सेंट्रल जेल रोड पर दो सौ से अधिक काटे गए बड़े पेड़

अभी 75 पेड़ और काटने की चल रही है तैयारी

आशापुर और फुलवरिया आरओबी के अलावा कोनिया फ्लाईओवर के लिए भी काटे जा चुके हैं 700 पेड़

बदलते बनारस में सरकार की करीब 200 परियोजनाओं से शहर की सड़कों से लेकर गलियों में विकास कार्य चल रहा है। लेकिन इसकी कीमत भी चुकानी पड़ रही है। हरियाली खत्म हो रही है। शहर कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है। अब तक एक हजार पेड़ विकास की बलि चढ़ चुके हैं। वर्तमान समय में जेपी मेहता से लेकर शिवपुर सेंट्रल जेल रोड पर पेड़ों की कटाई हो रही है। यहां लोक निर्माण विभाग की ओर से सíवस रोड को चौड़ा करने का काम चल रहा है। इसके लिए करीब 212 पेड़ काटे गए हैं। अभी 75 पेड़ को काटने की तैयारी चल रही है। पीपल, बरगद, जंगल जलेबी, नीम व अशोक आदि के वर्षो पुराने पेड़ काटे गए हैं। इस रोड पर 300 से अधिक पेड़ों को काटने की अनुमति वन विभाग से ली गई है। इसके पहले आशापुर और फुलवरिया आरओबी के अलावा कोनिया फ्लाईओवर के लिए 700 पेड़ काटे गए हैं।

लगाने होंगे पेड़

विकास के बदले जीवन देने वाले पेड़ काटे तो जा रहे हैं लेकिन इसकी भरपाई भी करनी होगी। शासन की ओर से हरियाली को बनाए रखने की बात कही है। पेड़ काटने के लिए शर्त रखी गई है। एक पेड़ को काटने के बदले 10 पेड़ लगाना जरूरी है। वन विभाग के अनुसार प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद संबंधित कार्यदायी संस्था उसी रोड पर या जनपद में किसी और जगह पर पेड़ दस गुना पेड़ लगा सकता है।

वर्जन

सड़क चौड़ीकरण के दौरान ज्यादातर पेड़ कटते हैं, जो पर्यावरण की दृष्टि काफी नुकसानदेय है। विकास कार्य के चलते वाराणसी में सैकड़ों पेड़ कटे हैं लेकिन इससे बीस गुना ज्यादा पेड़ लगा दिए गए हैं। अभी जुलाई महीने में जिले में 15 लाख से अधिक पेड़ लगाए गए हैं, जिसमें पीपल, बरगद, जंगल जलेबी, नीम व अशोक शामिल हैं।

-एनपी सिंह, रेंजर, वाराणसी

नो प्लांट, नो लाइफ। हमारे जीवन के लिए पेड़ बहुत जरूरी हैं। जीने के लिए ऑक्सीजन, औषधि, अन्न की आवश्यकता होती है, जो पेड़ से ही मिलता है। जितना घना वृक्ष होगा, उतना ही आक्सीजन देगा। वैसे एक अनुमान के मुताबिक एक घना बरगद का पेड़ से 100 से अधिक लोगों को अक्सीजन देता है। इसके अलावा कार्बनडाइ आक्साइड समेत प्रदूषण को आ‌र्ब्जव करता है। पूरी लाइफ आक्सीजन लेने के लिए एक व्यक्ति को दस पेड़ जरूर लगाना चाहिए।

-डा। बीडी त्रिपाठी, पर्यावरणविद्,

-213

पेड़ जेपी मेहता से शिवपुर रोड काट गए हैं।

-75

पेड़ जेल रोड पर और काटने की तैयारी चल रही है।

700

- पेड़ काटे गए आशापुर और फुलवरिया आरओबी के अलावा कोनिया फ्लाईओवर के लिए

-800

से अधिक बड़े वृक्ष आजमगढ़ रोड पर काट गए थे चौड़ीकरण के दौरान

1200

से अधिक पेड़ आशापुर से संदहा गाजीपुर तक काटे गए थे।

-20 हजार से अधिक पेड़ गाजीपुर और आजमगढ़ रोड़ पर लगाए गए हैं।

-15 लाख से अधिक पौधे जुलाई महीने में पूरे जनपद में लगाए गए थे।

ट्री प्लांटेशन कारगर नहीं

देश में सिर्फ दिल्ली सरकार ने वृक्ष-प्रत्यारोपण यानी ट्री प्लांटेशन नीति को मंजूरी दी है। इससे पहले मुंबई जैसे शहरों में यह प्रयोग किया गया था, जो नाकाम साबित हुआ। पर्यावरणविद् डॉ। बीडी त्रिपाठी के अनुसार ट्रांसप्लांट जैसी तकनीक 8 या 10 साल पुराने पेड़ों पर तो कारगर हो सकती है, लेकिन आपको बहुत पुराने पेड़ों पर इसे नहीं आजमाना चाहिए। क्योंकि वो पेड़ नई जगह पर बचेंगे ही नहीं। ऊष्ण कटिबंधीय इलाकों में तो पेड़ों को इस तरह प्रत्यारोपित नहीं किया जा सकता। यह समझना होगा कि वाराणसी में ज्यादातर पेड़ काफी पुराने हैं जिनकी उम्र सौ साल से अधिक है। ऐसे पेड़ों को ट्रांसप्लांट करने के लिए आप उन्हें कैसे निकालेंगे जिनकी जड़ें काफी फैली हों? फिर आपको उनकी विशाल शाखाओं को काटना होगा। उसके बाद आप इन पेड़ों को ले जाकर कहीं लगाएंगे तो क्या वह बचेंगे।