बरसात में जलजमाव की समस्या से जूझता है वरुणा पार का इलाका

कई इलाके ले लेते हैं टापू का शक्ल

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ङ्कन्क्त्रन्हृन्स्ढ्ढ : मॉनसून की आहट के बाद बादलों ने खुद में समेटी बूंदों को धरती पर उतारना शुरू कर दिया। अभी तो हल्की-फुल्की फुहारें हैं जल्द ही झमाझम बरसात भी आएगी। यह मौसम शहर में रहने वालों को सबको राहत देगा लेकिन कई इलाकों के लिए आफत बनेगा। खासतौर पर वरुणा उस पार के बाशिदों को। पूरी बरसात में जलजमाव की समस्या से जूझना पड़ता है। दिनचर्या प्रभावित होती है तो समस्याओं का ढेर लग जाता है। भले ही किसी को मॉनसून राहत देता तो लेकिन इन्हें बहुत डराता है। परेशानियों से जूझने के लिए पहले से तैयारी करनी पड़ती है।

खत्म कर दिया खुद इतंजाम

पिछले कुछ सालों में वरुणा पार इलाके का जबरदस्त विकास हुआ है। पहले जहां पुरानी बस्तियां थी वहां मल्टी स्टोरी बिल्डिंग्स खड़ी हो गयी हैं। खाली जमीन तो बमुश्किल नजर आती है। तेज रफ्तार डेवलपमेंट की वजह से तमाम पोखरियां, तालाब, कुण्ड का अस्तित्व खत्म हो गया। पहले बारिश के दौरान जमीन पर गिरने वाला ज्यादातर पानी इनमें समा जाता था। वरुणा नदी भी बड़ी मात्रा में बरसाती पानी को खुद समा लेती थी। इससे बस्तियों में जलजमाव नहीं होता था। अब बारिश के पानी कहीं जा नहीं पाता है तो बस्तियों को डुबाता है। वरुणा नदी तो मौजूद है लेकिन यहां तक पानी पहुंचने का रास्ते बंद हो चुके हैं।

खोद डाला पूरा इलाका

पिछले तीन सालों से वरुणा पार के इलाके में जबरदस्त खोदाई हुई है। बमुश्किल कोई ऐसा मोहल्ला या कॉलोनी होगी जहां की सड़क-गलियां साबूत बची हों। सीवर लाइन बिछाने के लिए कहीं चार फुट तो कहीं चालिस फुट की खोदाई की गयी। इसके साथ ही इलेक्ट्रिक वायर अंडरग्राउंड करने, पाइप लाइन बिछाने का काम भी समय-समय पर होता रहा है। कई किलोमीटर तक सीवर लाइन तो बिछा दी गयी है लेकिन इसके लिए अभी तक एसटीपी तैयार नहीं हो सका है। इसके वजह से घरों का सीवर इनसे नहीं जुड़ सका है। खोदाई और पाइप लाइन की वजह से जलजमाव की समस्या बढ़ जीता है। साथ ही बरसात के वक्त कीचड़ और बेशुमार गंदगी होती है।

बारिश के नाम से ही डर लगता है। बारिश अपने साथ मुसीबत लेकर आती है। जलजमाव की समस्या से साथ ही गंदगी का सामना करना पड़ता है।

अभिषेक पाण्डेय, सारनाथ

बरसात के मौसम वरुणा पार के कुछ बस्तियां टापू की शक्ल ले लेती हैं। उनके चारो तरफ जलजमाव रहता है। लोगों के इनके बीच रहने को मजबूर होना पड़ता है।

सतीश पाण्डेय, नई बस्ती

जलजमाव की समस्या बढ़ती जा रही है। बेतहासा डेवलपमेंट इसकी बड़ी वजह है। जलजमाव की समस्या से निजात दिलाने वाले पोखरे, तालाब खत्म हो गए हैं।

राकेश, पाण्डेयपुर

जलजमाव के इलाके

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