-बुनकरों की हड़ताल के चलते लूम पर लटका है ताला,

-डेली 100 करोड़ का कारोबार हो रहा प्रभावित

-फ्लैट रेट पर बिजली की मांग को लेकर बुनकरों की हड़ताल जारी

पहले से ही प्रभावित चल रहा साड़ी कारोबार हड़ताल की वजह से बैठ ही गया है। पांच दिनों में 500 करोड़ का कारोबार प्रभावित हुआ है। बिजली के फ्लैट रेट की मांग को लेकर बुनकरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल चल रही है। इसका असर बाजार पर दिखने लगा है। पॉवरलूम और हैंडलूम में ताला लगा है। साडि़यों के तैयार नहीं होने से अब ऑर्डर कैंसिल होने लगे हैं। बुनकरों की मानें तो बनारस की पहचान बनारसी साड़ी से है, लेकिन वर्तमान में जो स्थिति बनी है इससे इसकी पहचान खतरे में पड़ गई है। पूरे बनारस में डेली 100 करोड़ ऊपर की बनारसी साड़ी तैयार होती है, लेकिन हड़ताल की वजह से सिर्फ नुकसान हो रहा है। बनारस के बुनकर 15 अक्टूबर से हड़ताल पर हैं।

भारी पड़ रहा बिजली का बिल

15 अक्टूबर से जब बुनकरों ने हड़ताल शुरू की तो उसी दिन अपर मुख्य सचिव की ओर शासनादेश जारी किया गया कि उन्हें जुलाई तक पुरानी योजना के तहत ही पेमेंट करना होगा। लेकिन उसमें इस बात का जिक्र नहंी किया गया है कि आगे किस रेट से बिल वसूली होगी। जबकि पिछले बैठक में यह भी तय हुआ था कि अगस्त 2020 से बुनकरों के लिए जो भी नई व्यवस्था बनाई जाएगी वह बुनकरों से बातचीत होने के बाद ही बनेगी। मगर ऐसा नहीं हुई। इससे यह लगता है कि अगस्त से सामान्य रेट से ही बिजली बिल देना होगा। इससे तो लूम ही नहीं बुनकरों के घर भी बिक जाएंगे बिल भरते-भरते।

बिजली विभाग से परेशान

बुनकर सभा के अध्यक्ष इफ्तेखार अहमद का कहना हैं कि बिजली विभाग की तरफ से बुनकरों का लगातार शोषण किया जा रहा है। वे बिजली के कर्ज तले दबते जा रहे हैं। न जाने कितनों बुनकारों पर मुकदमा भी कर दिया गया है। उनका कहना है कि पिछले माह हुए हड़ताल के दौरान तीन सितंबर को सीएम योगी के साथ हुई बैठक में तय कर दिया गया जुलाई 2020 तक पुराने रेट से बिजली बिल वसूला जाएगा। लेकिन एक माह बाद भी लिखित आदेश न आने से बिजली विभाग फिर वसूली पर उतर आया।

अक्टूबर में बढ़ती है डिमांड

बनारसी साड़ी के कारोबार से जुड़े व्यवसायी असफाक अहमद में बताया कि अक्टूबर से दिसंबर के बीच लगन और मांगलिक कार्यो की वजह से बनारसी साडि़यों की डिमांड बढ़ जाती है। कारोबार के लिए ये तीन महीने का समय सबसे पीक सीजन होता है। इन तीन महीनों में हर दिन लगभग 100 करोड़ का कारोबार होता है। हड़ताल के कारण उत्पादन ठप हो गया है जिसके कारण अब ऑर्डर को रद किए जा रहे हैं।

साउथ में सबसे ज्यादा मांग

बनारस की पहचान बनारसी साड़ी दुनियाभर में मशहूर है लेकिन इसके सबसे ज्यादा कद्रदान साउथ इंडिया और वेस्ट बंगाल में हैं। इसके अलावा पड़ोसी देशों में भी इसे पसंद किया जाता है। हड़ताल के कारण साउथ इंडिया और वेस्ट बंगाल के सबसे ज्यादा ऑर्डर व्यपारियों ने कैंसिल किए जा रहे हैं।

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फ्लैट रेट पर बिजली आपूíत की मांग को लेकर बुनकरों का आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक उनकी मांग मान न ली जाती है। हमारी मांग है सरकार ने जो कहा है वो करे। हम लूम बेचकर बिजली विभाग को पैसे नहीं दे पाएंगे। एक दिन में दो लूम पर एक साड़ी तैयार होती है। ऐसे में सारा पैसा बिजली विभाग को देंगे तो उनके पास क्या बचेगा।

इफ्तेखार अहमद, अध्यक्ष, बुनकर सभा यूपी

बनारस के अर्थ व्यवस्था का बड़ा हिस्सा साड़ी कारोबार से जुड़ा है। यहां हर दिन करीब 100 से 150 करोड़ रुपये का कारोबार बनारसी साड़ी के धंधे से जुड़ा है। ऐसे में बुनकरों की हड़ताल बनारसी साड़ी उद्योग को बड़ी आíथक चोट दे रही है। अगर समय रहते इस पर कोई निर्णय नहीं लिया जाता तो आने वाले दिनों में व्यापार को काफी नुकसान होगा।

डॉ। अनूप मिश्रा, आíथक मामलों के जानकार

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हजार करोड़ कारोबार है बनारसी साड़ी का सालान

500

करोड़ का हो चुका है नुकसान अब तक हड़ताल के चलते

200

ऑर्डर कैंसिल हो चुके हैं हड़ताल की वजह से

100

करोड़ का कारोबार होता डेली साड़ी का