-जेएनएनयूआरएम की सिटी बस में से अधिकतर पहुंच गयी हैं वर्कशॉप

-सिटी में नहीं दौड़ पायी लो फ्लोर बसें, रूरल एरिया में भर रहीं फर्राटा

-बस नाम का सिटी बसेस के लिए है वर्कशॉप

प्वाइंटर :::

128

बसें रोडवेज को जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन इनोवेशन मिशन के तहत मिली थीं

32

सीटर सिटी बसों का संचालन शहरी एरिया में पहले वर्ष में किया गया था

50

बसें आज भी वर्कशॉप में बनने के लिए खड़ी हैं

शहर के ट्रांसपोर्ट को नई दिल्ली की तर्ज पर डेवलप करने के लिए बनारस को सात साल पहले सिटी बसों का बेड़ा भेजा गया था। लेकिन हालत यह है कि ये बसें सिटी के ट्रांसपोर्ट की सेहत को सुधारने की बजाए खुद की सेहत खराब कर ली हैं। इनमें से कई बस वर्कशॉप में खड़ी हो गयी हैं, तो अधिकतर सिटी की बजाए रूरल एरिया में दौड़ रही हैं। जिसका फायदा ऑटो ड्राइवर्स उठा रहे हैं। ऑटो बिना रोकटोक शहर में फर्राटे भर रहे हैं। यही नहीं पब्लिक की जेब भी काट रहे हैं। जबकि सिटी बस चलती तो पब्लिक को एक छोर से दूसरे छोर तक आने-जाने में सुविधा मिलने के अलावा उनको किराया भी अधिक नहीं देना पड़ता।

जेएनएनयूआरएम के तहत मिली थी बसें

मेट्रो सिटीज की तरह बनारस के लोगों की सुविधा के लिए सन् 2013 में जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन इनोवेशन मिशन (जेएनएनयूआरएम) से 128 बसें रोडवेज को मिली थीं। इन बसों को अर्बन एरिया में संचालित करना था। इसके लिए अलग वर्कशॉप व कंपनी बनाना था। लेकिन सब बस कागजों तक ही सिमटा हुआ है। शुरुआत के एक साल तक रोडवेज ने सेंट्रल गवर्नमेंट से मिली लो फ्लोर व 32 सीटर सिटी बसों का संचालन शहरी एरिया में किया। इसके बाद खुद की बसें खराब होने पर रोडवेज ने सिटी बसों को रूरल एरिया के रूट पर भेजना शुरू कर दिया। वहीं सिटी में बसों के संचालन के निर्धारित रूट पर इंक्रोचमेंट होने और लंबी बसों को शहर के बीच में ले जाने का संकट भी बहाना बन गया। हालांकि कुछ दिनों बाद तो इन बसों को शहर के कुछ चुनिंदा रूट से भी हटा लिया गया। अब ये बसें केवल रूरल एरिया में ही चलती हैं।

50 से अधिक बस वर्कशॉप में

जेएनएनयूआरएम के तहत सिटी के परिवहन को बड़े शहरों की बनाने के लिए सेंट्रल गवर्नमेंट से मिली बस कुछ दिनों में ही एक के बाद एक बिगड़ने लगीं। हालत यह है कि कुल 128 बसों में से 50 बसें वर्कशॉप में बनने के लिए खड़ी हैं। वहीं 78 बसें ही ठीक हैं। लेकिन इनको शहर में नहीं संचालित किया जाता है। खासतौर लो-फ्लोर व लंबी बस को तो दूसरे जिलों के लिए ही भेजा जाता है। सिर्फ 32 सीटर बस को ही सारनाथ, लंका, एयरपोर्ट, रोहनियां, शिवपुर, चौबेपुर, धौरहरा, कैथी, रामनगर सहित अन्य जगहों के लिए चलाया जाता है।

परमिट हो गया खत्म

रोडवेज की ओर से संचालित सिटी बस में से सात बसों का परमिट तक खत्म हो गया है। खास बात यह कि इन बसों का रोडवेज ने परमिट तक रेन्यूअल नहीं कराया है। जिसके चलते ये बसें वर्कशॉप में खड़ी हैं। इनका संचालन नहीं हो पा रहा है। ऐसे ही अन्य बसों का भी परमिट आगे आने वाले दिनों में एक के बाद एक खत्म होने वाला है। देखना है कि उन बसों के परमिट का रेन्यूअल कराया जाता है या नहीं। बहरहाल बसों के शहर में न चलने से शहरियों को बहुत परेशानी होती है।

गियर बाक्स तो किसी को ब्रेक शू की जरूरत

एक तरह रोडवेज बसों की हालत ठीक नहीं है तो जेएनएनयूआरएम की ओर से मिली बस भी जर्जर स्थिति में पहुंच गयी है। हेड क्वार्टर से बसों के कलपुर्जे बड़ी मुश्किल से मिल रहे हैं। वहीं क्षेत्रीय कार्यशाला में खड़ी बसों के पा‌र्ट्स निकालकर अन्य बसों में लगाकर चलाया जा रहा है। गियर बॉक्स, ब्रेक शू व इंजन की खराबी के चलते बसें वर्कशॉप में खड़ी हो रही हैं। बस किसी तरह जुगाड़ से ही बसों को रवाना किया जा रहा है। यही हाल जेएनएनयूआरएम की सिटी बसों का भी है।

तो पब्लिक की न कटती जेब

मेट्रो सिटीज की तरह बनारस में भी सिटी बसों का शहर में संचालन होता तो पब्लिक को बहुत सुविधा होती। उन्हें ऑटो में सफर नहीं करना पड़ता। बस न होने का फायदा ऑटो ड्राइवर्स उठा रहे हैं। पब्लिक से एक तरफ जहां मनमाना किराया वसूल रहे हैं तो उनको निर्धारित स्थान पर पहुंचने के लिए ऑटो का इंतजार करना पड़ता है। इसी को रोकने के लिए सात साल पहले सरकार ने यहां भी सिटी ट्रांसपोर्ट को मजबूत करने का बीड़ा उठाया था। जो कागज पर सिमट कर रह गया।

एक नजर में योजना

-जवाहर लाल नेहरू नेशनल अर्बन इनोवेशन मिशन के तहत सिटी ट्रांसपोर्ट का संचालन

-सन् 2013 में सेंट्रल गवर्नमेंट की ओर से रोडवेज को बनारस के लिए 128 बसें भेजी गयीं

-इन बसों में 10 लो फ्लोर, 40 लंबी बस, 78 छोटी बस भेजी गयी

-इन बसों का शहर में करना था संचालन

-इसके लिए अलग वर्कशॉप व कंपनी बनाने का था निर्देश

-शहर में ही बस को संचालित करने का था आदेश

-प्रॉपर वर्कशॉप न होने से बसों का नहीं हो पाता मेंटनेंस

::: वर्जन :::

सिटी में बसों का संचालन करने के लिए अन्य विभागों की टीम कार्य करती है। प्रॉपर सहयोग न मिलने से बसों का संचालन शहर में सिर्फ कुछ रूट पर ही हो पा रहा है। जल्द ही शहर के अन्य रूट पर इसका संचालन करने की तैयारी है। बसों को दुरूस्त भी कराया जाएगा।

एसके राय, आरएम

रोडवेज, वाराणसी रीजन