वाराणसी (ब्यूरो)इस पर 213 करोड़ खर्च हुआ था, लेकिन यह सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। पीएम नरेंद्र मोदी के विजिट या कुछ खास मेहमानों के आने पर ही यह गुलजार रहता है। बाकी दिनों में यहां सन्नाटा ही छाया रहता है। कहा गया था कि टीएफसी बुनकरों के साथ हस्त और शिल्प कारोबारियों की कमाई में यह मील का पत्थर साबित होगा, लेकिन सच्चाई यह है कि यहां स्टोर चलाना घाटे का सौदा है।

फेसिलिटी खूब, पब्लिक रहती दूर
बुनकरों, कारीगरों और उद्यमियों को उनकी व्यापारिक गतिविधियों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करने के लिए टीएफसी की स्थापना की। इसमें शॉप्स, मार्ट व रेस्तरा हैं। बेसमेंट, ग्राउंड फ्लोर सहित तीन अतिरिक्त फ्लोर बनाए गए हैं। दो स्तरीय बेसमेंट में लगभग 400 वाहनों की पार्किगिं की सुविधा दी गई है। बेसमेंट पर आफिस के अलावा 11 मार्ट, कंवेंशन सेंटर, फूड कोर्ट, 14 दुकानें, पूछताछ केंद्र, प्रवेश प्लाजा, आधुनिक गैलरी, दो हजार लोगों की क्षमता का एंफी थियेटर को बनाया गया। इन सब पर करोड़ों रुपये खर्च हुए, लेकिन सभी जगहों पर दिनभर सन्नाटा रहता है।

टीएफसी में यह भी हैं सुविधाएं
पहली मंजिल पर 13 मार्ट, दो एटीएम, गैलरी, दो रेस्तरां, 14 दुकानें, लाउंज, सिल्क गैलरी, कार्पेट गैलरी, इतिहास और संगीत गैलरी है। दूसरे मंजिल पर व्यापार केंद्र, गेस्ट रूम, व्यापार और सूचना का राष्ट्रीय केंद्र, चार दुकानें, 15 डारमेट्री, आफिस, लाइब्रेरी, रिकार्ड रूम, चलचित्र हाल है। तीसरे मंजिल पर 13 आफिस, व्यापार केंद्र, 15 गेस्ट हाउस, कामन हाल, पैंट्री और आफिस हैं।

लाइट एंड साउंड सिस्टम
टीएफसी में म्युजियम भी है, जहां शहर की सांस्कृतिक-आध्यात्मिक विरासत और कला को थ्रीडी तकनीक के सहारे जिस खूबसूरती से प्रदर्शित किया गया है, उसे देखकर बरबस ही नजरें ठहर जाती हैं। एकबारगी तो यकीन नहीं होता कि दीवारों पर तस्वीर देख रहे हैं या गंगा किनारे खड़े होकर सचमुच के घाट। इसे देखने के लिए भीड़ आती है, लेकिन यह भी विशेष मौकों पर ही। म्युजिम में एक एम्फीथिएटर भी है, जिसे 250 से 300 मेहमानों के बैठने की सुविधा है।

लोगों को जानकारी ही नहीं है

सुविधाएं तो बहुत अच्छी हैं, लेकिन पब्लिक नहीं आती है। बहुत से लोगों को जानकारी ही नहीं है कि टीएफसी में शॉपिंग की जा सकती है। शहर के लास्ट छोर है, इसलिए बहुत से लोगों को पता ही नहीं है। अगर इसका प्रचार-प्रसार हो तो इसका मकसद सफल होगा।
-शिखा पांडेय, शॉप कीपर

मुझे शॉप लिये तीन साल से अधिक हो गया है। जब पीएम या अन्य कोई वीआईपी मूवमेंट होता है तभी अच्छी बिक्री होती है। बाकी समय तो सिर्फ टाइम पास ही होता है। अगर यही मेन शहर में होता तो जबर्दस्त भीड़ रहती।
-पूजा मौर्या, शॉप कीपर

मैं तो पहली बार अपनी फ्रेंड के साथ आई हूं, जो शिवपुर की रहने वाली है, जबकि मेरा घर तो सुंदरपुर है। यहां तो फूड कोर्ट, शॉपिंग, म्युजियम, पार्क समेत सब कुछ है। मुझे जानकारी ही नहीं है। अब तो बार-बार आऊंगी।
-आयुषी राय

-बहुत अच्छा है, लेकिन शहर से बहुत दूर है। यहां सब कुछ है, लेकिन इसकी जानकारी बनारस के लोगों को नहीं है। अगर इसका प्रचार-प्रसार अच्छे से हो तो यहां जबर्दस्त भीड़ होगी।
-माधुरी गुप्ता


टीएफसी के इंचार्ज ने कहा
शुरुआत में अच्छा रिस्पॉंस था। म्युजियम से भीड़ आ रही है, लेकिन कोविड की वजह से तोड़ा प्रभावित है। स्थिति सामान्य होने पर पब्लिक आएगी। इसका प्रचार-प्रसार भी किया जाएगा। शहर के लोग टीएफसी के बारे में जानते हैं।
-वीरेंद्र मौर्या, इंचार्ज टीएफसी