फ्लैग--नेपाल में भूकंप का फायदा उठाकर नई भर्ती से यहां उत्पात मचाने की तैयारी में माओवादी

पेज-1 इंट्रो---- नेपाल में भूकंप से बने भयंकर आपदा के माहौल का लाभ उठाकर माओवादी उत्तराखंड को उस 'रेड कॉरीडोर' का पार्ट बनाने की तैयारी में है, जो अब तक यूपी के पूर्वी हिस्से से शुरू होकर कर्नाटक तक पहुंचता है. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में मिले पर्चो के बाद चीफ मिनिस्टर हरीश रावत के सेंट्रल होममिनिस्टर राजनाथ सिंह से मिलकर चिंता जता चुके हैं. इसके बाद अब नेपाल के आपदा प्रभावित इलाकों से लगे तीनों राज्यों उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में हाई अलर्ट की स्थिति बन गई है. पेश है इस पर आई-नेक्स्ट की एक रिपोर्ट--

पहले से 'माओवादी नजर' में रहा है उत्तराखंड

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- नेपाल में पिछले कुछ साल में धीमा पड़ चुका माओवादी अभियान भारत में अब भी है लगातार जारी

- नेपाल में भूकंप त्रासदी के बाद बने भूखमरी के हालातों का फायदा भारत में गतिविधि बढ़ाने के लिए उठाने की कोशिश में हैं माओवादी

- अल्मोड़ा में मिले माओवादी विचारधारा के पर्चो के बाद स्थिति पर नजर रखने के लिए पुलिस के साथ खुफिया तंत्र सक्रिय

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DEHRADUN: नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के चंद दिन बाद उत्तराखंड के सीमांत जनपदों में मिले माओवादी विचारधारा के पर्चो ने प्रशासनिक अमले के साथ पुलिस के होश उड़ा दिए हैं. मामला इतना गंभीर है कि खुद चीफ मिनिस्टर हरीश रावत को सेंट्रल होममिनिस्टर राजनाथ सिंह से मिलकर मामले की जानकारी देनी पड़ी है. इसके बाद सक्रिय हुई खुफिया एजेंसियों का संकेत है कि नेपाल में बने हालात से ध्यान भटकाने के लिए माओवादी ताकतें इन इलाकों से जुड़े तीनों भारतीय राज्यों में लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काकर उत्पात मचा सकती हैं. साथ ही इसे उत्तराखंड को माओवादियों के महत्वाकांक्षी 'रेड कॉरीडोर' में शामिल करने के प्रयास का भी हिस्सा बताया जा रहा है.

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रेड कॉरीडोर' से बचा है उत्तराखंड

खुफिया एजेंसियों की तरफ से पूरे देश में माओवादी गतिविधियों के लिए चार तरह के इलाके चिन्हित किए गए हैं. इन इलाकों में यूपी के पूर्वी इलाके से शुरू होकर कनार्टक तक पहुंच रहे हैं. नेपाल से शुरू होकर अरब सागर तक पहुंचने वाले इस पूरे ट्रैक को माओवादियों की तरफ से 'रेड कॉरीडोर' का नाम दिया जाता है. इसमें क्0 राज्यों के लगभग 77 जिले उग्र माओवादी गतिविधियों से प्रभावित हैं. माओवादियों का प्रयास इस रेड कॉरीडोर को यूपी से लगी नेपाल सीमा से शुरू करने के बजाय उत्तराखंड से लगी नेपाल सीमा से शुरू करने का रहा है, लेकिन अभी तक ऐसा करने में माओवादी असफल रहे हैं. उत्तराखंड के नेपाल सीमा से लगे तीन जिलों को इसी कारण 'माओवाद इफेक्टेड एरिया' के रूप में चिन्हित किया जाता रहा है.

पर्चो में खुद को बता रहे 'मसीहा'

दरअसल, भारत-नेपाल सीमा पर स्थिति उत्तराखंड के तीन जिले नेपाल से लगते हैं, जिसमें पिथौरागढ़, चंपावत व ऊधमसिंहनगर शामिल है. इसी तरह उत्तर प्रदेश और बिहार के भी तमाम इलाके नेपाल से लगते हैं. उत्तराखंड के तीनों ही जनपदों में अक्सर माओवादी गतिविधियां देखने को मिलती रही हैं, लेकिन इस बार एक कदम आगे बढ़ते हुए अल्मोड़ा में माओवादी विचारधारा के पर्चे बांटे गए हैं. पुलिस के हाथ लगे इन पर्चो में माओवादी ताकतों ने सरकार विरोधी बातें लिखकर लोगों को भड़काते हुए माओवादियों का साथ देने की अपील की है. साथ ही माओवादियों को ही लोगों का असल मसीहा बताया है.

अल्मोड़ा में बरामद हुए पर्चे

नेपाल में आए विनाशकारी भूकंप के चार दिन बाद ख्9 अप्रैल को अल्मोड़ा कलेक्ट्रेट, बाड़ीछीमा, सोमेश्वर व धारनोला में मिले इन पर्चो से प्रशासन अमले के साथ पुलिस के हाथ-पांव फूले हुए हैं. बताया जा रहा है कि इसके पीछे माओवादियों का कोई बड़ा एजेंडा छिपा हुआ है. वे केवल लोगों को भड़काना ही नहीं चाहते बल्कि अपने साथ मिलाकर माओवादी क्रांति से जोड़कर तख्ता पलट करना चाहते हैं.

सीएम भी जता चुके हैं चिंता

उत्तराखंड इस लिहाज से बेहद संवेदनशील है. यही कारण है कि माओवादियों की गतिविधियों के बारे में सीएम हरीश रावत पूर्व में ही केन्द्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह से वार्ता कर बता चुके हैं कि पलायन के बाद खाली हुए सीमांत एरियाज के गांवों का इस्तेमाल माओवादी अपने बेसकैंप के रूप में कर सकते हैं. जिस पर केन्द्र की तरफ से संयुक्त रूप से कार्रवाई का भरोसा दिलाया गया है.

मोदी पर भी साधा है निशाना

यह पहला मौका नहीं है जब उत्तराखंड में इस तरह की माओवादी एक्टिवटी हुई हो, इससे पूर्व लोकसभा चुनाव के दौरान भी कुमाऊं क्षेत्र में माओवादी विचारधारा के पर्चे वितरित किए गए थे. जिसमें लोगों से अपील की गई थी कि वे चुनाव का वहिष्कार करे. अब मिले पर्चो में उस वक्त की गई अपील की भी बात लिखी गई है. साथ ही लोगों से कहा गया है कि सभी पार्टियां आम जन का इस्तेमाल मात्र वोट बैंक की तरह कर रही हैं. मोदी ने च्च्छे दिन लाने के वायदे किए थे, लेकिन ऐसा हुआ नहीं. सिर्फ माओवाद से ही च्च्छे दिन आ सकते हैं.

खुफिया एजेंसियों ने जताया खतरा

खुफिया एजेंसियों ने इन पर्चो के बाद सक्रियता दिखाते हुए इसे गंभीरता से लेने की रिपोर्ट सरकार को दी है. संभावना जताई गई है कि उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार से जुड़े नेपाल के इलाकों में भूकंप के कारण फैल गई भूखमरी का फायदा उठाकर वहां के युवाओं का उपयोग माओवादी इन तीनों भारतीय राज्यों में उत्पात मचाने के लिए नई भर्ती में कर सकते हैं.

क्या है माओवादी विचारधारा--

- चीन के नेता माओत्से तुंग की गरीब और समाज के दबे-कुचले लोगों की सहायता के लिए सशस्त्र क्रांति करने को माओवादी अपनी विचारधारा मानते हैं.

- इस विचारधारा वाले लोगों का मानना है कि सशस्त्र क्रांति का इस्तेमाल कर तख्तापलट करते हुए सत्ता पर काबिज होकर ही समाज सुधार किया जा सकता है.

- नेपाल में माओवादी बहुत प्रभावी रहे हैं और वहां राजशाही खत्म कर वर्तमान व्यवस्था लागू कराने में सहायक रहे हैं. लेकिन यह विचारधारा इससे आगे परिवर्तन लाने में विफल हो चुकी है.

ये लिखा हुआ है पर्चो में

- माओवादी लोगों से अपील करते हैं कि अधिक से अधिक संख्या में माओवादी पार्टी की सदस्यता ग्रहण करें

- साथ ही सरकार का तख्तापलट करने के लिए चल रही माओवादियों की सशस्त्र क्रांति में भी भागीदार बनें

- भारत में सभी राजनीतिक पार्टियां आम लोगों को सिर्फ वोट बैंक की इस्तेमाल कर रही हैं

- मोदी सरकार नच् अच्छे दिन लाने का वादा किया था, लेकिन कहां आए हैच् अच्छे दिन

ऐसे बढ़ाई गई है सरकारी सक्रियता:::

- नेपाल सीमा पर उत्तराखंड, बिहार और उत्तर प्रदेश से जुड़े इलाकों में चौकसी बढ़ा दी गई है.

- माओवादी गतिविधियों पर रोक लगाने के लिए सीमा पर की जा रही है सघन चेकिंग.

- उत्तराखंड से लगी सीमा पर तैनात आईटीबीपी और एसएसबी को किया गया है सतर्क

- नेपाल से किसी भी तरह की तस्करी रोकने के लिए किया जा रहा है प्रयास

- नेपाल और भारत के बीच हो रहा खुफिया सूचनाओं का आदान-प्रदान

- आईबी और रॉ सरीखी सेंट्रल खुफिया एजेंसी को किया गया सक्रिय, राज्य की पुलिस भी हुई सतर्क

'अल्मोड़ा में माओवादी विचारधारा के कुछ पर्चे मिले हैं. जिनकी जांच-पड़ताल की जा रही है. उन तक पहुंचने के प्रयास जारी हैं, जो इसके लिए जिम्मेदार हैं. स्थिति पर इंटेलीजेंस भी नजर बनाए हुए है.'

अशोक कुमार, एडीजी इंटेलीजेंस, उत्तराखंड