-गंगा के पावन तट पर तीन दिवसीय गंगा महोत्सव का हुआ शानदार आगाज

-दिग्गज कलाकारों ने अपनी कला साधना का नमूना पेशकर शाम को बनाया यादगार

VARANASI: गंगा के पावन तट पर सोमवार को नृत्य संगीत की एक दूसरी ही गंगा प्रवाहमान हुई। मौका था यूपी टूरिज्म की ओर से रविदास घाट पर आयोजित तीन दिवसीय गंगा महोत्सव की पहली शाम का। मुक्ताकाशीय मंच पर एक से बढ़कर एक कलाकारों ने अपनी कला साधना का नमूना पेशकर इसे यादगार बना दिया। फेमस क्लासिकल डांसर सोनल मान सिंह और प्लेबैक सिंगर जावेद अली की शानदार प्रस्तुतियों ने पहले दिन के कार्यक्रम को खास बना दिया। सोनल मानसिंह की घुंघरू की खनक और जावेद के सधे गले के जादू पर जनसमूह देर रात तक झूमता नजर आया।

जीवंत किया सीता स्वयंबर

ओडिसी नृत्यांगना पद्मविभूषण सोनल मान सिंह ने अपने कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से की। उन्होंने मंच पर गंगावतरण, शिव स्तुति, भवानी स्तुति से पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया। उन्होंने शब्दों को भावों के माध्यम से प्रस्तुत किया। अपने कार्यक्रम को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने सूरदास की रचना में कृष्ण के बाल्यावस्था का प्रसंग मंच पर जीवंत किया। राग कलावती में 'मैया मोरी मैं नहीं माखन खायो पर की गई प्रस्तुति ने श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। उन्होंने अपने कार्यक्रम का विराम रामचरित मानस के सीता स्वयंबर प्रसंग से किया। उनकी भावपूर्ण प्रस्तुति में जनक दरबार की जीवंतता उभर कर सामने आयी। गायन में वंकिम सेठी, सरोज पर अबरार हुसैन, बांसुरी पर विजय प्रशन्ना, पखावज पर प्रशांत ने संगत की। प्रकाश संयोजन कुमारी दीपा का रहा।

माहौल में घोला सूफियाना रंग

मौला-मौला फेम प्ले बैक सिंगर जावेद अली मंच पर आए तो दर्शकों की ऊर्जा कई गुना बढ़ा गयी। अपनी प्रस्तुति की शुरुआत फेमस सांग 'कहने को जश्ने बहारा है' से की। इसके बाद मौला-मौला ओ मेरे मौला सुनाया तो दर्शक मस्त मौला हो गए। उन्होंने फिल्म जब तक हैं जां का टाइटल सांग पेश किया तो एक तरफ माहौल रुमानी तो अगले ही पल फैकुन-फैकुन का तराना छेड़कर माहौल को सूफियाना बना दिया। जावेद ने अपने एक से एक फेमस नंबर सुनाकर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। मुम्बई से आया सरगम आरकेस्ट्रा ग्रुप उनकी प्रस्तुति में चार-चांद लगाता रहा।

इनकी मौजूदगी भी रही खास

कल्चरल प्रोग्राम की शुरुआत उस्ताद बिस्मिल्ला खां के भतीजे अब्बास अली के शहनाई वादन से हुई। उन्होंने राग मधुवंती में निबद्ध एक रचना प्रस्तुत की। अपने कार्यक्रम का समापन उन्होंने रघुपति राघव राजाराम भजन सुनाकर किया। कार्यक्रम की अंतिम प्रस्तुति के रूप में तौफीक कुरैशी, रोनू मजूमदार, गाजी खान व पं। राम कुमार मिश्र की जुगलबंदी ने समा बांध दिया। चारों कलाकारों ने अपने वाद्यों पर अपनी कला की उत्कृष्टता पेश की।

दीप जलाकर किया उद्घाटन

गंगा महोत्सव का उद्घाटन पर्यटन मंत्री ओमप्रकाश सिंह ने की। इस दौरान उन्होंने कहा कि काशी कोई मामूली शहर नहीं है। काशी विद्वानों की धरती है। इसके विकास के लिए युवा मुख्यमंत्री बेहद गंभीर है। उनका प्रयास लगातार जारी है। उन्होंने काशी से अपने जुड़ाव के बारे में बताया कि मैं यहीं पला-बढ़ा हूं। मेरे दिल में इस शहर के लिए खास स्थान है। इस दौरान कमिश्नर आरएम श्रीवास्तव, डीएम प्रांजल यादव, आईजी अमरेन्द्र कुमार सेंगर, डीआईजी एसके भगत, एसएसपी जोगेन्द्र कुमार के साथ बड़ी संख्या में पुलिस व प्रशासनिक अधिकारी मौजूद रहे। गंगा महोत्सव के मद्देनजर पूरे घाट को विशेष अंदाज में सजाया गया था। कार्यक्रम निर्धारित समय से डेढ़ घंटे विलम्ब से शुरू हुआ। इसके बावजूद बड़ी संख्या में लोग गीत-संगीत के इस कार्यक्रम का आनंद लेने के लिए घाट पर डटे रहे। संचालन अनीता सहगल ने किया।