चमोली (एएनआई)। एसडीआरएफ सदस्यों ने सोमवार को यहां कहा कि राहत एवं बचाव दल मंदाकिनी नदी का जलस्तर कम होने का इंतजार कर रहे हैं। टनल में अब भी कुछ लोग फंसे हुए हैं। उनके लिए राहत एवं बचाव कार्य के लिए नदी का जलस्तर कम होना जरूरी है।

नंदा देवी ग्लेशियर टूट कर धंसने की वजह से चमोली के रेनी गांव स्थित धौलीगंगा हाइड्रो प्रोजेक्ट पूरी तरह तबाह हो गया। फोटो : एपी

नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूटने से तबाही

इससे पहले भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) के पब्लिक रिलेशन ऑफिसर ने कहा कि तपोवन में टनल नंबर-1 में तकरीबन 30 मजदूर फंसे हुए हैं। टनल नंबर-2 से 12 कामगारों को बचाया गया है। यह आपदा चमोली के जोशीमठ स्थिर नंदा देवी ग्लेशियर का एक हिस्सा टूट कर धंसने की वजह से आई है।

चमोली में तपोवन के नजदीक टनल में राहत एवं बचाव कार्य तेजी से चल रहा है। जोशीमठ के नजदीक ग्लेशियर टूटने से धौली गंगा नदी में भयानक बाढ़ से तबाही मच गई थी। फोटो : पीटीआई

बचाव कार्य में डाॅग स्क्वाड के दस्ते की तैनाती

आईटीबीपी, इंडियन आर्मी, एसडीआरएफ और एनडीआरएफ के सदस्य प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव कार्य में लगे हुए हैं। तपोवन बांध के नजदीक राहत एवं बचाव कार्य के तहत लोगों को खोजने के लिए डाॅग स्क्वाड का एक दस्ता भी तैनात किया गया है।

तपोवन डैम में बचाव कार्य करते हुए आईटीबीपी के जवान। फोटो : एएनआई

मृतकों के परिजनों को 4 लाख रुपये बतौर मुआवजा

भारतीय वायुसेना की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि तपोवन हाइड्रो इलेक्ट्रिक पावर डैम जो रिषि गंगा परियोजना के नाम से भी जाना जाता है, चमोली में ग्लेशियर टूट कर धंसने की वजह से पूरी तरह तबाह हो चुका है। प्रभावित इलाकों में राहत एवं बचाव के लिए भारतीय वायुसेना का एडवांस लाइट हेलीकाॅप्टर (एएलएच) तैनात किया गया है। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने ग्लेशियर टूटने से मलबे की चपेट में आकर अपनी जान गंवाने वालों के परिजनों के लिए 4 लाख रुपये बतौर मुआवजे की घोषणा की है।

ग्लेशियर टूटने की वजह पता लगाएंगे विशेषज्ञ

उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह राव ने एक्सपर्ट से ग्लेशियर टूट कर खिसकने की वजहों का पता लगाने के लिए कहा है। इस समय सरकारों का पूरा ध्यान राहत एवं बचाव कार्य अभियान चला कर लोगों की जिंदगियां बचाने पर है।

रिषि गंगा प्रोजेक्ट पूरी तरह से तबाह

रविवार को उत्तराखंड के चमोली जिले में तपोवन-रेनी इलाके में ग्लेशियर टूट कर खिसकने की वजह से धौलीगंगा और अलकनंदा नदियों में अचानक भयंकर बाढ़ आ गई, जिससे बड़ी संख्या में तबाही मच गई। इलाके में रिषि गंगा पावर प्रोजेक्ट और आसपास के घर पूरी तरह से तबाह हो गए हैं।

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