- अंध विद्यालय को बंद करके छीने जा रहे अधिकार

- ब्लाइंड छात्रों के भविष्य को अंधेरे में ढकेला

भगवान ने आंखे छीनी, तो पूरे जीवन में अंधेरा छा गया। तभी हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय ने सहारा दिया। विद्यालय में शिक्षा के साथ रहने के लिए घर भी मिला। इस मदद से जैसे जीवन में बहार आ गई। पढ़-लिखकर अधिकारी बनने का सपना संजोने लगे, तभी अचानक विद्यालय की कक्षाएं बंद कर दीं गई और घर से बाहर निकाल दिया गया। एक झटके में सबकुछ लुट गया। एक पल के लिए तो ऐसा लगा मानो कि फिर जिंदगी में अंधेरा छा गया। कुछ समझ में ही नहीं आ रहा था कि कहां जाएं, क्या करें। हम तो सामान्य भी नहीं हैं, जो लोग हमें छत भी किराए पर देंगे। ये दर्द है हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध विद्यालय के ब्लाइंड छात्रों का। वे अपने भविष्य को अंधकार से निकालने की उम्मीद लिए अधिकारियों से लेकर पीएम की चौखट तक गुहार लगा रहे हैं। इस लड़ाई में पूर्व छात्र भी साथ खड़े हैं। वे अब दया नहीं इंसाफ और अधिकार चाहते हैं।

ट्रस्ट ने बंद करने का लिया निर्णय

दुर्गाकुंड स्थित हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध आवासीय विद्यालय 1972 से संचालित है। इसका संचालन श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार सेवा समिति ट्रस्ट करता है। विद्यालय में 250 ब्लाइंड बच्चे पढ़ते हैं। ट्रस्ट ने सन् 2019-2020 में अचानक 9वीं से 12वीं कक्षा को बंद करने का सख्त निर्णय ले लिया। इस निर्णय से करीब 60 छात्रों का भविष्य अंधकार में है।

सरकार ने रोका फंड

राज्य सरकार की ओर से पहले 75 प्रतिशत अनुदान विद्यालय को दिया जाता था। 2014 में कटौती करके 50 प्रतिशत कर दिया गया। 2019-20 में अनुदान की पूरी राशि ही बंद कर दी गई। ट्रस्ट ने अनुदान को वजह मानते हुए स्कूल के 4 कक्षाओं को बंद करने की घोषणा कर दी।

ढूंढ रहे सिर छुपाने के लिए छत

विद्यालय में कोरोना को कारण बताते हुए आवास सुविधा सालों से बंद है। अब 9वीं, 10वीं, 11वीं और 12वीं के छात्रों के आवास में नो इंट्री का बोर्ड लग चुका है। ये छात्र अब सिर छुपाने के लिए छत ढूंठ रहे हैं। मंगलवार को पूर्व छात्रों ने छात्रों को बालाजी ब्वायज हॉस्टल में शिफ्ट कराया।

शिक्षा से मिल सकता है रोजगार

ब्लाइंड छात्रों का कहना है कि वे सामान्य लोगों की तरह शारीरिक श्रम नहीं कर सकते हैं। उनके लिए मात्र शिक्षा ही रोजगार दे सकती है। वे पढ़-लिखकर कोई नौकरी कर लेंगे। उनसे वह भी छीना जा रहा है।

विद्यालय का व्यवसायिक उपयोग का आरोप

विद्यालय के पूर्व छात्र शशिभूषण 'समद' ने आरोप लगाया कि विद्यालय का व्यवसायिक उपयोग किया जा रहा है। यहां कई कार्यक्रम होते हैं लेकिन उससे प्राप्त राशि का उपोयग विद्यालय के छात्रों के हित में न करके निजी में किया जाता है। इतना ही नहीं बच्चों के साथ मारपीट की जाती है। खाना भी अच्छा नहीं दिया जाता है।

बनारसवासियों का मिल रहा साथ

अंध विद्यालय के छात्रों के साथ बनारस के लोग भी जुड़ रहे हैं। इसका नजारा सोमवार को मानव श्रृंखला में देखने को मिला। कई लोग श्रृंखला से जुड़कर अंध छात्रों के समर्थन में खड़े हुए।

तीन हफ्ते से सड़कों पर आंदोलन

वैसे तो ये आंदोलन पिछले 1 साल से चल रहा है, लेकिन पिछले तीन हफ्ते यानी 21 दिनों से सड़कों पर चल रहा है।

- विश्वनाथ टेंपल, बीएचयू से शुरुआत

- लंका गेट में सड़क पर उतरकर प्रदर्शन

- अस्सी घाट में गाना गाकर विरोध कराया दर्ज

- दुर्गाकुंड में मानव श्रृंखला बनाई।

- 1972 से हनुमान प्रसाद पोद्दार अंध आवासीय विद्यालय संचालित

- 1984 में 10वीं कक्षा की सरकार से मान्यता

- 1994 में 12वीं कक्षा की सरकार से मान्यता

- 250 छात्र पढ़ रहे अंध विद्यालय में

- 5 राज्यों के दृष्टिहीन छात्र लेते हैं एडमिशन

- 75 प्रतिशत अनुदान मिलता था राज्य सरकार से

- 2014 में घटकर 50 प्रतिशत अनुदान कर दिया गया

- 2019-20 में राज्य सरकार ने अनुदान कर दिया बंद

- 2020 में ट्रस्ट ने 9 से 12वीं कक्षा को बंद करने का लिया निर्णय