वाराणसी (ब्यूरो)स्मार्ट सिटी बनारस की सड़कों को शहर के पालतू पशुओं ने अपना पिकनिक स्पाट बना लिया हैशहर की कुल 146 सड़कें अब पशुओं की फेवरेट स्पाट बन गई हैंदूध के शौकीन पशु पालकों द्वारा नगर निगम एवं जिला पशु कार्यालय से कुछ शर्तों के आधार पर पशु पालने की इजाजत पाकर पशु पालक इन पशुओं को दूध निकालने के बाद सड़क पर विचरण करने के लिए छोड़ देते हैं, जिस कारण शहर की सड़कों पर आये दिन एक्सीडेंट केस में इजाफा होता चला जा रहा हैजिम्मेदार लोग पूरी तरीके से मौन हैं.

12 हजार पशु हैैं पालतू

शहर के 30 किलोमीटर के रेडिएस में कुल 12 हजार पशु पालतू हैं और दूध देने वाले हंैइनमें सबसे ज्यादा संख्या में गाय हैं, जिन्हें पशुपालक दूध के लिए शहर में पाले हुए हैंइन पशुओं के पालने वाले लोग शर्तों के लिए विभागीय खानापूर्ति करते हुए अनुमति लेने के बाद उन शर्तो को भूल जाते हैं, वहीं इनके कारण आम जनता के साथ राहगीरों को परेशानी उठानी पड़ रही है.

चोरी-छिपे पालते हैैं पशु

शहर के चारों बाहरी इलाकों पर ग्रामीण सीमा लगती हैइसी का फायदा उठाकर चोरी छिपे पशु पालने का खेल चल रहा हैशहर के अंदर पशुओं के फेवरेट स्पाट की बात करें तो सुंदरपुर के गांधीनगर, रोहितनगर, पांडेयपुर, पहडिय़ा, दशाश्वमेध, लंका, लहरतारा, मंडुआडीह, आशापुर, सारनाथ हंै.

सड़कें बनीं दुर्गंधधार

पशुओं के इस अतिक्रमण के बारे में जब पशु चिकित्सा अधिकारी अजय प्रताप सिंह से पूछा गया तो उनका कहना था कि पशु चालक ऐसा जानबूझकर पशुओं के लिए हरे चारे की लालच में करते हैंदरअसल शहरी सीमा में पशुओं के लिए हरे चारे के लिए खेती बाड़ी नहीं होती है, जिसके कारण उन्हें हरा चारा नहीं मिल पाता हैपशु पालक पशुओं को छोड़ देते हैं जिसके कारण वे सब्जी मंडियो में जाकर हरी सब्जियां खाते हैं और पेट भरते हंै.

खानापूर्ति वाला एक्शन

नगर निगम की तरफ से पशुओं को पकड़ कर कांजी हाउस मेें डालने का खेल खानापूर्ति भर हो रहा हैइस बारे में पशु चिकित्सा अधिकारी का कहना है कि हमारी पशुओं को पकडऩे वाली गाडिय़ां बड़ी हैं और हमें मात्र एक दिन में 12 लीटर ही पेट्रोल मिलता है और उस 12 लीटर से जितनी दूर तक हमारी गाड़ी जाती है उतने पशुओं को हम पकड़ पाते हंैवहीं कुछ पशुओं के मालिक जब हमारी टीम जाती है तो अपने पशुओं को हटा लेते हैं.

पशु पालने के लिए अनिवार्य शर्तें

-1 जानवर के लिए 11 स्क्वायर फीट जगह

-100 स्क्वायर फीट जगह ओखडऩे के लिए

-मूत्र, गोबर विसर्जन का जगह

-शहर से बाहर मूत्र, गोबर विसर्जन की जगह

-पशुपालन विभाग से अनुमति एवं कान में टैग

-पशु का बीमा

लोगों के द्वारा अवैध रूप से पशु पालने एवं नालियों में गोबर और मूत्र फेंकने के कारण सीवर जाम हो जाता हैप्रशासन को सख्त एक्शन लेना चाहिए.

इन्द्र बहादुर पटेल, पार्षद, सुंदरपुर

सड़क पर पशुओं के टहलने के कारण आये दिन हादसे होते रहते हंैनगर निगम को सख्त एक्शन लेना चाहिए.

विनीत सिंह, पार्षद, नेवादा

हम लोगों की टीम के द्वारा लगातार पशुओं की धरपकड़ की जाती हैअब जिन भी पशुपालक के दुधारू पशु सड़क पर पाये जायेंगे, उन पर कारवाई तय है.

अजय प्रताप सिंह, पशु चिकित्सा अधिकारी, नगर निगम

महानगर क्षेत्र में पशुओं की धरपकड़ का कार्य नगर निगम का हैहमारे द्वारा पशुओं की गणना एवं उनका बीमा किया जाता है.

राजेश कुमार सिंह, पशु कल्याण अधिकारी, वाराणसी