-10वीं व 12वीं में फेल हुए 2440 स्टूडेंट्स

-हाईस्कूल में 1175 व इंटर में 1265 विद्यार्थी हुए असफल

-इंटरनल असेसमेंट, प्रैक्टिकल में अनुपस्थित छात्र ही हुए अनुत्तीर्ण

यूपी बोर्ड के दसवीं व बारहवीं का रिजल्ट जहां बहुत सारे स्टूडेंट्स के लिए राहत भरा रहा है। वहीं इस बोर्ड में करीब 2440 स्टूडेंट्स फेल भी हुए हैं। इसमें दसवीं में करीब 1175 व बारहवीं में 1265 स्टूडेंट शामिल हैं। अब सवाल उठता है कि जब स्टूडेंट एग्जाम में अपीयर ही नहीं हुआ तो फेल कैसे हो गया। दरअसल यूपी बोर्ड के दसवीं व बारहवीं की भी परीक्षाएं कोविड महामारी की भेंट चढ़ गई। परीक्षाएं निरस्त करने के साथ ही बोर्ड ने पिछली कक्षाओं के आधार पर परीक्षाíथयों को एवरेज मा‌र्क्स देने का डिसीजन लिया। इसके तहत बोर्ड ने स्टूडेंट्स के कक्षा-नौ से 12 तक अर्धवाíषक, वाíषक, प्री-बोर्ड व यूनिट टेस्ट का विवरण मांगा था। वहीं बाद में इंटर का रिजल्ट 50, 40 व 10 के फार्मूले के आधार पर बोर्ड ने तैयार किया। अर्थात कक्षा दस के 50 परसेंट मा‌र्क्स, कक्षा-11 अर्धवाíषक परीक्षा का 40 परसेंट, शेष दस परसेंट प्री-बोर्ड के मा‌र्क्स के आधार पर इंटर के छात्रों को औसत अंक दिया गया है। दसवीं में भी कुछ फार्मूला लागू किया गया था। अब फेल वह स्टूडेंट हुए जो आंतरिक मूल्यांकन, प्री-बोर्ड, अर्धवार्षिक व प्रैक्टिकल परीक्षाओं में अनुपस्थित रहे।

रिजल्ट सुधारने को दे सकते हैं एग्जाम

बोर्ड के मुताबिक सन् 2021 के लिए रजिस्टर्ड स्टूडेंट्स को अंक सुधार के लिए एग्जाम में बैठने का मौका दिया जाएगा। इसके लिए छात्रों को बिना फीस दिए एक विषय या एक से अधिक विषयों के लिए आगामी बोर्ड परीक्षा में बैठने का मौका दिया जाएगा। ऐसे छात्रों का रिजल्ट वर्ष 2021 ही माना जाएगा।

महामारी ने किया नुकसान

मेधावी स्टूडेंट्स का औसत अंक में नुकसान हुआ। मेधावी विद्यार्थियों की नजर एक-एक अंक पर टिकी हुई होती है। वहीं औसत अंक में मेधावी विद्यार्थियों को शामिल कर लिया गया है लेकिन परिस्थितियों को देखते हुए ज्यादातर मेधावियों को इसे लेकर कोई शिकायत नहीं है।