वाराणसी (ब्यूरो) जब वाराणसी के मंडी में हमारी दुकानें ही नहीं और हमें मंडी परिषद से किसी भी प्रकार की सुविधा ही नहीं मिलती है तो हम किस बात का मंडी शुल्क देंइन दिनों यही सवाल विश्वेश्वरगंज के व्यापारी सरकार से पूछ रहे हैंव्यापारियों में मंडी शुल्क को लेकर काफी आक्रोश है और वे किसी भी रूप में मंडी शुल्क स्वीकार करने के पक्ष में नही हैंइसके लिए लगातार प्रदर्शन भी कर रहे हैंव्यापारियों ने पूछा है कि सरकार दोहरी नीति क्यों अपना रही हैसरकार के दोहरे रवैये का खामियाजा वाराणसी के किराना व्यापारियों के समेत अन्य गल्ला व्यापारियों को भी भुगतना पड़ रहा है

जानबूझ कर लिया फैसला

व्यापारियों के मुताबिक सरकार ने जानबूझ कर ऐसे समय इसे लागू किया है जब आचार संहिता लागू हो जाए और व्यापारियों का आन्दोलन अपने आप ही ठण्डे बस्ते में चला जाएकिराना व्यापार समिति के अध्यक्ष मनोज पाण्डेय कहते हैं कि जब हम मण्डी परिषद कि कोई सेवा ही नहीं लेते तो मण्डी शुल्क किस बात का दें? ये व्यापारियों पर अनर्गल अन्यायपूर्ण कानून थोपा जा रहा है, जो व्यापरियों को कभी मंजूर नहीं होगा

8 जून 2020 को हटा था

वाराणसी के व्यापारियों से मिली जानकारी के मुताबिक मंडी शुल्क 8 जून 2020 को बंद कर दिया गया थाउसे फिर से 10 दिसंबर 2021 को लागू कर दिया गया हैव्यापारियों का साफ तौर कहना है कि उन्हें यह मंडी शुल्क किसी भी हाल में स्वीकार नहीं हैव्यापारियों ने मंडी शुल्क लेने की घोषणा को तत्काल प्रभाव से वापस लेने को कहा है

व्यापार होता है प्रभावित

व्यापारियों की मानें तो मंडी शुल्क से व्यापार अधिक प्रभावित होता हैअन्य राज्यों में मंडी शुल्क नहीं लिए जाने के कारण वाराणसी के बाजारों में ग्राहकों का आना कम हो रहा हैउनका कहना है कि हमने तो अभी जीएसटी के जंजाल को भी नहीं समझा हैआए दिन जीएसटी के नियमों में बदलाव होने से ये कई व्यापारियों की समझ के बाहर हो गया है और अब ऐसे में मंडी शुल्क काटने से ग्राहकों को यहां से मंहगा माल मिलता हैइसका हमें नुकसान उठाना पड़ रहा है

1.5 प्रतिशत देना होता है शुल्क

जानकारी के मुताबिक मंडी परिषद को हर महीने 1.5 प्रतिशत मंडी शुल्क देना होता हैडेढ़ प्रतिशत में एक प्रतिशत मंडी और आधा प्रतिशत विकास शेष शुल्क देना होता हैव्यापारियों ने कहा कि अगर यह शुल्क हम देंगे तो जिंसों का भाव बढ़ेगा और इससे महंगाई बढ़ेगीयहां सात राज्यों से प्रतिदिन कस्टमर आते हैंऐसे में आने वाले दिनों में कस्टमर की कमी हो जाएगी

कई बार कर चुके हैं प्रदर्शन

मंडी शुल्क के विरोध में वाराणसी के किराना व्यापारी लगातार प्रदर्शन कर रहे हैंहाल ही में बाइक रैली निकाल कर सरकार के फैसले को चुनौती दी गई हैइस आंदोलन रैली में किराना, गल्ला, तिलहन, सुर्ती, सुपाड़ी, लकड़ी व अन्य संगठनों ने खुल कर सरकार के खिलाफ आवाज उठाई है

केस दर्ज करने की धमकी

पिछले महीने जब प्रधानमंत्री नरेेंद्र मोदी वाराणसी आए थे तब किराना व्यापार समिति की ओर से एक पत्र देने की कोशिश हुई थी, लेकिन मौके पर गए व्यापारियों को मुकदमा दर्ज करा देने की धमकी देकर प्रधानमंत्री तक नहीं जाने दिया गया

मंडी शुल्क पूर्ण रूप से अवैध हैयह सरकार की मनमानी का एक उदाहरण है, जो हम व्यापारियों पर थोप रही हैहम इसका तब तक विरोध करते रहेंगे, जब तक इसे वापस नहीं लिया जाता

अशोक कसेरा, महामंत्री किराना व्यापार समिति

मंडी शुल्क लगने से महंगाई बढ़ेगी और अपने आप ही ग्राहकों में कमी हो जाएगीवाराणसी की मंडी बहुत बड़ी है, यहां अन्य राज्यों से भी ग्राहक सामान लेने आते हैं

गोपाल प्रसाद गुप्ता, सदस्य, किराना व्यापार समिति

मंडी शुल्क हटने के बाद बहुत राहत मिली थीहम पहले से ही जीएसटी देते आ रहे हैंइसका पैमाना हमें तो समझ नहीं आता है क्योंकि आए दिन इसमें नियमों में बदलाव होता है

रमेश कुमार, सदस्य, किराना व्यापार सदस्य

जब से मंडी शुल्क दोबारा लागू होने की बात कही गई है, हम सभी व्यापारी बहुत टेंशन में हैंअगर यह मंडी परिषद के प्रांगण में होता तो हम देते, लेकिन हम मंडी में नहीं हैं, इसके बाद भी शुल्क लेने का औचित्य नहीं है

नारायण केसरी, सदस्य, किराना व्यापार समिति

कृषि कानून लगने के बाद मंडी शुल्क सरकार की ओर से हटा लिया गया था और अब कानून को रद्द करने के बाद फिर से लागू कर दिया गया है, जो समझ से परे है

सत्येंद्र अग्रवाल, महामंत्री, काशी खाद्य मंडल

नए कृषि कानून के तहत मंडी स्थल के बाहर मंडी शुल्क खत्म हो गया था, लेकिन कृषि कानून खत्म होने के कारण मंडी परिसद के बाहर भी कृषि उत्पाद का कारोबार करने वाले व्यापारियों पर मंडी शुल्क बहाल कर दिया गया

डीके वर्मा, मंडी सचिव