- राज्य गठन के बाद पहली बार उत्तराखंड को मिला कैम्पा की धनराशि

>DEHRADUN: नई दिल्ली स्थित इंदिरा पर्यावरण भवन में थर्सडे को पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से राज्यभर के वन मंत्रियों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें उत्तराखंड की ओर से वन मंत्री डा। हरक सिंह रावत ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता केंद्रीय वन व जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने की। वन मंत्री डा। हरक सिंह ने बताया कि पीएम की आशा के अनुरूप राज्य में प्लास्टिक (सिंगल यूज प्लास्टिक) को पहले काफी हद तक बैन कर दिया गया है। जबकि वन क्षेत्र में सुधारव वन क्षेत्र को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है।

लैंड ट्रांसफर का अधिकार 5 हेक्टेयर तक मिले

वन मंत्री ने कहा कि स्टेट का 29 परसेंट भू-भाग में ही कृषि और जनसंख्या रहती है, जबकि बाकी पूरा क्षेत्र वन है। कहा, वन को संरक्षण किये जाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है। उन्होंने बताया कि केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कैंपा फंड के तहत 2675 करोड़ रुपए का बजट स्वीकृत करते हुये उत्तराखंड को सौंपा। दरअसल, कैंपा फंड का प्रयोग राज्यों के वन क्षेत्र में इजाफा करना, वन क्षेत्र में जल संरक्षण और वन क्षेत्र की खराब भूमि को उपजाऊ बनाने में किया जाता है। डा। रावत ने बताया कि सरकार की ओर से केंद्र से आग्रह किया गया है कि उत्तराखण्ड पहाड़ी व वन राज्य होने के कारण राज्य सरकार के पास एक हेक्टेयर वन भूमि हस्तांतरण का अधिकार है। जिसको बढ़ाकर 5 हेक्टेयर कर दिया जाये, जिससे राज्य के विकास कार्य सुचारू रूप से हो सके।

ओवर मैच्योर पेड़ काटने का आग्रह

डा। रावत ने केंद्र से हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एफआरआई की तकनीकी रिपोर्ट के आधार पर 1000 मीटर की ऊंचाई वाले क्षेत्रों में अपनी उम्र पार कर चुके परिपक्व वृक्षों (ओवर मैच्योर) के पातन के लिए भी आग्रह किया। जिनके स्थान पर नए पेड़ लगाए जा सकेंगे। इसके अतिरिक्त केंद्र से सिंगल यूज प्लास्टिक वस्तुओं के बनाने पर पूरी तरह से रोक लगाने से ही इस प्रकार की वस्तुओं का प्रयोग बन्द किया जा सकता है। इस मौके पर केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन राज्य मंत्री बाबुल सुप्रियो व उत्तराखंड के अपर प्रमुख वन संरक्षक डा। एसडी सिंह एवं उत्तराखण्ड कैम्पा के सीईओ डा। समीर सिन्हा भी उपस्थित थे।