वाराणसी (ब्यूरो)इतना खर्च होने के बाद यह ऐतिहासिक भवन सिर्फ शोपीस बनकर रह गया है। दो-चार महीने पर सिर्फ नगर निगम कार्यकारिणी की बैठक होती है, जिसे मिनी सदन की कार्यवाही भी कहते हैं। मेंटीनेंस नहीं होने के कारण भवन एक बार फिर जर्जर अवस्था की ओर रुख कर गयाहै।

भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ी योजना
तत्कालीन मेयर रामगोपाल मोहले ने टाउनहाल के जीर्णोद्धार का शुभारम्भ 16 सितम्बर 2016 में किया था। इसके बाद धरोहर स्थल को संवारने की मुहिम शुरू हुई तो लगा कि एक बार फिर लाइबे्ररी का लाभ छात्रों को मिलेगा। बच्चों के खेलने के लिए झूले और अन्य संसाधन भी लगाए जाएंगे, लेकिन नगर निगम के जिम्मेदार अफसरों और ठेकेदारों की मिलीभगत से पूरी योजना भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। खास यह कि उस वक्त शहरी विकास मंत्रालय के संयुक्त सचिव प्रवीण प्रकाश ने काम की गुणवत्ता पर सवाल उठाए थे। सड़कों की जांच के सैंपल भी भिजवाए, लेकिन धांधली के आगे निरीक्षण-परीक्षण की कवायद भी कुछ नहीं बदल सकी। टाउनहाल, हेरिटेज वाक सभी जगह अफसरों की मिलीभगत से ठेकेदारों ने लूट-खसोट किया।

सदन में टपकने लगी छत
हृदय के तहत 2.58 करोड़ रुपये से टाउनहाल को सजाने-संवारने का काम हुआ, लेकिन वर्तमान में टाउनहाल सभागार की छत टपक रही है। बीते 24 सितंबर को नगर निगम सदन की बैठक में छत टपकने लगी तो पार्षदों ने जांच की मांग की। इस पर मेयर ने कहा था कि कार्य हुए तीन साल हो गए, इसलिए मरम्मत की जरूरत हुई जो किया जाएगा।

टूटने लगा है शीश
टाउनहाल भवन में नक्काशीदार विंडो भी है। हृदय योजना के तहत इसकी डिजाइन से कोई छेड़छाड़ नहीं की गयी थी। नयी लकड़ी के साथ शीशा भी बदला गया था, लेकिन देखरेख की अभाव में विंडो के कई शीशे टूट चुके हैं। पानी निकासी के लिए लगी पाइप भी उखड़ गयी है। इसके अलावा अंदर की टाइल्स और बाहर लगे पत्थर उखड़ गए हैं।


हृदय योजना के तहत काम हुए थे, लेकिन इसमें मेेंटीनेंस के लिए कोई राशि नहीं है। नगर निगम से राशि उपलब्ध कराकर टाउनहाल भवन का मेंटीनेंस करने का प्रयास किया जाएगा।
-अरविंद श्रीवास्तव, अधिशासी अभियंता, नगर निगम