-वृषभ राशि में चार ग्रहों से बनेगा चतुग्रही योग

-महिलाएं सौभाग्य के लिए वट वृक्ष की 108 बार कच्चा सूत लपेटे करती हैं परिक्रमा

हिंदू धर्म में वट सावित्री व्रत सुहागिनों के लिए बेहद खास माना जाता है। अपने पति की लंबी उम्र की कामना करने के लिए पिछले एक साल से वट सावित्री व्रत का इंतजार कर रही महिलाओं का इंतजार पूरा हो गया है। इस पूजा को लेकर बाजारों में भी रौनक दिखने लगी है। पूजा सामग्री की दुकानों पर महिलाओं ने खरीदारी शुरू कर दी है। हिंदू पंचांग के अनुसार इस साल वट सावित्री की पूजा गुरुवार को पड़ रही है। मान्यता है कि वट सावित्री व्रत करने से सुहागन महिलाओं को अखंड सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। शास्त्री मीना तिवारी के मुताबिक इस बार खास बात यह है कि वट सावित्री व्रत के दिन वृषभ राशि में सूर्य, चंद्रमा, बुध और राहु विराजमान रहेंगे। ज्योतिष शास्त्र में शुक्र को सौभाग्य व वैवाहिक जीवन का कारक माना जाता है। इस दिन वृषभ राशि में चतुर्ग्रही योग बनना बेहद खास माना जा रहा है। चार ग्रहों के एक राशि में होने पर चर्तुग्रही योग बनता है। मान्यता है कि इस योग से वैवाहिक जीवन में मधुरता आती है और कष्टों से मुक्ति मिलती है।

वट सावित्री व्रत पूजा विधि

वट सावित्री व्रत की पूजा के लिए एक बांस की टोकरी में सात तरह के अनाज रखे जाते हैं जिसे कपड़े के दो टुकड़ों से ढक दिया जाता है। एक दूसरी बांस की टोकरी में देवी सावित्री की प्रतिमा रखी जाती है। वट वृक्ष पर महिलायें जल चढ़ा कर कुमकुम, अक्षत चढ़ाती हैं, फिर सूत के धागे से वट वृक्ष को बांधकर उसके सात चक्कर लगाए जाते हैं और चने गुड़ का प्रसाद बांटा जाता है। इसके बाद महिलाएं कथा सुनती हैं।

वट सावित्री व्रत पूजन सामग्री

बांस की लकड़ी से बने बेना (पंखा), अक्षत, हल्दी, अगरबत्ती या धूपबत्ती, लाल-पीले रंग का कलावा, सोलह श्रृंगार, तांबे के लोटे में पानी, पूजा के लिए सिंदूर और लाल रंग का वस्त्र पूजा में बिछाने के लिए, पांच प्रकार के फल, बरगद पेड़ और पकवान आदि। इन सब सामग्री का मूल्य बहुत ही नॉमिनल आता है। इसमें ज्यादातर सामग्री घरों में उपलब्ध भी रहती है।

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त

-वट सावित्री व्रत 10 जून, दिन गुरुवार को रखा जाएगा। अमावस्या तिथि 9 जून को दोपहर 01:18 बजे से शुरू होगी।

-अमावस्या तिथि 10 जून को शाम 03:15 बजे समाप्त होगी।

-व्रत पारण का पारण 11 जून को किया जाएगा।