वाराणसी (ब्यूरो)पांच साल में जनपद की साक्षर महिलाओं की संख्या में छह फीसदी का इजाफा हुआ हैवर्तमान में 77 प्रतिशत महिलाएं लिखने और पढऩे में सक्षम हैंजो महिलाएं साक्षर नहीं हैं, उनमें से अधिकांश गांवों में रहती हैंज्यादातर की उम्र भी 50 वर्ष से ज्यादा हैजिले में साक्षरता दर बढ़ाने के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैंउम्मीद है कि अगले पांच साल में जिले की साक्षरता दर 95 फीसदी के पार चली जाएगीइस वर्ष जारी नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे (एनएफएचएस-5) में खुलासा हुआ है कि 77.2 फीसदी महिलाएं साक्षर हैंपांच साल पहले केवल 72 फीसदी थीं। 22.8 प्रतिशत महिलाएं निरक्षर हैं, जो नाम लिखना और पढऩा नहीं जानती हैंविभिन्न योजानाओं के अंतर्गत महिलाओं को साक्षर बनाने के लिए कार्य किया जा रहा हैबता दें कि महिलाओं को शिक्षित करने के लिए सरकार की ओर से कई योजनाएं चलाई जा रही हैं, ताकि सौ प्रतिशत लक्ष्य को पाया जा सके, लेकिन सर्वे के बाद अधिकारियों और जिला प्रशासन को सोचने की आवश्यकता है

ये है परिभाषा

साक्षरता का अर्थ है पढऩे और लिखने की क्षमता से संपन्न होनाअलग-अलग देशों में साक्षरता के अलग-अलग मानक हैंभारत में राष्ट्रीय साक्षरता मिशन के अनुसार अगर कोई व्यक्ति अपना नाम लिखने और पढऩे की योग्यता हासिल कर लेता है तो उसे साक्षर माना जाता हैइसके अनुसार वाराणसी शहर की 77 प्रतिशत महिलाएं साक्षर हैं, जो अपना नाम लिखना और पढऩा जानती हैंप्राथमिकता और पूर्ण साक्षरता पहल में 15-35 आयु वर्ग को पहले, उसके बाद 35 वर्ष और उससे अधिक आयु के लोगों को साक्षर किया जाएगा.

अब हस्ताक्षर करती हूं

निर्मला ने बताया कि मुझे पढऩे का शौक थास्कूल जाना भी शुरू किया था, मगर पढ़ाई छूट गई, लेकिन अब हस्ताक्षर भी कर लेती हूं और घर का हिसाब किताब भी कर लेती हूं.

अब नाम लिखती हूं

गुड्डी देवी ने बताया कि मैं कभी स्कूल भी नहीं गई, लेकिन सेठ एमआर जैपुरिया स्कूल बाबतपुर में दायी हूंपहले वह कागज पर अंगूठा लगाती थी, लेकिन स्कूल के सहयोग से अब नाम लिख भी लेती हूं और पढ़ भी लेती हूं.