-दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने राजनीति में अपराधीकरण विषय पर आयोजित किया वेबिनार

-समाज के विभिन्न वर्गो के लोगों ने रखे अपने विचार

अपराध करना, अनाप-शनाप तरीके से पैसा कमाना और फिर राजनीति की सीढ़ी चढ़कर माननीय बनना। यह ट्रेंड तेजी से पैर पसार रहा है। जिसका खामियाजा यह है कि संसद, विधानसभा, जिला पंचायत से लेकर ग्राम पंचायत तक अपराधियों का कब्जा है। अपराध व राजनीति का यह कॉकटेल साफ और स्वच्छ छवि के राजनेताओं और जनता पर भारी पड़ रहा है। राजनीति से अपराध और अपराधी किस तरह अलग हों इसी मुद्दे पर दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने सोमवार को शहर के राजनीतिक दिग्गजों से लेकर प्रोफेसर, अधिवक्ता आम जनों से वेबिनार पर विमर्श किया।

अपराधी दल नहीं सरकार का होता है

पूर्व सांसद डॉ। राजेश मिश्रा ने कहा कि अपराधी किसी दल का नहीं बल्कि सरकार का होता है। जो पार्टी सत्ता में होती है उसमें वह शामिल हो जाता है। अगर राजनीति से अपराधीकरण को खत्म करना है तो सबसे पहले दागदार छवि वालों को टिकट देना बंद करना होगा। जब तक सभी पार्टियां इन्हें टिकट देती रहेंगी तब तक ये राजनीति में बने रहेंगे। अगर अपराधियों को राजनीति से दूर करना है तो चुनाव आयोग, कोर्ट, सरकार और जनता को मिलकर निर्णय लेना होगा।

लोककल्याण से दूर राजनीति

महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ समाजशास्त्र डिपार्टमेंट की प्रो। रेखा गौतम ने कहा कि किसी जमाने में राजनीति में वही लोग आते थे जिनको लोककल्याण के लिए कुछ करना होता था। पर अब ऐसा नहीं है। आज समाज में जुर्म और अपराध करने वाले ज्यादातर लोग राजनीति में आ रहे हैं। उनका उद्देश्य देश, प्रदेश, समाज व लोक से कोई लेना-देना नहीं है। इनको राजनीति से दूर करना है तो कड़े नियम बनाना होगा। इसके लिए सभी को मिलकर काम करना होगा।

अपनी जाति का गुण्डा गांधी नजर आता है

बीजेपी के प्रदेश प्रवक्ता अशोक पांडेय ने कहा कि आज गुण्डा ही एमएलए व एमपी हैं। इसके पीछे समाज का बहुत बड़ा रोल है। पहले की अपेक्षा आज समाज में बहुत बदलाव आया है। अपनी जाति का गुण्डा लोगों को गांधी नजर आता है। अगर इनको माननीय बनने से रोकना है तो इनका महिमामंडन बंद करना होगा। इसमें जनता को भी आगे आना होगा। उनको अपनी जाति, धर्म और रसूख वाले को वोट देने से बचना होगा। अगर जरूरी हो तो इसके लिए कानून में बदलाव भी किया जाना चाहिए। ताकि इनको रोका जा सका। राजनीतिक मुकदमें को भी अलग से डिफाइन करना होगा।

साल दर साल बढ़ रही संख्या

बीएचयू लॉ डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ। केशरी शर्मा ने कहा कि राजनीति में अपराधियों की संख्या लगातार बढ़ रही है। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट में 14 फरवरी 2020 में एक मुकदमा भी दाखिल किया गया है। जिसमें अपराधियों की राजनीति में बढ़ती संख्या को ही लिस्ट किया गया है। अगर देखें तो 2014 में जहां 20 अपराधी संसद में पहुंचे थे तो सन् 2019 में यह संख्या बढ़कर 43 हो गयी। इससे ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि राजनीति में अपराधियों का कितना दखल है।

क्षेत्रीय पार्टियों के रास्ते आए अपराधी

सेंट्रल बार व बनारस बार के पूर्व उपाध्यक्ष शशांक शेखर त्रिपाठी ने कहा कि राजनीति में अपराधियों का पदार्पण क्षेत्रीय पार्टियों के माध्यम से हुआ। इनके उदय के पहले अपराधी राजनीति से दूर रहते थे। उनका इससे कोई लेना देना नहीं रहता था। लेकिन क्षेत्रीय पार्टियों ने अपना वर्चस्व बढ़ाने के लिए गुण्डों को टिकट देकर विधानसभा व संसद में भेजना स्टार्ट कर दिया। इसके बाद तो यह परंपरा बन गयी। अब तो बड़ी पार्टियां भी पीछे नहीं हैं। यहां तक कि जेल में रहने वाले लोगों को भी बकायदा टिकट देकर माननीय बनाया जा रहा है। जो समाज के लिए घातक है। इसपर सभी मिलकर विचार करना होगा।