वाराणसी (ब्यूरो)आपने फरवरी 2009 के बाद दस लाख से अधिक खर्च करके सपनों का महल बनवाया है तो श्रम विभाग में कुल लागत का एक प्रतिशत उपकर (सेस) जमा करना होगाजनपद में बीते माह दस लाख रुपये खर्च करके घर बनवाने वाले 20 लोगों को चिहिंत किया गया हैश्रम विभाग की ओर से चिंहित लोगों को नोटिस भेजा गया है.

एक प्रतिशत टैक्स

उपकर से प्राप्त धनराशि श्रमिकों के हित में संचालित योजनाओं में खर्च किया जाएगाभारत सरकार के 1996 भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार अधिनियम के तहत एक प्रतिशत सेस लेने का प्रावधान है, इसे प्रदेश में वर्ष 2009 से लागू किया गया थाइसके बाद से तीन नवंबर 1996 के बाद आवासीय निर्माण दस लाख रुपये से ज्यादा होने पर एक फीसदी टैक्स देना होगाआवासीय के अलावा किसी भी तरह के निर्माण पर कुल लागत का एक प्रतिशत सेस देना होगा, चाहे वह निर्माण निजी हो या सरकारीआवास विकास और अन्य निर्माण एजेंसियों से पहले ही एक प्रतिशत टैक्स लिया जा रहा हैइसके बाद ही उनकी ओर से प्रस्तुत नक्शा पास होता हैभवन मालिकों को चिहिंत करने के बाद नोटिस जारी किया जाएगाइसमें सेस चुकाने की समय सीमा भी तय होगी

भवन स्वामियों पर कार्रवाई

सहायक श्रमायु1त सुविज्ञ सिंह ने बताया कि निर्धारित अवधि तक सेस का भुगतान न करने पर भवन मालिक को सेस की रकम का दो प्रतिशत ब्याज हर महीने देना पड़ता हैकिसी भवन मालिक को आपत्ति होने अथवा निर्माण लागत 10 लाख रुपये से कम होने पर कार्यालय में संपर्क कर अपना पक्ष रख सकता हैभवन मालिक की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य देखने के बाद सेस माफी के संबंध में फैसला लिया जा सकता है

नक्शा पास होने के दौरान श्रम विभाग में सेस कर अग्रिम जमा करना होता हैसेस कर जमा किये बगैर मकान का निर्माण कार्य कराने का संज्ञान आने पर संबंधित को श्रम विभाग से नोटिस भेजा जाता हैइसके बाद संबंधित से 24 प्रतिशत ब्याज और 100 प्रतिशत जुर्माने की वसूली की जाती हैइसकी लगातार समीक्षा की जा रही है.

सुविज्ञ सिंह, सहायक श्रमायुक्त