वाराणसी (ब्यूरो)शहर के पार्क बदहाल हैंकहीं सूखी घास है तो कहीं झूले टूटे हैंरही बात कॉलोनियों और अपार्टमेंट्स के पार्कों की तो वह नगर निगम के पार्क के बराबर तो नहीं होते, लेकिन सोसायटी वाले इन पार्कों की देखभाल खुद करते हैंउनको अपनी वाली पीढ़ी का चिंता हैडिजिटली एरा में ज्यादातर बच्चों ने मोबाइल से दोस्ती कर ली हैडिजिटल गेम्स से फुर्सत मिल जाती है तो थोड़ा बहुत पार्कों में भी टहल लेते हंैहालांकि, मोबाइल, वीडियो गेम्स में लगे रहने के कारण बच्चों में आउटडोर गेम्स को लेकर रुचि नहीं हैतकनीकी के मामले में तो उनकी पकड़ मजबूत हो रही है, लेकिन फिजिकली कमजोर हो रहे हैं

सिद्धगिरी में खुद रखते पार्क को मेनटेन

सिद्धगिरी बाग राजश्री अपार्टमेंट के लोग सोसायटी बनाकर खुद ही पार्क को मेंटेन रखते हैंइसके लिए हर महीने सभी से 1500 रुपए मेंटेनेंस चार्ज लिया जाता हैउसी में से पार्क को भी मेंटेन किया जाता हैपार्क में बच्चों को खेलने के झूले, चरखी लगे हैंसाथ ही पार्क को साफ सुथरा रखा गया हैराजश्री अपार्टमेंट सोसायटी के पदाधिकारी जय प्राधवानी की मानें तो पार्क को मेनटेन करने के लिए नगर निगम से कोई सपोर्ट नहीं मिलता हैअगर मिलता तो पार्क को और डेवलप किया जाता

पार्क को मेनटेन करने बनाई समिति

रविंद्रपुरी के लोगों ने पार्क को मेनटेन करने के लिए रविन्द्रपुरी कल्याण समिति बनाई हैसमिति के पदाधिकारी हर महीने पार्क में न सिर्फ श्रमदान करते हैंबल्कि झूला, जंपिंग, चरखी वगैरह भी लगा रखा हैपार्क में बच्चे काफी कम आते हैंक्योंकि अधिकतर बच्चे मोबाइल में भी व्यस्त रहते हैंशाम को कुछ बच्चे खेलने के लिए आते हैं और थोड़ी देर में वापस चले जाते हैं

मोबाइल दे रहा मोटापा और कमजोर आंखें

डिजिटल एरा में ज्यादातर बच्चों की दोस्ती मोबाइल से हो चुकी हैइसके चलते उनके मानसिक के साथ शारीरिक विकास पर असर पड़ रहा हैस्कूल से फ्री होने के बाद वह पार्क में कम मोबाइल में ज्यादा व्यस्त हो जाते हैंमोबाइल से बच्चे टेक्निकली तो साउंड हो रहे हैं, लेकिन मानसिक विकास रुक जाता हैइसके चलते मोटापा, डायबिटीज, आंखों से कम दिखना जैसी बीमारी काफी तेजी से हो रही है

पार्क में खेलने से दूर होता अवसाद

डॉइंद्रनील बसु का कहना है कि पार्कों में नियमित खेल और व्यायाम करने से बच्चों में होने वाले तनाव को दूर करने में मदद मिलती हैयुवाओं की भांति बच्चे में भी तनाव की समस्या होती हैअगर यह तनाव बचपन में ही दूर न किया जाए तो इससे गंभीर अवसाद की समस्या भी पैदा हो सकती हैऐसे में अन्य बच्चों के साथ मिलकर खेलने कूदने से बच्चों में चिंता और अवसाद की समस्या दूर होती है.

पार्क में खेलने के फायदे

- पार्क में फिजिकली कई बच्चे एक साथ खेलते हैं

- मोटापा कम होता है और कैलोरी बर्न होती है

- पार्क में खेलने से शरीर को धूप मिलती हैइससे बोन को कैल्शियम मिलती है और बोंस मजबूत होती हैं। - खेलने से बॉडी के सारे ज्वाइंट खुल जाते हैं.

हेल्थ रिलेटेड फैक्ट

300 कैलोरी बर्न होती है 1 घंटा बैडमिंटन खेलने से

400-500 कैलोरी बर्न होती एक घंटा फुटबाल खेलने से

350 कैलोरी बर्न होती है एक घंटा क्रिकेट खेलने से

400 कैलोरी बर्न होती है एक घंटा साइक्लिंग से

मोबाइल गेम इफेक्ट

-मोबाइल से बच्चे अपनी एक वर्चुअल दुनिया क्रिएट कर लेते हैं

- लगातार मोबाइल देखने से आंखें कमजोर हो जाती हैं.

- लगातार बैठकर मोबाइल देखने से कैलोरी बर्न नहीं होती.

- बच्चे मोटापा के शिकार हो जाते है.

- ब्रेन पर काफी असर पड़ता हैबोंस का मूवमेंट नहीं हो पाता.

- मोबाइल लगातार देखने से बच्चे मिर्गी के शिकार हो जाते हैं

राजश्री अपार्टमेंट के सभी लोग मिलकर पार्क की देखभाल करते हैंहर महीने अपार्टमेंट के मेंटेनेंस के लिए शुल्क लिया जाता हैउसी में से पार्क को भी मेनटेन किया जाता है.

जय प्राधवानी, मेंबर, राजश्री अपार्टमेंट सोसायटी

सभी पदाधिकारी मिलकर पार्कों की देखभाल करते हैंनगर निगम अगर सहयोग करे तो पार्क का और विस्तार कर दिया जाए.

अनूज डिडवानिया, अध्यक्ष रविन्द्रपुरी कल्याण समिति

पार्क की घास हरी-भरी हैसमिति के पदाधिकारी ही पार्क की देखभाल करते हैंनगर निगम के कर्मचारी सफाई भी नहीं करते हैं

उमाशंकर अग्रवाल, संरक्षक, रविन्द्रपुरी कल्याण समिति

बच्चों के लिए खेलने के पार्क का रहना बहुत जरूरी हैसोसायटी बनाकर पार्क को मेनटेन किया जाता हैनहीं तो गंदगी का अंबार लग जाएगा.

अमृता शाही, मेंबर

पार्क के रहने से आसपास का वातावरण शुद्ध रहता हैखासकर पार्क की घास हरी-भरी रखते हैंइससे पैदल चलने में काफी अच्छा लगता है.

डॉमोहिनी झंवर, पदाधिकारी

आने वानी पीढ़ी के लिए पार्क काफी जरूरी हैंइसलिए पार्क की देखभाल करना सभी की जिम्मेदारी हैनगर निगम के भरोसे नहीं रहना चाहिए.

प्रकाश सोनेजा, पदाधिकारी