ज्यादा ब्रांड के मिनरल वाटर बिक रहे शहर में

150 से ज्यादा मिनरल वॉटर के अवैध प्लांट संचालित

1 लाख से ज्यादा कैंपर की सप्लाई डेली

112 आरओ प्लांट को ग्राउंड वॉटर डिपार्टमेंट से मिला लाइसेंस

रजिस्टर्ड पैक्ड मिनरल वाटर प्लांट की समय-समय पर जांच की जाती हैलेकिन आरओ प्लांट में 20 लीटर कैन वाटर की पैकिंग नहीं होतीइन पर अब तक कोई नियम व कानून नहीं बनने से इन पर कार्रवाई और जांच करना बहुत मुश्किल है

संजय सिंह, अभिहित अधिकारी, खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन