वाराणसी (ब्यूरो)बाल रोग विशेषज्ञ डॉ। कंचन के अनुसार हाल के दिनों में कड़ाके की ठंड पड़ रही है। इसमें कभी-कभी बारिश भी हो रही है। लिहाजा, हास्पिटल्स में सर्दी-खांसी के साथ न्यूमोनिया और कोल्ड डायरिया के चाइल्ड पेशेंट आम दिनों के मुकाबले 10 फीसदी तक बढ़ गए हैैं। उन्होंने कहा कि इस मौसम में बच्चों को सांस लेने में तकलीफ हो तो पैरेंट्स नजरअंदाज न करें। उसे तत्काल भाप दें या तुरंत डॉक्टर को दिखाएं।

मंडलीय हॉस्पिटल के आंकड़े एक नजर में
डेट चाइल्ड पेशेंट एडमिट
19 जनवरी 19 02
20 जनवरी 25 06
21 जनवरी 35 07
22 जनवरी 41 04

बच्चे और वृद्धों पर खतरा
मौसम में बदलाव के कारण कॉमन कोल्ड के केसे 50 से 60 परसेंट तक बढ़ गये हैं। इनमें 2-4 केस में न्यूमोनिया और इतने ही कोल्ड डायरिया के पेशेंट मिल रहे हैैं। सीएमओ डॉ। संदीप चौधरी ने बताया कि न्यूमोनिया एक साल से कम उम्र के बच्चों और 65 साल से ज्यादा उम्र के वृद्धों में होने का खतरा सबसे अधिक होता है। न्यूमोनिया रोटावायरस से होने वाली डायरिया के लिए वैक्सीनेशन मौजूद है, लेकिन इसके बारे में लोगों को ज्यादा जागरूक करने की जरूरत है। इससे निमोनिया के खतरे को टाला जा सकता है। सभी गवर्नमेंट हॉस्पिटल में वैक्सीन मौजूद है।

खतरनाक है न्यूमोनिया
न्यूमोनिया एक प्रकार से फेफड़े का संक्रमण है। आमतौर पर ये कई कारणों से होता है, जिनमें बैक्टीरिया, वायरस और फंगल प्रमुख कारण हैं। सही इलाज नहीं होने से मल्टीपल आर्गेन फेलियर तक का खतरा रहता है। इस बात का विशेष ध्यान रखें कि खुद से कोई एंटी-बॉयोटिक्स या इलाज नहीं करना चाहिये। इससे कई बार पता नहीं चलता कि क्या बीमारी है।

न्यूमोनिया के लक्षण
- तेज सांस चलना
- खांसी
- 10 दिन से अधिक बुखार रहना
- शरीर में दर्द
- सांस लेने में प्रॉब्लम

बरतें ये सावधानियां
- बच्चों को पूरा ढककर रखें
- नवजात को 6 माह तक मां का दूध पिलाएं
- छींक या खांसी आने पर मुंह ढक लें
- अपने हाथों को अच्छी तरह से धोएं
- ज्यादा से ज्यादा पानी पीने का प्रयास करें, ताकि डिहाइड्रेशन न हो

सर्दी के मौसम में छोटे बच्चों में न्यूमोनिया होने का खतरा सबसे ज्यादा होता है। बारिश की वजह से कोल्ड डायरिया के भी लक्षण मिल रहे हैैं। हमारे यहां पर्याप्त बेड और सुविधाएं उपलब्ध हैं। बच्चों को किसी भी प्रकार की स्वास्थ्य समस्या होने पर तत्काल हॉस्पिटल में डॉक्टर से संपर्क करें। स्वयं इलाज और झोलाझाप डॉक्टरों से सावधान रहें।
डॉ प्रसन्न कुमार, एसआईसी, मंडलीय हॉस्पिटल