-हजारों करोड़ का नुकसान हो चुका साड़ी कारोबार का

कोरोना की वजह से बिगड़ी अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए शुरू हुए अनलॉक के बाद भी बनारसी साड़ी कारोबार की हालत सुधर नहीं सकी है। अभी भी यह संकट के दौर से गुजर रहा है। साडि़यों की डिमांड नहीं होने से सात लाख परिवारों की रोजी-रोटी पर संकट के बादल छा गए हैं। पिछले पांच महीने से साड़ी बुनाई बंद है। बुनकर जैसे-तैसे कुछ करके अपना गुजारा कर रहे हैं।

बंद पड़े हैं 40 हजार लूम

बनारसी साड़ी कारोबार से सात लाख लोग जुड़े हुए हैं। 40 हजार हैण्डलूम व पावरलूम पर साडि़यों की बुनाई होती है जो इन दिनों बंद पड़े हैं। बुनकरों के पास साडि़यों का ऑर्डर नहीं है। अगर आ भी जाए तो उन्हें तैयार करने के लिए चीनी रेशम नहीं है। कोरोना वायरस के चलते सिल्क आयात पर प्रतिबंध लगने के बाद बुनकरों के माथे पर चिंता की लकीरें खींच गई हैं। इस बात को लेकर बुनकरों सहित गद्दीदारों में उहापोह की स्थिति है। लॉक डाउन की वजह से पहले ही कल कारखाने बंद होने से 40 हजार हथकरघा ठप हो चूका है।

एक साल पीछे चले गए

बनारसी वस्त्र उद्योग से जुड़े लोगो का कहना है कि हम एक साल पीछे चले गए है। फरवरी से अप्रैल तक बनारसी वस्त्र का पिक सीजन होता है। बनारसी में तैयार 80 प्रतिशत साड़ी देश के दूसरे प्रदेशों में जाती हैं। वहीं 20 प्रतिशत दुनिया के दूसरे देशो जैसे रसिया, कनाडा, गल्फ कंट्री में भी भरी मात्रा में बनारसी साडी की सप्लाई की जाती है।

पेमेंट हो चुका है ब्लॉक

व्यापारियों का कहना है की जहां भी माल भेजा गया है, वहां कहीं भी माल की बिक्री नहीं हुई है। ऐसे में उनकी पूरी पूंजी फंसी हुई है। इसलिए उन्हे पेमेंट तक नहीं मिल पा रहा। अब जो भी माल बिकना है वे नवम्बर-दिसंबर तक ही बिकेगा। शादियों का सीजन खत्म हो चुका है। भले ही अनलॉक हो चुका है, लेकिन धंधा अभी भी पूरी तरह से मंदा ही है। कोरोना काल में बाहर के दूर स्थानीय ग्राहक भी नहीं मिल रहे है। पूंजी के अभाव में माल भी नहीं तैयार हो पा रहा है।

पांच हजार करोड़ का नुकसान

बनारस में बनारसी वस्त्र उद्योग का हर साल का करीब पांच हजार का कारोबार होता है। जो इस बार बिलकुल भी नहीं हुआ। क्यों की बनारसी साडी और वस्त्र का कारोबार लग्न और शादी के सीजन में ही होता है और वो हुआ नहीं। अब सबसे बड़ी चुनौती इससे उबरने की है। जब तक खरीदार का माल खत्म नहीं हो जाता तब तक वो दोबारा माल नहीं खरीद सकता और हम दोबारा बना नहीं सकते।

एक नजर

400

करोड़ का कारोबार है जिले में प्रतिमाह बनारसी साड़ी का

07

सात लाख लोगों की चलती है रोजी-रोटी बनारसी वस्त्र उद्योग से

40

हजार लूम पर बनती है बनारसी साड़ी जिले में

01

लाख से अधिक जुड़े हैं बुनकर

1500

टन आयात होता है सिल्क चीन से हर माह

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कोरोना ने ऐसा वार किया है किया पूरा उद्योग चौपट हो गया है। अनलॉक में भी स्थिति बहुत खराब हो गई है। आगे भी कुछ अच्छा होने की संभावना नहीं दिख रही।

-राजन बहल, महामंत्री- बनारसी साड़ी वस्त्र उद्योग एसोसिएशन

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पूरी पूंजी फंसी हुई है। अब तो पेमेंट मिलना भी मुश्किल हो गया है। शादियों का सीजन खत्म हो चूका है। अब जो भी माल बिकना है वो अगले साल ही बिक पायेगा।

तपेश रस्तोगी, काशी वस्त्र डिवीजन

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बनारसी वस्त्र उद्योग का हर साल का करीब पांच हजार करोड़ का कारोबार होता है। जो इस बार बिलकुल भी नहीं हुआ। क्योंकि बनारसी साड़ी और वस्त्र का कारोबार लग्न और शादी के सीजन में ही होता है।

मनोज बेरी, सचिव-लघु उद्योग भारती

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