वाराणसी (ब्यूरो)। शहर में नगर निगम और पीडब्ल्यूडी द्वारा जल्दबाजी और मानक को दरकिनार कर बनाई गईं सड़कें टूटने लगी हैैं। इतना ही नहीं टूट रहीं सड़क और बजरी-गिट्टïी के अलग होने से दो पहिया वाहन चालकों को चोटिल भी होना पड़ रहा है। लिहाजा, अब स्थानीय नागरिक सवाल करने लगे हैैं कि हादसे की आशंका वाली सड़क बनाने से बढिय़ा था की पहले वाली ही सड़क रहने देते।

अंधेरे में बनती रहीं सड़कें
पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर शहर में दिन-रात कार्य चलता रहा। कई जगहों पर रात के अंधेरे तक में रोड बनाने और मरम्मती कार्य जारी रहा। वहीं सुबह मानक के खिलाफ सड़क पाकर स्थानीय नागरिक शिकायत भी दर्ज कराए, लेकिन किसी ने नहीं सुनी। मिनिस्ट्री ऑफ रोड ट्रांसपोर्ट एंड हाईवेज (एमओआरटीएच) के मानकों के मुताबिक सड़कें बनाई जाएं तो सालों साल चलेंगी, लेकिन जिस तरह से काम किया गया है, उसकी निगरानी न की गई तो ये जल्द ही उखड़ कर जस की तस हो जाएंगी।

होना तो यह चाहिए था
सिविल इंजीनियर के मुताबिक रोड बनाने या उनके मरम्मत के दौरान कई प्रोसिजर से गुजरना होता है। नई तकनीक के तहत बीसी (बिटुमिनस कांक्रीट) और डीबीएम ( डेंस बिटुमिनस मैकेडम) से बनाई जानी चाहिए। इसमें क्रमश सड़क से धूल की सफाई, बड़ी गिट्टïी, छोटी गिट्टïी, बारीक गिट्टïी, अलकतरे की परत फिर अलकतरें में पकी गिट्टïी को बिछाकर रोड रोलर से दबाया जाता है। इस प्रकिया में अमूमन एक से दो दिन का समय लग जाता है। जल्दबाजी और नियमों की अनदेखी कर बनाई जाने वाली सड़कें अधिक दिनों तक नहीं चलती है।

दिखती है अनदेखी
पीडब्ल्यूडी और नगर निगम ने शहर के कई हिस्सों मेें रोड का निर्माण और मरम्मत कराया। कई स्थानों पर रातों-रात बनाई गईं सड़कें ऊंची-नीची बनी हैं और स्लोप (ढलान) का अभाव भी साफ दिखता है। जिन सड़कों का चौड़ीकरण किया गया है, वहां डामरीकरण (ब्लैक टॉप) के बाद गाडिय़ां हिचकोले खा रही हैं। कहीं-कहीं तो साइड-वे और पैदल पथ को भी डामरीकरण कर रोड में तब्दील कर दिया गया है।

नहीं है जल निकासी की व्यवस्था
रोड बनाने और इनके मरम्मत के दौरान शहर के कबीरचौरा रोड, कबीरचौरा के समीप के मोहल्ले, रेवड़ी तालाब, भदैनी, अस्सी तिराहा, जेल रोड, पिशाचमोचन के मोहल्ले, भोजूबीर तिराहा, दुर्गानगर कॉलोनी समेत सैकड़ों मोहल्लों में बनाई या मरम्मत की गई सड़क के पाथ-वे पाट दिए गए हैं। इन सड़कों के पास जल निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। रोड का स्लोप भी असरदार नहीं होने से बारिश होते ही जल जमाव की समस्या होगी। यही जल जमाव रोड के विनाश की पटकथा लिखेगा।

कराह उठते हैैं बनारसी
कई महीनों से गड्ढों में हिचकोले खा रहे लोगों को सड़क बनने से राहत तो मिली है, लेकिन सड़कों के ज्वाइंट, सीवर के कैप, डिवाइडर के जोड़, यू-टर्न, कट, चौराहे और पाइपलाइन के चलते सड़क बनाने के दौरान स्लोप और एकरूपता पर ध्यान नहीं दिया गया है। लिहाजा, इन सड़कों से गुजरने पर जर्क और ज्वाइंट के चलते राहगीर कराह उठते हैैं।

कहां गए फुटपाथ
रोड निर्माण के दौरान फुटपाथ को भी नहीं छोड़ा गया है। अधिकारियों की लापरवाही के चलते नागरिकों के फुटपाथ पर डामर डालकर रोड में तब्दील कर दिया गया है। लिहाजा, पैदल राहगीरों के साथ दो पहिया वाहन सवार हादसों का शिकार हो रहे हैं।


कहते हैं अधिकारी
पीडब्ल्यूडी द्वारा सड़क बनाने और मरम्मत के दौरान मानकों का ध्यान रखा गया है। फुटपाथ पर रोड बिछाने, जल निकासी और निम्न क्वॉलिटी की शिकायत मिलेगी तो जांच करायी जाएगी। विभाग की पूरी कोशिश है कि नागरिकों को कोई परेशानी न हो।
सुग्रीव राम, एक्सीएन, पीडब्ल्यूडी, वाराणसी

अब तो कमोबेश हर शहर में ओमओआरटीएच के मानकों के अनुरूप सड़कें बन रहीं हैैं। साथ ही बीसी (बिटुमिनस कांक्रीट) और डीबीएम (डेंस बिटुमिनस मैकेडम) विधि रोड बनाने के प्रचलित हैैं। उपरोक्त मानकों पर बनाई गईं सड़के टिकाऊ और स्मूथ होती हैैं।
अभिषेक कुमार सिंह, सिविल इंजीनियर

लोगों ने भी बताई सच्चाई
अभी पांच-छह दिन पहले ही सड़क बनी है। रात में लोग आए और बनाकर चले गए। फुटपाथ या बैकग्राउंड नहीं बनाने की वजह से सड़क साइड से टूट रही है।
रूद्र कुमार, वरूणा गार्डेन

करीब एक सप्ताह पहले ही हमारी कॉलोनी का स्लोप बनाया गया। बिना सफाई किए और कम अलकतरा डालने से गिट्टïी बिखरने लगी है। चढ़ाई पर गिट्टïी के होने से हादसे हो सकते हैैं।
मनीष गिरी, सिकरौल

कई महीने बाद सड़क भी बनी तो लापरवाही की भेंट चढ़ गई। नई बनी सड़क के दोनों तरफ पानी जमा हो रहा है। भारी वाहनों के गुजरने से सड़क कटनी शुरू हो गई है।
सतीश मौर्य, विद्यापीठ मोहल्ला

करीब सालभर बाद सड़क बनकर दुरुस्त हो गई है। लेकिन डामर और गिट्टïी बिछाकर सड़क चौड़ी कर देने की वजह से फुटपाथ गायब हो गए हैैं। पैदल चलने वाले कहां जाएंगे
-सूर्यकांत पांडेय, अस्सी