- ब्रेकथ्रू ने 9 राज्यों में किया ऑनलाइन रैपिड सर्वे

- महिलाओं पर बढ़ा काम का बोझ और लड़कियों की पढ़ाई पर भी पड़ा असर

वाराणसी। कोविड और लॉकडाउन का असर जहां लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ा है, वहीं इनसे महिलाओं और लड़कियों के जीवन पर कई अन्य तरह से भी प्रभाव डाला है। इसकी वजह से महिलाओं पर हिंसा में बढ़ोत्तरी देखी गई है। वहीं उन पर काम का बोझ भी बढ़ गया है। लड़कियों की पढ़ाई भी छूटी है, जिससे उन पर कम उम्र में शादी का दवाब भी बढ़ गया है। हाल ही में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाली स्वंयसेवी संस्था ब्रेकथ्रू द्वारा कराए गए सर्वे के आंकड़े इस ओर साफ इशारा करते हैं।

रैपिड सर्वे में शामिल हुए 9 राज्यों के लोग

यह सर्वे में उत्तर प्रदेश, हरियाणा, बिहार, दिल्ली, असम ,राजस्थान, केरला महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल के लोगों के साथ किया गया। जिसमें किशोर-किशोरियों, युवाओं, कम्युनिटी डेवलपर, शिक्षकों, फ्रंटलाइन वर्कर (आशा-आंगनबाड़ी आदि) और पंचायत के सदस्य शामिल रहे।

रैपिड सर्वे में कुल 318 लोग शामिल हुए जिसमें 70 फीसदी औरतें और 30 फीसदी पुरूष शामिल थे। रैपिड सर्वे में 42.5 फीसदी उत्तर प्रदेश बिहार से 19.5 फीसदी,हरियाणा से 19.2 फीसदी,दिल्ली से 11 फीसदी, असम से 1.9 फीसदी,राजस्थान से 0.6 फीसदी, केरला,महाराष्ट्र और पश्चिम बंगाल से 0.3 फीसदी लोगों ने हिस्सा लिया। इसमें से ग्रामीण इलाकों से 72 फीसदी और 28 फीसदी शहरी इलाकों से थे।

इस रैपिड सर्वे के परिणाम पर ब्रेकथ्रू की सीईओ सोहिनी भट्टाचार्य कहती हैं कि कोविड और लॉकडाउन में महिलाओं और लड़कियों के खिलाफ हिंसा में बढ़ोत्तरी हुई हैं। वहीं उनके ऊपर काम का बोझ भी बहुत बढ़ गया है। घरेलू खर्चो को उठाने की जिन्मेदारी भी उन पर आ गई है। लड़कियों की पढ़ाई छूटी है तो कम उम्र में शादी का दबाव भी बढ़ा है, समानता वाला समाज बनाने के लिए अब महिलाओं और लड़कियों के लिए और अधिक प्रयास करने की जरूरत है।

पुरूषों का छूटा रोजगार तो महिलाओं पर बढ़ी हिंसा

सर्वे में 70 फीसदी पुरुषों और 72 महिलाओं ने स्वीकार किया कि कोविड की वजह से हुए लॉकडाउन ने रोजगार पर बुरा असर डाला है। रोजगार छिनने की वजह से पुरूष जहां आक्रमक हो गए हैं। वहीं उन्होंने जरा-जरा सी बात पर महिलाओं के साथ हिंसा शुरू कर दी है। वहीं दोनों में से कुल 42 फीसदी ने कहा कि उन्होंने अपने आस-पास देखा है और खुद अनुभव किया है कि कोविड/लॉकडाउन की वजह से हिंसा बढ़ी है।

ऑनलाइन क्लासेज से नहीं हो पा रही पढ़ाई

10 फीसदी उत्तरदाताओं ने कहा कि वह ऑनलाइन क्लासेज के लिए बच्चों के पास जरूरी जानकारी नहीं वहीं कई के पास मोबाइल, इंटरनेट आदि की सुविधा न होने की वजह से इसे एस्सेज नहीं कर पाते। वहीं 10 फीसदी ने कहा कि ऑनलाइन क्लासेज उतनी प्रभावी नहीं है जितना क्लासरूम में होती है। वहीं सर्वे में 10 फीसदी ने कहा कि इस महामारी की वजह से उनके आसपास लड़कियों की शादी कम उम्र में हो गई।