यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज में एडमिशन प्रॉसेस अब तक नहीं लेकिन छात्रसंघ चुनाव की सरगर्मी तेज

छात्रसंघ चुनाव की तैयारी में जुट गए स्टूडेंट्स, रोक के बावजूद शहर भर में लगा रहे बैनर और पोस्टर्स

होर्डिग्स पर भी कर बैठे हैं कब्जा, दीवारों को भी कर रखा है बदरंग

VARANASI

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ व संस्कृत यूनिवर्सिटी सहित कॉलेजेज में एडमिशन का प्रॉसेस अब तक पूरा नहीं हो सका है। वहीं तमाम छात्रनेता अभी से छात्रसंघ इलेक्शन की तैयारी में जुट गए हैं। इसमें कई स्टूडेंट लीडर्स ऐसे भी हैं जिनका खुद का एडमिशन तक नहीं है, लेकिन वह प्रचार-प्रसार में जोरशोर से जुटे हुए हैं। यूनिवर्सिटी व कॉलेजेज के आसपास के अलावा सिटी के प्रमुख चौराहों पर छात्रसंघ के संभावित कैंडीडेट्स की होर्डिग अभी से टंग गई हैं। इतना ही नहीं विभिन्न संस्थाओं में एडमिशन के लिए चल रही काउंसलिंग में छात्रनेता एक्टिव दिखाई दे रहे हैं। कई छात्र संगठनों ने नए स्टूडेंट्स की मदद के नाम पर काउंसलिंग सेंटर के आसपास अपना स्टाल तक लगा रखा है। यहां भी कई स्टूडेंट अपने को विभिन्न पदों के कैंडीडेट घोषित कर रखे हैं।

पानी की तरह बहा रहे पैसा

यूनिवर्सिटीज व कॉलेजेज में लिंगदोह समिति की संस्तुतियों के अनुसार छात्रसंघ इलेक्शन में खर्च की अधिकतम सीमा पांच हजार रुपये निर्धारित की गई है। नियम ये भी है कि चुनाव प्रचार के लिए किसी भी प्रकार की प्रिंटेड सामग्री नहीं प्रयोग की जाएगी। हाथ से लिखे हैंडबिल या कार्ड को यूज किया जा सकता है। जबकि ये नियम सिर्फ फाइलों में नजर आता है। चुनाव लड़ने के उतावले स्टूडेंट्स प्रचार में पानी की तरह पैसा बहा रहे हैं। शहर ही नहीं बल्कि रुरल एरिया और बनारस के आस-पास के एरिया में भी बैनर-पोस्टर से जबरदस्त प्रचार किया जा रहा है।

नहीं बची कोई दरो-दीवार

एक तरफ शहर को क्योटो की तरह नीट एंड क्लीन बनाने की तैयारी चल रही है। दूसरी तरह छात्रनेता इस शहर के दर ओ दीवार को बदरंग करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे। हाइकोर्ट जहां होर्डिग्स हटाने की पैरवी कर रहा है वहीं छात्रनेता दीवारों पर, यूनीपोल पर, होर्डिग्स, चौराहों पर पोस्टर-बैनर चिपका कर शहर की रंगत बिगाड़ रहे हैं। हाल ये है कि अब फ्लाइओवर्स, पानी टंकी के साथ सार्वजनिक स्थलों पर वाल राइटिंग के जरिये रंगत और और खराब किया जा रहा है।

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चौराहों पर चमकाई जा रही राजनीति

हर चौराहे पर पॉलिटिकल पार्टियों ने कर रखा है कब्जा, लगा रखे हैं झंडे और बैनर

पीपीपी मॉडल से चौराहों के सुंदरीकरण अभियान को भी लगा है झटका

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मैदागिन चौराहा

शहर के बीच के इस चौराहे को हाल ही में सेंट जॉन्स एलुमनी एसोसिएशन ने गोद लेकर कायाकल्प किया है। बेहतरीन लाल पत्थर से बने इस चौराहे की खूबसूरती देखते ही बनती है। लेकिन ये चौराहा प्रेजेंट में राजनीति का शिकार। चौराहे को पास के कॉलेज के छात्रनेताओं राजनीति चमकाने का अड्डा बना लिया है। अब चौराहे के पत्थर इन नेताओं के पोस्टर्स से पटे हैं। यहां लगे इलेक्ट्रिक पोल्स पर भी इन नेताओं के होर्डिग्स लगे हैं।

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मलदहिया चौराहा

शहर के चौराहों में मलदहिया चौराहा भी काफी मेन माना जाता है। यहां लगी सरदार पटेल की प्रतिमा के कारण पीएम मोदी ने बनारस में अपने नामांकन जुलूस की शुरुआत यहीं से की थी। जिसके बाद से इस चौराहे पर मानो बीजेपी का कब्जा हो गया है। आये दिन चौराहा भगवा रंग में रंगा नजर आता है और कोई इस पर रोक नहीं लगा पा रहा है।

इन दो चौराहों का तो हमने सिर्फ एग्जाम्पल दिया है। इसके अलावा होर्डिग्स, यूनीपोल्स आदि पर भी नेताओं ने अपना चेहरा चमकाने के लिए बदरंग कर रखा है। इसके बाद भी निगम या प्रशासन चौराहों से नेताओं का कब्जा हटा पाने में फेल है।

हाल में हुआ था सुंदरीकरण

ये सवाल उठना इसलिए लाजिमी है क्योंकि अभी हाल ही में शहर के आधा दर्जन से ज्यादा चौराहों के सुंदरीकरण का काम हुआ था। मेन चौराहों में साजन, रविन्द्रपुरी, पुलिस लाइन, मैदागिन, कचहरी को प्राइवेट संस्थाओं ने गोद लेकर इनका रेनोवेशन कराया था। जिसके बाद रात में इन चौराहों की सुंदरता देख बनारस के लोग व यहां आने वाले सैलानी वाह वाह करते नहीं थकते थे लेकिन इन चौराहों की खूबसूरती पर कई राजनैतिक पार्टियों ने ग्रहण लगा दिया है।

कौन करेगा साफ?

- ये सवाल अहम है कि चौराहों को साफ कराने और इसकी देखरेख की जिम्मेदारी किसकी है?

- ये हाल तब है जब पीएम मोदी ने अपने संसदीय क्षेत्र बनारस को क्योटो बनाने का सपना देखा है।

- पीएम के इस सपने को पूरा करने के लिए मेयर और डीएम क्योटो का दौरा भी कर चुके हैं।

- वहां से लौटने के बाद डीएम और मेयर ने बनारस को क्योटो बनाने के लिए पहला कदम शहर को नो होर्डिग जोन बनाने का आदेश दिया था।

- जिसके तहत नगर निगम ने होर्डिग बैनर और पोस्टर्स को शहर से हटाने के लिए अलग अलग टीमें भी बनाई थीं।

- लेकिन इन टीमों ने क्या काम किया है वो सबके सामने है।

संस्थाएं भी पड़ गई हैं ठंडी

-प्रशासन की ओर से चौराहों को सुंदर बनाने के लिए प्राइवेट संस्थाओं की मदद ली गई थी।

- डीएम के आदेश पर शहर के हर चौराहे को किसी संस्था, अस्पताल या एनजीओ ने गोद ले रखा है।

- गोद लेने के बाद इसका रेनोवेशन और फिर देखरेख की जिम्मेदारी भी इनकी है।

- लेकिन एक दो को छोड़ दें तो अन्य कोई भी गोद लिए गए चौराहों के हालात की जानकारी लेने के बारे में नहीं सोच रहा है।

- जिसके कारण इनकी हालत बिगड़ती जा रही है।

मैंने शहर को राजनैतिक विज्ञापनों से मुक्त करने का लिखित आदेश दिया है। कहा है कि जो पेमेंट करे उसी के विज्ञापन लगे लेकिन ऐसा हो नहीं रहा है। इसलिए मैं अधिकारियों के साथ मिलकर कार्रवाई करूंगा।

रामगोपाल मोहले, मेयर