-अस्सी के हरिश्चंद्र घाट पर लकड़ी ढोने की फोटो हुई थी सोशल मीडिया पर वायरल

बाल श्रम के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के दावे की पोल रविवार को काशी के अस्सी के हरिश्चंद्र घाट पर खुल गई। यहां वह बच्चे काम करते देखे गए, जिनकी उम्र अभी पढ़ने और खेलने की है। उम्र के इस नाजुक से दौर में 5 बच्चे घाट पर शवों को जलाने के लिए लकड़ी ढोने से लेकर अन्य काम भी करते पाए गए। पांचों बच्चों की फोटो सोशल मीडिया पर वायरल हुई तो उत्तर प्रदेश राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग गंभीर हो गया। रविवार को आयोग के निर्देश पर बाल कल्याण अधिकारी और अस्सी चौकी इंचार्ज की टीम मौके पर पहुंच गई और उन्हें हरिश्चंद्र घाट से सारनाथ स्थित शेल्टर होम ले गई। शेल्टर होम ले जाने से पहले पांचों बच्चों के आरटीपीसीआर भी कराए जाने की बात बाल कल्याण अधिकारी ने कही।

काम करना मजबूरी

पांचों बच्चे मूल रूप से पश्चिम बंगाल के रहने वाले हैं। इनकी उम्र 10 से 12 साल की है। पांचों बच्चों ने बताया कि वह अपने माता पिता के साथ हरिश्चंद्र घाट और उसके आसपास के गंगा घाटों के समीप ही रहते हैं। घर में रहने और खाने की कोई ठोस व्यवस्था न होने के कारण काम करना मजबूरी है।

शेल्टर होम में दाखिल किया

जिला बाल संरक्षण अधिकारी निरूपमा सिंह ने बताया कि बच्चों से काम करने के लिए किसने कहा जब यह सवाल किया गया तो उन्होंने बताया कि ऐसा करने के लिए उन्हें किसी ने बुलाया नहीं था, वह खुद आए थे। अस्सी चौकी इंचार्ज दीपक कुमार और बाल कल्याण अधिकारी की टीम ने बच्चों की काउंसिलिंग की और उन्हे बाल कल्याण समिति के सामने प्रस्तुत कर सारनाथ स्थित शेल्टर होम में दाखिल किया।

बच्चों के पुनर्वास की व्यवस्था कराई जाएगी। बच्चों के परिजन जिस भी सरकारी योजना से लाभ ले सकते हैं, उनसे बात कर उन्हें उसके बारे में समझाया जाएगा। इसके अलावा पांचों बच्चों की काउंसिलिंग कराई जाएगी। बच्चे पढ़ें और समाज के मुख्य धारा में शामिल हों, यही प्रयास है।

निरूपमा सिंह, जिला बाल संरक्षण अधिकारी, वाराणसी