-नदेसर एरिया है ब्लैक फिल्म कारोबार का हब, दुकानदार बिना रोक-टोक गाडि़यों पर चढ़ाते हैं ब्लैक फिल्म
-एडीजी ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर भी ब्लैक फिल्म चढ़ाने वाली दुकानें रहती हैं गुलजार
ब्लैक फिल्म के खिलाफ पुलिस प्रशासन के अभियान की गाड़ी बेपटरी हो गई है। सीट बेल्ट नहीं लगाने वाले कार चालकों पर नजर गड़ाए रखने वाले ट्रैफिक विभाग के जवानों को ब्लैक फिल्म वाले वाहन नहीं दिखते। जबकि शहर की सड़कों पर हर पांच से दस मिनट के अंतराल पर ब्लैक फिल्म चढ़ाए गाडि़यां फर्राटा भरते दिख जाएंगी। खास बात यह है कि एडीजी जोन ऑफिस से चंद कदम की दूरी पर ही गाडि़यों में ब्लैक फिल्म लगाने वाले कारोबारियों का गढ़ है। नदेसर एरिया काली फिल्म सहित मोटर पार्ट्स का हब माना जाता है। पूर्वाचल भर की गाडि़यां यही सजती संवरती हैं। देखने में यही आता है कि यहां जितनी भी नई गाडि़यां आती हैं उनके लिए सबसे अधिक डिमांड ब्लैक फिल्म की होती है।
डेली 40-50 हजार का इनकम
नदेसर एरिया में मोटर पार्ट्स की लगभग दो-ढाई सौ दुकानों पर काली फिल्म अवेलेबल मिल जाएगी। सुप्रीम कोर्ट के रोक के बावजूद यहां गाडि़यों में खुलेआम ब्लैक शीशा चढ़ाने की चाहत वाहन स्वामियों की पूरी होती है। कुछ दुकानदार चोरी छिपे लगाते हैं तो कुछ खुलेआम ब्लैक फिल्म चढ़ाने पर अपनी शान, बान समझते हैं। एक कारोबारी की मानें तो ढाई सौ दुकानों में रोजाना लगभग 40-50 हजार रुपये की कमाई सिर्फ काली फिल्म चढ़ाने से होती है।
एक हजार से पांच हजार तक रेट
कुछ तो भौकाल के लिए, जबकि कुछ वाहन स्वामी गाड़ी में शीशा को स्क्रैच से बचाने के लिए ब्लैक फिल्म का यूज करते हैं। अच्छे क्वालिटी के ब्लैक फिल्म दो से ढाई हजार तक आते हैं। वैसे एक हजार से लेकर पांच हजार रुपये तक के ब्लैक फिल्म मोटर पार्ट्स की दुकानों पर अवेलेबल मिल जाएंगे। इनकी कभी जांच-पड़ताल भी नहीं होती है। प्रतिबंधित ब्लैक फिल्म की बिक्री रोकने के लिए ट्रैफिक विभाग ने भी कभी अभियान नहीं चलाया।
बाहुबली को कौन रोकेगा?
लग्जरी वाहनों पर ब्लैक फिल्म चढ़ाकर और रूलिंग पार्टी का झंडा लगाकर चलने वाली गाडि़यों की संख्या मौजूदा समय में अनगिनत हो गई हैं। अकेले सिर्फ जिला मुख्यालय सहित कचहरी में पुलिस प्रशासन अभियान चलाए तो कम से कम पचास गाडि़यों पर ब्लैक फिल्म चढ़े मिल जाएंगे। अधिकतर गाडि़यां सत्ता पक्ष से जुड़े माननीय सहित बाहुबलियों की होती हैं। जिन्हें रोकने का साहस पुलिस विभाग में नहीं होता है। ट्रैफिक विभाग चाहते हुए भी इन पर रौब नहीं झाड़ पाता।
एक नजर
1000-5000
रुपये तक है ब्लैक फिल्म का रेट
200-250
मोटर पार्ट्स की दुकानों पर बिक रहा ब्लैक फिल्म
10
मिनट के गैप पर रोड पर दिखते हैं ब्लैक फिल्म लगे वाहन
ब्लैक फिल्म चढ़ाए वाहनों पर कार्रवाई का चाबुक शुरू हो गया है। मेगा अभियान में भी कई वाहनों का चालान काटने से लेकर ब्लैक फिल्म तक उतारा गया है।
सुरेश चंद्र रावत, एसपी ट्रैफिक