वाराणसी (ब्यूरो)। देश के शहरों में साफ हवा को लेकर कराए गए सर्वे का रिजल्ट सामने आया है, जिसमें वाराणसी की रैंकिंग काफी खराब है। वाराणसी को 31वीं रैंक मिली है, जबकि पिछले साल 11वें स्थान पर था। 20 पायदान नीचे जाने के बाद वाराणसी की वायु गुणवत्ता पर सवाल उठाने लगा है। हालांकि, उत्तर प्रदेश ने स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 के परिणामों में शानदार प्रदर्शन किया है। कैटेगिरी वन में दस लाख से ज्यादा आबादी वाले शहर थे। इनमें आगरा को तीसरा स्थान मिला है। कैटेगिरी टू में वे शहर थे, जिनकी आबादी तीन से 10 लाख के बीच थी। इसमें फिरोजाबाद को पहला और झांसी ने तीसरा स्थान प्राप्त किया है। तीन लाख से कम आबादी वाले शहर तीसरी श्रेणी में शामिल थे। इनमें रायबरेली को पहला स्थान मिला है।
पहले स्थान पर डायमंड सिटी सूरत
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण 2024 में डायमंड सिटी सूरत ने पहली रैंकिंग हासिल की है, जिसने 131 अन्य शहरों को पीछे छोड़ दिया है। सूरत नगर निगम ने पिछले साल की तुलना में पीएम 10 प्रदूषण को 12.71 प्रतिशत कम करने में सफलतापूर्वक सफलता प्राप्त की है। दूसरे नंबर पर जबलपुर शहर ने अपनी बादशाहत बरकरार रखी है। जबलपुर ने शहर की सड़कों को और अधिक सुन्दर और साफ-सुथरा बनाने के लिए 40 किलोमीटर की नई सड़कों का निर्माण कराया है। साथ ही वायु गुणवत्ता में 27 प्रतिशत से अधिक का सुधार किया है, जिसके कारण केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जबलपुर को शत प्रतिशत अंक दिए गए हैं। इसके बाद यूपी के आगरा ने तीसरा स्थान हासिल किया है। ताजमहल के लिए मशहूर आगरा ने जो सफलता हासिल की है, उसमें नियमित पौधरोपण अभियान, प्रदूषण मानदंडों का उल्लंघन करने वाले मोटर वाहनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई और स्थानीय नागरिक निकाय की ओर से की गई अन्य पहलों ने शहर की रैंकिंग में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
8 नंबर से चूक गया बनारस
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण-2024 में 200 नंबर के आधार पर रैंकिंग घोषित की गई। वाराणसी को टोटल 200 में से 192 नंबर ही मिला। मात्र आठ नंबर से बनारस चूक गया। वाराणसी नगर निगम के अनुसार आठ नंबर कम मिलने की कई वजह हंै। इसके लिए नगर निगम के साथ बिजली विभाग और आरटीओ भी जिम्मेदार है। आठ में तीन नंबर तो नगर निगम के कूड़ा निस्तारण में शत-प्रतिशत सफलता नहीं मिलने की मुख्य वजह है। इसके अलावा पांच नंबर के लिए बिजली विभाग व आरटीओ विभाग की वजह से नहीं मिला। ज्यादा पॉवर कट होने की वजह से जेनरेटर का इस्तेमाल ज्यादा किया गया। इसके धुआं से वायु गुणवत्ता पर असर पड़ा। इसके साथ ही शहर में वाहनों से निकले वाले धुएं की वजह से वायु गुणवत्ता प्रभावित हुई। हालांकि वायु गुणवत्ता के लिए 15 प्रतिशत सुधार का टारगेट मिला था, जबकि नगर निगम ने 22 प्रतिशत तक सुधार किया। अन्य शहरों ने और अच्छा काम किया होगा, इसलिए वे आगे निकले गए।
इन वजहों से हो गए पीछे
नगर निगम वाराणसी ने शहर की सड़कों को और अधिक सुन्दर और साफ-सुथरा बनाने के लिए काफी प्रयास किया। शहर में नियमित सफाई भी होती है, लेकिन खराब सड़कों से धूल उडऩे की वजह से वायु गुणवत्ता प्रभावित हुई। सड़कों के किनारे पौधरोपण नहीं किया गया। इस पर वर्क किया गया होता तो शहर की वायु गुणवत्ता में और अधिक सुधार की उम्मीद रहती।
4 स्थानों पर सेंसर
शहर के प्रमुख स्थानों पर स्थापित कंटीन्यूअस एंबिएंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग सिस्टम (सीएएक्यूएमएस) डिस्प्ले स्टेशनों के माध्यम से नागरिकों को वायु गुणवत्ता की जानकारी दी जा रही है। वाराणसी नगर निगम की ओर से अर्दलीबाजार, बीएचयू, भेलूपुर और मलदहिया पर सेंसर लगाया गया है। इन चार जगहों पर सतत प्रयासों से शहर नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत एक स्वच्छ और स्वस्थ वातावरण की ओर तेजी से अग्रसर हो रहा है।
स्वच्छ वायु सर्वेक्षण में 10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों में नगर निगम वाराणसी को 31वीं रैंकिंग मिली है। सर्वेक्षण में देश के 131 शहरों ने प्रतिभाग किया था। पिछले साल की रैंकिंग से कुछ वजह से हम पिछड़ गए हैं। आगे सुधार करने का प्रयास किया जाएगा।
- अक्षत वर्मा, नगर आयुक्त
फैक्ट एंड फीगर
10 लाख से अधिक आबादी वाले शहरों के बीच हुई प्रतिस्पर्धा
200 नंबर के आधार पर हुई रैंकिंग
192 नंबर वाराणसी को मिले
रैंकिंग में गिरावट के लिए नगर निगम के साथ बिजली विभाग और आरटीओ भी जिम्मेदार