वाराणसी (ब्यूरो)सरकारी अस्पतालों की अव्यवस्था के कारण मरीजों की जान तक जाने लगी हैमंगलवार को मानसिक अस्पताल के 25 वर्षीय अज्ञात मरीज की मौत हो गईअचानक सुबह सांस लेने में तकलीफ होने पर उसे इलाज के लिए पंडित दीनदयाल अस्पताल लाया गयामरीज की गंभीर हालत को देखते हुए कबीरचौरा मंडलीय अस्पताल रेफर कर दिया गयालेकिन, एंबुलेंस में आक्सीजन और अन्य प्राथमिक उपचार के साधन नहीं होने के कारण उसने रास्ते में ही दम तोड़ दियाइसके साथ ही मानसिक अस्पताल व डीडीयू अस्पताल प्रबंधन सवालों के घेरे में आ गया है.

मौत में लापरवाही आई सामने

जानकारी के मुताबिक जिस मरीज की मौत हुई थी, वह एक साल पहले मानसिक अस्पताल लाया गया था और उसका इलाज चल रहा थाबताया जाता है कि मंगलवार की सुबह जब उसने खाना खाया तो थोड़ी देर के बाद सांस की तकलीफ उपस्थित अटेंडेंट को बताई, जिसके बाद उसे डीडीयू में भर्ती कराया गयाविडंबना ये रही कि डीडीयू में उसका प्राथमिक उपचार तक सही तरीके से नहीं करके मंडलीय अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गयाइतना ही नहीं जिस एंबुलेंस से मरीज को लाया गया, उसमें न तो ऑक्सीजन सिलेंडर था और न ही अन्य प्राथमिक उपचार के साधन, जिसके बाद मरीज ने रास्ते में ही दम तोड़ दिया.

पिछले पांच जून से सिलसिला जारी

पिछले माह पांच जून से मानसिक अस्पताल में मौत का सिलसिला जारी हुआ है जो इस महीने पांच जुलाई को भी जारी रहा हैमानसिक अस्पताल में अब तक छह मौतें हो चुकी हैंइसको लेकर पूर्व में प्रशासन ने संज्ञान लेते हुए अस्पताल में जांच के आदेश तक दे दिए थेजांच के दौरान प्रारंभिक दौर में अस्पताल प्रबंधन की व्याप्त अनियतिताएं मिली थीं, जिसके बाद एक कर्मचारी को निलंबित भी किया गया था.

तीन कैदी भी हुए थे फरार

बता दें कि पिछले एक महीने के भीतर तीन कैदी भी फरार हुए, जिसमें दो को वापस लाने में सफलता मिली, जबकि एक अब तक फरार हैइतना ही नहीं पहले कैदी के फरार होनेे के दौरान एक अन्य मानसिक मरीज की कर्मचारियों ने जमकर पिटाई की थी, जिसके बाद इलाज के लिए उसे भर्ती कराया गया था.

मरीज सुबह से सांस की समस्या बता रहा था, जिसके बाद डीडीयू में इलाज के लिए भेजा गयावहां प्राथमिक उपचार तो किया गया, लेकिन बिगड़ते हालत को देखते हुए मंडलीय अस्पताल ले जाया गया, लेकिन वो बच नहीं पाया.

-डॉलिली, निदेशक, मानसिक अस्पताल

मानसिक अस्पताल के मरीज को जब डीडीयू लाया गया था तब उसकी स्थिति अच्छी नहीं थीमैंने खुद देखा थाइसके बाद उसे मंडलीय अस्पताल रेफर किया गया, लेकिन यह कहना सही नहीं होगा कि एंबुलेंस में ऑक्सीजन नहीं था.

डॉआरके सिंह, सीएमएस