वाराणसी (ब्यूरो)। बनारस में शिक्षा अध्ययन के लिए दूर-दूर से छात्र आते हैं। वह यहां बड़ी उम्मीदें और सपने लेकर आते हैं। लेकिन कुछ शिक्षा माफिया शिक्षा स्तर को ध्वस्त करने में जुटे हुए हैं। एडमिशन के नाम पर वह अभिभावकों से वसूली तो करते ही हैं, साथ ही बच्चों का शारीरिक शोषण करने से भी बाज नहीं आते हैं।

सनसनीखेज खुलासा
ताजा मामला लंका थाना क्षेत्र का है। जहां पुलिस ने बीएचयू के सीएचएस और एनसीसी में एडमिशन दिलाने के नाम पर पांच नाबालिग बच्चों से अप्राकृतिक कुकर्म करने वाले वहशी मुरारीलाल गौड़ को गिरफ्तार किया है। पूछताछ के बाद उसने की सनसनीखेज खुलासे किए हैं। जिसे जानकर आपके भी होश उड़ जाएंगे।

बनवाता था फर्जी पत्र
पूछताछ के दौरान मुरारी ने बताया कि वह बच्चों का एडमिशन कराने के नाम पर फर्जी पत्र तैयार करवाता था। इनके लिए वह प्रिंट और इंटरनेट का काम करने वाली दुकानों का इस्तेमाल करता था। उसने दो दुकानों को अपने साथ साझा कर रखा था। दुकान संचालक फर्जी पत्रों को बिल्कुल असली दिखने जैसे पत्रों को बनाने के लिए 600 से 800 रुपए तक लेते थे।

पुलिस ने दो को उठाया
पूछताछ के बाद पुलिस ने ऐसे दो दुकान संचालकों को पूछताछ के लिए उठाया था। जिसमें बरेका के समीप दुकान संचालक भानू मौर्य और लंका थाना क्षेत्र निवासी संजय नामक दुकान संचालक शामिल है। पुलिस इन दोनों से पूछताछ कर मामले की गहनता से जांच में जुटी हुई है। आरोपी इनसे स्कूल का फर्जी लेटर पैड व प्रवेश के लिए फर्जी पत्र आदि बनवाता था।

शिक्षक से मिलकर कराता था एडमिशन
इतना ही नहीं बताया जा रहा है कि, गिरफ्तार आरोपी मुरारी का संपर्क सीएचएस के एक शिक्षक से था। जिससे मिलकर वह बच्चों का एडमिशन कराता था। पिछले वर्ष उसी शिक्षक की मदद से उसने दो बच्चों के एडमिशन कराए थे। पुलिस शिक्षक का पता लगाने के लिए भी दबिश दे रही है। ताकि रैकेट का पूरी तरह पर्दाफाश किया जा सके।

चलाता था कोचिंग
आरोपी मुरारी एनसीसी में एडमिशन दिलाने के नाम पर बच्चों को दो-दो माह की कोचिंग भी देता था। कक्षा में कोर्स पूरा होने के बाद वह बच्चों के अभिभावकों को बच्चों के फिजिकल टेस्ट की बात कहता था। जिसके बाद वह बच्चों को जंगल की तरफ एकांत में ले जाता था। जहां उन्हें अपनी हवस का शिकार बनाता था।

बताता था एनसीसी कर्मचारी
अभिभावकों को फंसाने के लिए वह खुद को एनसीसी का कर्मचारी बताता था। यही नहीं वह इस बात को साबित करने के लिए खाकी रंग के कपड़े भी पहनता था। जब भी वह किसी से मिलता था तो बकायदे एनसीसी की ड्रेस और आर्मी रंग की टोपी लगाता था। ताकि किसी को उस पर शंका न हो।

थाना प्रभारी ने बताया
मामले में जब थाना प्रभारी लंका से बात की गई तो उन्होंने बताया कि, अभी पूछताछ के आधार पर मामले की जांच की जा रही है। आरोपी फर्जी प्रमाण पत्र किससे बनवाता था, अभी यह साफ नहीं हो सका है। जब उनसे यह पूछा गया कि, जिनको उठाया गया था, उनसे क्या बात सामने आई। इस पर उन्होंने सीधे उत्तर न देकर कहा कि, वह ऐसे ही है। अभी उनके नाम साफ नहीं है कि कौन लोग हैं। जांच की जा रही है।