- सारनाथ में बन रहे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में हो रही देरी

- इंटेकवेल बना आधा, पांच बार बढ़ी समयसीमा

VARANASI

ट्रांसवरुणा एरिया में लोगों को पेयजल मुहैया कराने के लिए सारनाथ में बन रहा वाटर ट्रीटमेंट प्लांट (डब्ल्यूटीपी) का निर्माण करीब पांच साल में 40 फीसदी ही हो सका है। निर्धारित समय 31 दिसम्बर तक इसके पूरा होने में संशय है। वहीं चंद्रावती के पास गंगा किनारे बन रहे इंटेकवेल (पानी इकट्ठा करने का कुआं) भी अब तक 55 फीसदी ही बन सका है। यह स्थिति तब है, जबकि प्रोजेक्ट पूरा करने की समयसीमा चार बार बढ़ाई जा चुकी है। विभागीय अफसरों का कहना है कि जमीन न मिलने और कुछ अन्य तकनीकी कारणों से प्रोजेक्ट पूरा करने में देर हुई है।

टैंकों से होगी आपूर्ति

वरुणापार इलाके में यूपी जलनिगम (पेयजल इकाई) को 26 ओवरहेड टैंक बनाने थे, लेकिन अब तक 23 टैंक ही बनकर तैयार हो पाए हैं। तीन टंकियां फिलहाल निर्माणाधीन हैं। डब्ल्यूटीपी में गंगा का वाटर ट्रीट कर इन टंकियों में भरा जाना है। फिर मोहल्लों में पानी की सप्लाई होनी है। इसके लिए पाइपलाइन बिछाने का काम पूरा हो गया है, लेकिन प्लांट के लिए जमीन लेने में देरी की वजह से कई वर्षो तक निर्माण कार्य अटका रहा।

पाइपलाइन पर नहीं शुरू हुआ काम

इंटेकवेल से डब्ल्यूटीपी तक करीब 22 किलोमीटर एरिया में आने वाले किसानों ने अपनी जमीनें नहीं दी। किसानों का कहना है कि जलनिगम उन्हें उचित दर से मुआवजा नहीं दे रहा है तो वे जमीन क्यों दें? ऐसे में अब तक पाइपलाइन बिछाने का काम अटका हुआ है। जमीनों के अधिग्रहण के लिए जलनिगम के अफसरों ने डीएम से गुहार लगाई है।

हाईलाइटर

- ट्रांसवरुणा एरिया में पेयजल समस्या दूर करने के लिए बन रहा डब्ल्यूटीपी

- प्लांट के लिए जमीन न मिलने से आई दिक्कत

- जनवरी में प्लांट की जमीन का मसला हल होने पर काम हुआ तेज

- पाइपलाइन बिछाने के लिए 108 किसानों ने नहीं दी जमीन

ऐसे बढ़ती रही डेट

- पहली बार 31 मार्च 2014

- दूसरी बार 31 दिसम्बर 2015

- तीसरी बार 31 मार्च 2017

- चौथी बार जून 2018 तक

एक नजर

- 268 करोड़ प्लांट की कुल लागत

- 33 करोड़ से पाइपलाइन का कार्य

- करीब 10 करोड़ से बनेगा इंटेकवेल

- 23 हेक्टेयर में बन रहा प्लांट

- 2013 में शुरू हुआ था निर्माण

वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निर्माण तेजी से चल रहा है। बीच में कुछ दिक्कतें आई, जिसे दूर कर लिया गया। पाइप बिछाने के लिए जमीन अधिग्रहण के संबंध में उच्चाधिकारियों को बताया गया है।

आरपी पांडेय, जीएम, जलनिगम (पेयजल इकाई)