वाराणसी (ब्यूरो)आए दिन जिम में हो रही मौत ने काशी के लोगों को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि क्या सचमुच में जिम जाना उनके लिए खतरनाक साबित हो सकता हैएक के बाद एक मौतों ने शहर को झकझोर कर रख दिया हैआखिर बार-बार जिम में वर्कआउट के दौरान ही हार्ट अटैक की घटनाएं क्यों हो रही हैपहले तो इस तरह की घटनाएं सुनने में नहीं आती थीदरअसल, हाल के वर्षों में जिस तरह से जिम की बाढ़ आयी है, वाकई हैरान करने वाली हैआज हर गली-मुहल्ले में जिम दिखाई दे जाएंगेबताया जाता है कि इनमें अधिकतर के रजिस्ट्रेशन नहीं हैंजिम में वर्कआउट के लिए आने वाले लोगों ने बताया कि जिम में सही व्यवस्थाएं नहीं हैंसाथ ही कम उम्र के बच्चे भी जिम करने के लिए आते हैं.

सिक्स पैक का सच

वाराणसी में वर्कआउट करने आने वाले लोगों ने बताया कि सभी जिम में एक दुकान खुली हुई है, जिसमें स्टेरायड से लेकर तमाम तरह के प्रोटीन व अन्य सप्लीमेंट मिल जायेंगेइनकी कीमत इतनी होती है कि सामान्य व्यक्ति खरीद नहीं सकताइन सप्लीमेंट्स को देने के लिए कंपनियों के कुछ कायदे कानून हैं, लेकिन जिम संचालक कमाई के चक्कर में खुद के कानून पर चलते हैंकम उम्र के बच्चों की भी ये सप्लीमेंट दिये जा रहे हैंजबकि इस पर पूरी तरह से रोक हैयही नहीं, सुबह 6 बजे से खुलने वाले जिम में रात 12 बजे तक वर्कआउट करते लोग मिल जायेंगेलेकिन, मजाल है कि कभी क्षेत्रीय क्रीड़ा अधिकारी या फिर स्थानीय पुलिस इनकी खबर ले सकेंजबकि बकायदा इनका सत्यापन किया जाना चाहिएकितने लोग जिम में वर्क आउट के लिए आते हैं और इनके लिए क्या व्यवस्था की गई है जब कोई घटना होती है तब प्रशासन कुछ दिनों तक तेजी दिखाता है पर कुछ दिन बाद जैसे ही मामला ठंडा पड़ता है, वो भी इसे ठंडे बस्ते में डाल देती है.

जिम ने ले ली अखाड़े की जगह

इस संबंध में फिजियोथेरेपिस्ट डॉसौरभ सिंह ने बताया कि आजकल अखाड़ों की जगह जिम ने ले ली हैअखाड़ों में गुरु शिष्य परंपरा होती है, जबकि जिम में ट्रेनर होते हैैं, जो मात्र खानापूर्ति करते हैंअखाड़ों में शारीरिक के साथ मानसिक नियमों का भी पालन करना होता हैदूध, घी, छाछ, हरी सब्जियां, फल, मेवे को खाने व पीने को प्राथमिकता दी जाती है, ताकि अधिक व्यायाम करने से भी शरीर को कोई नुकसान न हो, बल्कि शरीर बलशाली निखर जायेलेकिन, चकाचौंध भरी दुनिया में लोगों ने जिम को अपना लिया हैजहां, सिर्फ मशल्स में उभार लाना ही मकसद होता है

बॉडी बनाने का चल रहा खेल

बॉडी बनाने के लिए अनेक तरह के विटामिंस व प्रोटीन पाउडर दिये जाते हैंजिसके बदले जिम संचालक मोटी कमाई करते हैंखैर, इतना ही रहता तो भी ठीक था, इन जिमों में स्टेरॉयड का इस्तेमाल करने की भी सलाह ट्रेनर द्वारा दी जाती है, जिसके तमाम साइड इफेक्ट सामने आ चुके हैंदरअसल, अधिकतर जिम में ट्रेंड ट्रेनर नहीं होतेकम पैसे में नौसिखिये रख लिए जाते हैं जबकि इसके लिए जिम आने वालों से जमकर वसूली की जाती हैनियम के अनुसार जिम आने वालों का पूरा हेल्थ चेकअप करवाना आवश्यक होता हैमगर, ऐसा कहीं नहीं होताएक्सरसाइज के लिए बीएमआई, ब्लड प्रेशर, पल्स रेट और हार्ट रेट की जांच बहुत जरूरी हैडायबिटीज से पीडि़त लोगों को हाई इंटेसिटी वर्कआउट नहीं करना चाहिएवहीं, वर्कआउट से पहले वार्मअप जरूरी होता है.

वर्कआउट से पहले रखें ध्यान

जिम ट्रेनर शिवम वर्मा का कहना है वर्कआउट से पहले कम से कम 10 मिनट वार्मअप जरूर करना चाहिएइससे शरीर हैवी वर्कआउट सहन करने की स्थिति में आ जाता हैवर्कआउट के पश्चात कम से कम 30 मिनट तक नहाने से बचना चाहिए और थोड़ी देर बाद आराम से पानी पीना चाहिएवर्कआउट के बाद प्रोटीन शेक, दूध, फल का इस्तेमाल किया जा सकता है.

जिमिंग के दौरान क्या करें

वर्कआउट से 1-2 घंटे पहले हल्का नाश्ता करेंसाथ ही पानी का सही मात्रा में सेवन करना चाहिएपनीर, दही, मूंगफली, अंडे आदि का सेवन के अलावा बीच-बीच में पानी पीते रहना चाहिएवर्कआउट के 15 मिनट बाद प्रोटीन और फैट्स का सेवन अवश्य करें.

जिम करने के नुकसान

इससे मासपेशियों में कमजोरी, डिहाइड्रेशन, जोड़ों में दर्द, नींद में कमी, उल्टी, लंबाई का रुकना फिटनेस में कमी के साथ ही अत्यधिक व्यायाम करने से सुस्ती महसूस होना, दर्द होना, खडे होने और बैठने में परेशानी, हार्टबीट का बढऩा जैसी समस्या उत्पन्न हो सकती है.

जिम में कम उम्र के बच्चे भी एक्सरसाइज के लिए आते हैं जोकि उनकी सेहत के लिए खतरनाक हैसाथ ही उन्हें प्रोटीन पाउडर भी बेचे जाते हैं.

सौरभ वर्मा

खुद की कमाई के लिए जिम ओनर लोगों की सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहे हैंकई बार उनको मशीन और हेल्थ चेकअप के लिए कोई काम नहीं किया गया.

रजत चौहान