-मुंबई और नई दिल्ली से आने वाली ट्रेंस में छह से लेकर 22 नवम्बर तक एक भी कंफर्म सीट नहीं

- कम ट्रेनों के चलते है ये मारामारी, आगे और भी मुश्किल होगी

यदि एक तरफ कोरोना के चलते जहां बहुत सारे लोग ट्रेन में जर्नी नहीं करना चाह रहे तो दूसरी ओर दीपावली और छठ के लिए ट्रेंस ठसाठस हो गयी है। इन दोनों त्योहारों में यूं तो अभी तीन महीने का समय है लेकिन इनका असर ट्रेंस की बुकिंग में अभी से दिखना शुरू हो गया है। 25 अक्टूबर को पड़ रहे दशहरा के लिए भी अभी से मारामारी शुरू हो गई है। आठ नवम्बर से लेकर 22 नवंबर तक दिल्ली और मुम्बई से बनारस आने वाली ट्रेनों में सीट लगभग फुल हो चुकी है। सबसे अधिक मारामारी छठ के बाद वापस जाने के लिए है।

दो ट्रेन में नो रूम

कैंट स्टेशन से मुंबई के बीच चलने वाली महानगरी एक्सप्रेस व मंडुवाडीह से नई दिल्ली के बीच चलने वाली शिवगंगा सुपरफास्ट की हालत तो सबसे बुरी है। छठ में आने के लिए 16, 17 और 18 नवम्बर को तो इन ट्रेन में नो-रूम है। इस बार मारामारी इसलिए भी अधिक है क्योंकि सिर्फ दिल्ली, मुम्बई और सूरत के लिए ही ट्रेनें चल रही हैं। अगर अन्य जगहों के लिए ट्रेनें नहीं चली तो परेशानी और बढ़ जाएगी। हालांकि 31 अगस्त तक ही ट्रेंस को कैंसिल किया गया है।

तब खड़े होकर करना होगा जर्नी

दीपावली और छठ इन दोनों त्योहारों में दूसरे शहरों में रहकर जॉब करने वाले, बिजनेसमैन और स्टूडेंट घर आते हैं। इन सभी के उत्साह पर उस समय पानी फिर जाता है जब घर आने के लिए ट्रेनों में सीट ही नहीं मिलती है। ऐसे में आíथक रूप से मजबूत लोग तो फ्लाइट का सहारा ले लेते हैं, लेकिन सामान्य लोग कंफर्म सीट न मिलने की स्थिति में या तो ट्रेन में खड़े होकर आते हैं या फिर बस का सहारा लेते हैं। हालांकि अभी बनारस से वापस मुम्बई, नई दिल्ली और सूरत जाने के लिए सीट उपलब्ध है।