वाराणसी (ब्यूरो)डिजिटलाइजेशन के दौर में अभी तक आपने प्राइवेट और दिल्ली के सरकारी स्कूलों में ही स्मार्ट क्लास देखा होगाहायर एजुकेशन यानी यूजी, पीजी कराने वाले ज्यादातर कॉलेजेस में अभी भी ब्लैक एंड व्हाइट बोर्ड पर ही पढ़ाई हो रही हैमगर अब ऐसा नहीं हैकॉलेजेस में भी स्मार्ट क्लास के कॉन्सेप्ट के साथ स्मार्ट स्टडी पर जोर दिया जाने लगा हैन्यू एजुकेशन पॉलिसी लागू होने के बाद जिस तरह से कोर्स और स्टडी पैटर्न में बदलाव हो रहा है, उसी तरह से कॉलेजेस में स्मार्ट क्लासेस को लेकर भी प्रबंधन का फोकस बढ़ गया हैइसी क्रम में स्मार्ट सिटी वाराणसी में उदय प्रताप डिग्री कॉलेज (यूपी कॉलेज) में इस सिस्टम को पूरी तरह से फॉलो कर लिया गया हैबनारस का यह पहला ऐसा डिग्री कॉलेज बन गया है, जहां स्टूडेंट्स को डिजिटल प्लेटफार्म पर पढ़ाई कराई जा रही है

क्लास रूम हुआ तैयार

यूपी कॉलेज में अलग-अलग सब्जेक्ट के स्टूडेंट्स के लिए कुल 40 क्लास रूम बनाए गए हैं, जिसमें से 32 क्लास रूम को पूरी तरह से स्मार्ट बना दिया गया हैइसमें हर क्लास रूम में चॉक और ब्लैक बोर्ड को हटाकर बड़ा डिजिटल बोर्ड लगाया गया हैइसके माध्यम से स्टूडेंट्स को पढ़ाया जा रहा है। 13 क्लास रूम को प्रोजेक्टर बेस्ड भी बनाया गया हैडिजिटल बोर्ड को वाई-फाई से कनेक्ट किया गया हैबच्चों को अगर कोई चीज एक बार में समझ नहीं आती है या दूसरे एंगल से समझाना हो तो उसके लिए डिजिटल पेन का भी इस्तेमाल किया जा रहा है

पढऩे में बढ़ा इंट्रेस्ट

अभी तक क्लास के टाइम जिन बच्चों का क्लास करने का मन नहीं होता था, वे क्लास बंक करते थे या कैंपस में घूमते थे, लेकिन जबसे हाईटेक क्लास में डिजिटल स्टडी शुरू की गई है, तब से क्लास में स्टूडेंट्स की संख्या में बढ़ोतरी हुई हैअब बच्चे काफी इंट्रेस्ट लेकर स्टडी कर रहे हैंडीएवी कॉलेज के प्रोफेसर सुधीर राय बताते हैं कि सुनकर समझने की तुलना में देखकर किसी भी चीज को अधिक दिन तक याद रखा जा सकता हैइस स्मार्ट डिजिटल क्लास में भी ऐसा ही हैपढ़ाने का तरीका बदलने से छात्रों में पढऩे की रूचि बढ़ी हैइंटरनेट से जुडऩे की वजह से नए कंटेट भी छात्रों तक आसानी से पहुंच रहे हैंअब प्रोफेसर्स को भी ज्यादा से ज्यादा नए प्रयोग के साथ पढ़ाना होगा

लाइब्रेरी भी डिजिटल

यही नहीं कॉलेज के स्टूडेंट्स के लिए बने लाइब्रेरी को भी पूरी तरह से डिजिटलाइज्ड कर दिया गया हैकरीब 1.5 लाख से भी ज्यादा बुक्स के कलेक्शन वाले इस लाइब्रेरी में एक अलग से ई-लाइब्रेरी बनाई गई हैइसे यूपी गवर्नमेंट के ज्ञान संचय योजना से भी जोड़ा गया हैडिजिटल लाइब्रेरी का लाभ लेने के लिए स्टूडेंट्स को एक यूजर नेम और पासवर्ड प्रोवाइड कराया गया हैइसके इस्तेमाल से वे दुनियाभर की किताबें ऑनलाइन पढ़ सकते हैंइसकी कोई लिमिट नहीं हैइसमें लाखों नहीं करोड़ों किताबों का संग्रह हैवहीं बच्चे अपनी आईडी पासवर्ड के जरिए घर बैठे यह भी जान सकेंगे कि उनके कॉलेज की लाइब्रेरी में कौन-कौन सी किताबे हैं.

हाईटेक हॉल भी तैयार

यही नहीं कॉलेज की जितनी भी लैब्स हैं उनका भी विस्तार किया गया हैइसमे कई तरह के नए और हाईटेक इक्यूपमेंट्स लगाए गए हैंइसके साथ ही एक हाईटेक सेमीनार हॉल के साथ 1000 लोगों की कैपिसटी वाले मल्टीपरपज हॉल बनाया गया हैकॉलेज के प्रोफेसर्स की मानें तो कॉलेज को डिजिटल युग में ले जाने का श्रेय प्रिंसिपल को जाता हैदो साल पहले प्रिंसिपल का कार्यभार संभालते ही प्रोडीके सिंह ने कोरोना काल में ऑनलाइन पढ़ाई की जरूरत को देखते हुए कॉलेज को स्मार्ट बनाने की रूपरेखा तैयार की.

हम समय के साथ चलने का प्रयास कर रहे हैंअब जमाना डिजिटल का है का हैएजुकेशन के क्षेत्र को इस चीज की कितनी जरूरत है ये हमें कोरोनाकाल ने सीखा दिया हैइसी को देखते हुए कॉलेज में स्मार्ट क्लास बनाने के साथ सब कुछ डिजिटल किया गया हैपेपर वर्क को समाप्त कर सब कुछ ऑनलाइन और पेपरलेस कर दिया गया है.

प्रोडीके सिंह, प्रिंसिपल, यूपी कॉलेज