-कोविड महामारी के चलते बनारस नहीं आ रहे मेहमान
-जनवरी से जुलाई तक महज 555 विदेशी टूरिस्ट ही बनारस पहुंचे 1,25,882 डोमेस्टिक सैलानियों के चलते बढ़ी थोड़ी चहल पहल
कोरोना महामारी का सबसे बड़ा इफेक्ट पर्यटन उद्योग पर पड़ा है। जनवरी महीने में जहां स्थिति सामान्य हुई तो टूरिस्ट प्लेसेस के गुलजार होने की उम्मीद जगी, लेकिन जैसे ही सेकेंड वेब की आहट सुनायी दी वैसे ही टूरिस्ट गायब हो गए। हइस बीच डोमेस्टिक टूरिस्ट ही बनारस आ रहे थे। विदेशी ग्रुप तो सिर्फ नाम के थे। उधर टूरिस्ट के न आने से होटल, गेस्ट हाउस और लॉज में सन्नाटा छा गया। पर्यटन से जुड़ी विमान सेवाएं, टूरिस्ट गाइड और ट्रैवेल्स एजेंसी संचालकों की स्थिति काफी दयनीय हो गयी। अब सितंबर महीना आ गया है लेकिन अतिथियों का पता नहीं है। अगर यही स्थिति रही तो आने वाला टूरिस्ट सीजन भी सन्नाटा भरा ही रहेगा।
डोमेस्टिक ज्यादा फारेनर कम
पूरे देश में फैली महामारी के चलते बनारस के टूरिस्ट प्लेसेस पर मेहमानों की आवाजाही पूरी तरह से ठप है। हालांकि जनवरी से जुलाई के बीच फारेनर्स से ज्यादा डोमेस्टिक टूरिस्ट बनारस आए। फिलहाल एक साल तक स्थिति सामान्य होने की उम्मीद दिखाई नहीं पड़ रही है। जिससे बनारस के टूरिस्ट प्लेसेस से लेकर होटल, गेस्ट हाउस व लॉज में सन्नाटा ही छाया हुआ है। अनलॉक के साथ ही टूरिस्ट प्लेसेस, होटल, गेस्ट हाउस और लॉज खुलने तो लगा है लेकिन टूरिस्ट के न आने से यहां पहले जैसा माहौल नहीं दिख रहा है। हालांकि ट्रेन व फ्लाइट के चलने से डोमेस्टिक टूरिस्ट की बनारस में फ्लो बढ़ा है।
मार्च में बढ़ी थी रफ्तार
कोविड महामारी का प्रकोप कम होते ही टूरिस्ट के आने की रफ्तार तेज हो गयी थी। लेकिन जैसे ही सेकेंड वेब की शुरुआत हुई वैसे ही लोग घरों में दुबक गए। मार्च 2021 में विदेशों से 249 व देशभर से 20175 मेहमान बनारस आए। लेकिन मई आते आते विदेशी 37 तो घरेलू सैलानी सिर्फ 2056 ही घुमने पहुंचे।
गंगा घाट से सारनाथ तक सियापा
ठंड मे विदेशी तो गर्मी में डोमेस्टिक टूरिस्ट यहां सबसे ज्यादा आते हैं। लेकिन कोविड लहर के कारण दोनों तरह के टूरिस्ट का बनारस के टूरिस्ट प्लेसेस को देखने नहीं आ पा रहे हैं। बनारस के टूरिस्ट प्लेसेस में सारनाथ, गंगा घाट, रामनगर किला, विश्वनाथ मंदिर, संकटमोचन मंदिर आदि में सबसे ज्यादा टूरिस्ट आते हैं। लेकिन कोविड के कारण यहां भी कमी आ गयी है। सुबह और शाम गंगा घाटों पर पर्यटक दिखाई पड़ते हैं लेकिन कोरोना के कारण सियापा छाया हुआ है। यही हाल सारनाथ सहित अन्य पयर्टक स्थलों का भी है।
खाली दौड़ रहे क्रूज
गंगा की लहरों से बनारस को निहारने के लिए टूरिज्म डिपार्टमेंट क्रूज संचालित कर रहा है। लॉकडाउन के बाद अनलॉक होते ही क्रूज का संचालन स्टार्ट हो गया है। लेकिन उसके सीट की बुकिंग होने में समस्या आ रही है। सीट बुक न होने के पीछे कोविड प्रोटोकॉल भी है। टूरिस्ट का फ्लो बढ़े तो सीटों की बुकिंग की संख्या में इजाफा हो जाए। हालांकि जब टूरिस्ट आए तो उस समय कोविड व बाढ़ के चलते क्रूज का संचालन ही नहीं हो रहा था।
इन देशों से आते हैं टूरिस्ट
जनवरी से अप्रैल तक यूएसए, ब्रिटेन, जर्मनी तो जुलाई से सितंबर स्पेन, इटली और फ्रांस के टूरिस्ट ज्यादा आते थे, ये सभी देश कोविड 19 से पूरी तरह प्रभावित हैं, ऐसे में संभव है अगले एक साल तक इन देशों से लोग भारत भ्रमण पर नहीं आएंगे। कमोवेश यही हाल अन्य देशों का भी है। वैसे बनारस में विदेशियों के आने का समय अगस्त से फरवरी तक पीक पर होता है।
वर्जन
कोरोना महामारी के चलते बनारस के टूरिस्ट प्लेसेस पर बड़ी कम संख्या में सैलानी पहुंच रहे हैं। हालांकि डोमेस्टिक टूरिस्ट के आने से थोड़ी चहल पहल बढ़ी है। लेकिन जब तक स्थिति सामान्य नहीं होगी तब तक विदेश से टूरिस्ट का फ्लो कम ही रहेगा।
अविनाश चंद्र मिश्रा, ज्वाइंट डायरेक्टर , टूरिज्म डिपार्टमेंट
सन् 2019 में आए टूरिस्ट
मंथ विदेशी भारतीय
जनवरी 40462 345402
फरवरी 40156 385626
मार्च 43362 378851
अप्रैल 35657 272584
मई 18620 301117
जून 8425 251668
जुलाई 15981 378682
सन् 2020 में आए टूरिस्ट
मंथ विदेशी भारतीय
जनवरी 37156 255015
फरवरी 35202 268260
मार्च 33603 293076
अप्रैल 00 00
मई 00 00
जून 00 1384
जुलाई 00 1926
सन् 2021 में बनारस आए टूरिस्ट
मंथ विदेशी भारतीय
जनवरी 43 20655
फरवरी 28 16973
मार्च 249 20175
अप्रैल 95 17558
मई 37 2056
जून 31 16354
जुलाई 72 32111