-पीडि़त की तहरीर पर सिगरा पुलिस ने तीन के खिलाफ दर्ज किया जालसाजी का केस

- सात माह से फरार चल रहा था अभियुक्त, एक अरेस्ट, दो अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर

-रेलवे में टीसी की नौकरी का फर्जी ज्वाइनिंग लेटर भी दे दिया

बेरोजगारी का दंश झेल रहे भोले-भाले लोगों को नौकरी दिलाने के नाम पर अपने जाल में फंसाने का मामला कमिश्नरेट के सिगरा थाने में सामने आया। जालसाजों ने पीडि़तों से 41 लाख रुपए ठगे। जालसाजों ने एक दो नहीं बल्कि 8 बेरोजगारों को रेलवे में टीसी की नौकरी दिलाने का झांसा दिया। जालसाजों ने उनकामेडिकल मुआयना तक करा दिया और ट्रेनिंग के लिए भी भेज दिया गया। जब बेरोजगार युवक अपना ज्वाइनिंग लेटर लेकर ट्रेनिंग करने के लिए पहुंचे तो पता चला कि ज्वाइनिंग लेटर ही फर्जी है। यह सुनकर वो अवाक रह गए। सिगरा थाने में की गई शिकायत के आधार पर पुलिस शनिवार को लखनऊ स्थित सरसवा अर्जुनगंज निवासी आरोपी अमरीश गौतम को गिरफ्तार कर वाराणसी ले आई। प्रकरण में 2 अन्य आरोपियों की तलाश पुलिस कर रही है।

आजमगढ़ के जहानागंज थाना के मुस्तफाबाद के मूल निवासी और वाराणसी में सेंट्रल जेल रोड में रहने वाले दीपक शर्मा ने जनवरी 2021 में सिगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। दीपक के अनुसार वह नौकरी की तलाश कर रहा था। उसी दौरान उसकी मुलाकात प्रतापगढ़ जिले के महेशगंज थाना के बल्ला लरू कुंडा के मूल निवासी और लखनऊ में रहने वाले शैलेश उपाध्याय उर्फ आकाश से मुलाकात हुई। आकाश के माध्यम से वह बिहार के पटना के दानापुर सहटोली गोला रोड निवासी रितेश कुमार गुप्ता और अमरीश गौतम से मिला। तीनों ने उसे और उसके 7 दोस्तों को रेलवे में नौकरी दिलाने का झांसा देकर अपने बैंक खाते में 41 लाख रुपए जमा कराए। तीनों ने अपना जो मोबाइल नंबर और पता दिया था उसी के आधार पर पुलिस से शिकायत की गई थी।

पूछताछ में किया कुबूल

थाना प्रभारी सिगरा अनूप कुमार शुक्ला ने बताया कि पूछताछ में अमरीश से जानकारी मिली कि बेरोजगार युवकों से रितेश खुद को डीआरएम बताता था। अमरीश और आकाश खुद को सेक्शन इंजीनियर बताते थे। तीनों ने साउथ ईस्टर्न रेलवे का फर्जी आईकार्ड भी बनवा रखा था। तीनों के हावभाव से बेरोजगार युवक उनसे आसानी से प्रभावित हो गया।

पीडि़त दीपक ने बताया कि तीनों जालसाजों ने उसका और उसके 7 दोस्तों का मेडिकल टेस्ट करा कर उन्हें फर्जी ज्वाइनिंग लेटर थमाकर टीसी की ट्रेनिंग के लिए भेज दिया। पूर्वोत्तर रेलवे के अफसरों ने उनका ज्वाइनिंग लेटर देखते ही बताया कि फर्जी है और फटकारते हुए भगा दिया। इस पर वह सिगरा थाने गए और पुलिस के सामने पैसे के भुगतान संबंधी बैंक रसीद और फर्जी ज्वाइनिंग लेटर दिखाकर कार्रवाई की मांग की।

पुलिस आरोपी अमरीश की सुरागकशी की जा रही थी। सíवलांस की मदद से लखनऊ में उसके मौजूद होने का पता लगा तो कैंट रोडवेज चौकी इंचार्ज मो। सूफियान खान, एसआई अजीत कुमार, हेड कांस्टेबल राजेश सिंह और कांस्टेबल राकेश सिंह की टीम ने उसे लखनऊ स्थित आवास से गिरफ्तार कर लिया, शेष अन्य 2 आरोपियों की तलाश में जुटी हुई है।