वाराणसी (ब्यूरो)आज का यूथ अध्यात्मिक जरूर हो गया है, लेकिन मंदिर की विधाओं और परंपराओं से वह काफी दूर हैराम, ऊं नम: शिवाय, रुद्राक्ष धारण कर माथे पर त्रिपुंड लगाकर मंदिरों में दर्शन-पूजन करना उनके लिए फैशन सा हो गया हैयही नहीं दर्शन-पूजन के बाद फस्र्ट इम्प्रेशन जमाने के लिए सेल्फी लेना और फेसबुक, इंस्टाग्राम पर अपलोड करना प्रियॉरिटी में हैयही वजह है कि वह मंदिर में होने वाले परंपराओं से अनभिज्ञ हैं.

काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव

बाबा कालभैरव को काशी का कोतवाल कहा जाता हैमान्यता है कि बिना इनकी अनुमति से काशी में प्रवेश भी नहीं कर सकते हैंयही वजह है कि पीएम, सीएम और डीएम जब भी काशी में प्रवेश करते हैं तो सबसे पहले बाबा कालभैरव के यहां दंडवत होते हैं और इनसे अनुमति लेने के बाद ही कोई और काम करते हैं.

नजरों से मुक्ति को चढ़ाते तेल

बाबा कालभैरव में दर्शन-पूजन करने के लिए काफी संख्या में यूथ पहुंचते हैैंउनको प्रसाद चढ़ाते समय तेल भी दिया जाता है लेकिन बाबा को तेल क्यों चढ़ाया जाता है इसके बारे में यूथ ही नहीं कई ऐसे भी भक्त होते हैं उनको पता नहीं होताप्रसाद में से तेल निकालकर कहीं रख देते हैं और प्रसाद चढ़ाकर सीधे घर लेकर चले जाते हैंजबकि तेल बाबा को चढ़ाना जरूरी होता है, क्योंकि हर बाधाओं से बाबा मुक्त करते हैंनजर, कालादोष जिसको लगा होता है, 7 बार अपने सिर पर से तेल उतारने के बाद बाबा को चढ़ा देने से हर तरह की बाधाएं व नजर दोष से मुक्ति मिल जाती है.

बाबा स्वयंभू हैं

बाबा कालभैरव मंदिर के महंत आचार्य पंराजेश मिश्रा ने बताया कि बाबा कालभैरव हजारों साल से काशी में वास कर रहे हैंवह स्वयंभू हैंछोटा या फिर बड़ा काम करने से पहले बाबा से अनुमति लेना जरूरी होता हैलेकिन, आज के युवा को मंदिर के विधाओं के बारे में जानकारी नहीं होतीबस वह मंदिर में दर्शन-पूजन के बाद सेल्फी लेने में मशगूल हो जाते हैैंऐसा मंदिर परिसर में नहीं करना चाहिए.

बाबा के क्रोधाग्नि से जलती है श्मशान की अग्नि

पंराजेश मिश्रा ने बताया कि बाबा कालभैरव की क्रोधाग्नि से श्मशान की अग्नि जलती है और यह अग्नि 24 घंटे तक जलती रहती हैयह अग्नि आंधी, तूफान से भी नहीं बूझती हैइसके बारे में बहुत कम ही युवा जानते हंैमंदिर में अगर दर्शन करने आए हैं तो मंदिर के बारे में भी जानना जरूरी होता है.

विश्वनाथ धाम में सेल्फी लेने की होड़

विश्वनाथ धाम बनने के बाद यूथ के लिए ललिताघाट सेल्फी प्वाइंट का हब बन गया हैबाबा का दर्शन पूजन करने के बाद यूथ की मंडली सीधे ललिताघाट की ओर पहुंचती हैइसके बाद माथे पर त्रिपुंड लगाए सेल्फी लेने की होड़ लगी रहती हैकोई गंगद्वार गेट के पास स्माइल के साथ सेल्फी लेने में मशगूल रहता है तो कोई घाट की सीढिय़ों पर अपनी मंडली के साथ सेल्फी लेने के लिए व्यस्त रहता हैयहीं नहीं कई यूथ तो अहिल्याबाई होल्कर और शंकराचार्य की प्रतिमा के पास बैठकर सेल्फी लेने से नहीं चूकतेसेल्फी लेने के बाद हर एक फोटो फेसबुक, इंस्टाग्राम, और एक्स पर अपडेट करने से नहीं चूकते.

आज के यूथ अध्यात्म जरूर हुए हैं लेकिन उनको मंदिर के विधाओं के बारे में जानकारी ही नहीं हैमंदिर में दर्शन-पूजन करने के बाद सेल्फी लेने में मशगूल हो जाते हैंमंदिर परिसर में सेल्फी लेना उचित नहीं है.

आचार्य पंराजेश मिश्रा, महंत, बाबा कालभैरव

यूथ मंदिर की परंपराओं और विधाओं को जान सकें, इसके लिए मंदिर में प्रोग्राम शुरू किए हैंसिर्फ सेल्फी लेना ही महत्वपूर्ण नहीं बल्कि परंपराओं को जानना भी अनिवार्य है.

विश्व भूषण मिश्रा, सीईओ, श्री काशी विश्वनाथ मंदिर