Highlights

इस बार 25 फरवरी को रविदास जयंती पर उनके जन्म स्थली पर फिर से लगेगा मेला

- देश और विदेश से आ रहे हैं लाखों की संख्या में रविदासी

- फिलहाल हजारों रविदासी पहले से ही डेरा डाल चुके हैं सीर में

- रुकने, खाने, पीने सहित दूसरे तरह के हो चुके हैं इंतजाम

- अनुमान है कि इस बार 30 लाख लोगों को लंगर चखाया जाएगा

- हजारों सेवादारों में 1500 खास सेवादार जल्द ही पहुंचेंगे गुरु जन्मस्थली

- 15 हजार लोग एक वक्त में एक साथ बैठ सकेंगे पंगत में

- 24 घंटे चलता रहेगा किचन में काम, वालेंटरी सेवा भी देंगे लोग

सीर में जुट रहे हैं

 एक बार फिर वाराणसी के छोटे से गांव सीर में दुनिया सिमटने को तैयार है। जी हां, संत गुरु रविदास के दर्शनों की आस में देश विदेश में रहने वाले उनके लाखों भक्त सीर में जुट रहे हैं। यहां इंडिया के अलावा अमेरिका, फ्रांस, इंग्लैंड, इटली, स्पेन, हॉलैंड आदि देशों से हजारों श्रद्धालु संत के चरणों में मत्था टेकने आ रहे हैंं। 25 फरवरी को संत रविदास के जन्मदिन पर श्रद्धालुओं की भीड़ अपने चरम पर होगी। इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं के आने के चलते तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। एक अनुमान के मुताबिक इस बार लगभग 30 लाख श्रद्धालुओं के सीर आने की उम्मीद है। इनकी व्यवस्था की कमान 5000 से अधिक सेवादारों के हाथ होगी।

रहने से लेकर खाने तक का इंतजाम

आने वाले श्रद्धालुओं के भीड़ के मद्देनजर रहने से लेकर खाने तक के इंतजामात किये गये हैं। 50 से अधिक पंडाल बनाये गये हैं। व्यवस्था से जुड़े सेवादार पवन कुमार बताते हैं कि तकरीबन 1500 सेवादार आ भी चुके हैं और इनके सीर पहुंचने का सिलसिला लगातार जारी है। उन्होंने बताया कि 25 फरवरी तक हरियाणा, महाराष्ट्र, पंजाब, हिमाचल से सेवादारों का पहुंचना जारी रहेगा।

सबकी होगी अपनी-अपनी ड्यूटी

आने वालों में बहुत से सेवादार ऐसे होते हैं जो यहां सेवा करने की इच्छा जाहिर करते हैं। हालांकि उनकी संख्या के बारे में कोई निश्चित रिकॉर्ड नहीं है। लेकिन इनकी संख्या पांच हजार से कम नहीं होगी। हर सेवादार की अपनी ड्यूटी निर्धारित है। किसी को लंगर की व्यवस्था में लगाया जायेगा तो कोई भीड़ को नियंत्रित करेगा।

चावल से लेकर सब्जी तक पंजाब से

संत रविदास ट्रस्ट की ओर से संचालित पांच दिनों के लंगर में तकरीबन 30 लाख लोगों की व्यवस्था की गई है। अलग अलग पंडालों में एक समय में 15 हजार से अधिक लोग एक साथ पंगत में बैठ सकते हैं। खाने पीने का सारा समान पंजाब से आ रहा है। इसमें चावल, दाल से लेकर नमक, मसाला, सब्जियां तक शामिल हैं। दो ट्रेलर भर कर सब्जियां आ रही हैं। इसमें आलू, प्याज, मटर, शलजम, मूली, गाजर, मिर्च, अदरक, लहसुन आदि शामिल हैं। खाना तैयार करने के लिए पंजाब से चार दर्जन से अधिक हलवाई आये हैं।

देखा है इतना बड़ा किचन!

डीजल चूल्हा भी पंजाब से

एलपीजी गैस की दिक्कत के चलते श्रद्धालुओं के खाना पकाने के लिए डीजल चूल्हे की व्यवस्था की गई है। छह से अधिक डीजल चूल्हे पंजाब से मंगाये गये हैं। इन चूल्हों की खासियत यह है कि इसमें डीजल की खपत जरूरत के अनुसार अधिक या कम की जा सकती है। वैसे दस लीटर डीजल में यह चूल्हा पूरी आंच पर ढाई से तीन घंटे तक जलता है। इस पर खाना भी जल्दी बनता है। इसके अलावा लकड़ी की भट्ठियां भी बनायी गई हैं। इनके लिए सैकड़ों क्विंटल लकडिय़ों की व्यवस्था की गई है।