कहा, बायोडायवर्सिटी कंजर्वेशन राज्य सरकार की प्राथमिकता

राज्य में बाघों की संख्या 361 से बढ़कर 442 हुई

देहरादून, सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा है कि उत्तराखंड बायोडायवर्सिटी, एनवायरनमेंट व वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन के लिए संकल्पबद्ध है। ऑल इंडिया टाइगर एस्टीमेशन 2018 की रिपोर्ट के मुताबिक वर्ष 2018 में राज्य में बाघों की संख्या बढ़कर 442 हो गई है। वर्ष 2010 में उत्तराखंड में 227 बाघ थे, जो वर्ष 2014 में 340 और 2017 में 361 हो गये थे। सीएम ने कहा, वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग डिक्लेरेशन में वर्ष 2022 तक बाघों की संख्या दोगुनी करने का लक्ष्य रखा गया था। लेकिन भारत ने यह लक्ष्य चार साल पहले ही हासिल कर लिया। इसमें उत्तराखंड का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा है।

बाघ हैं तो वन हैं

सीएम ने कहा कि वन व वन्य जीवन का संरक्षण उत्तराखंड की संस्कृति में है। बाघ फूड चैन में सबसे ऊपर हैं। बाघ पारिस्थितिक तंत्र की सबसे महत्वपूर्ण कड़ी है। कहा भी गया है कि वन हैं तो बाघ हैं और बाघ हैं तो वन हैं। सीएम ने कहा कि हिमालयी राज्यों के सम्मेलन में सभी प्रतिभागी राज्यों के प्रतिनिधियों ने विकास व पर्यावरण संरक्षण में संतुलन रखते हुए सस्टेनेबल डेवलपमेंट का संकल्प लिया है।

कंजर्वेशन में उत्तराखंड आगे

दूसरी तरफ वन एवं पर्यावरण मंत्री डा। हरक सिंह रावत ने मंडे को दिल्ली स्थित पीएम आवास पर पीएम नरेंद्र मोदी कीबैठक में प्रतिभाग किया। डा। रावत ने बताया कि वर्ष 2018 की गणना के अनुसार उत्तराखंड बाघों के कंजर्वेशन में पहले पायदान पर है। पूरे भारत के कार्बेट टाइगर रिजर्व में बाघों की संख्या व राज्य के क्षेत्रफल के अनुपात के हिसाब से उत्तराखंड बाघाें के संरक्षण के लिए प्रथम स्थान पर है।

कंडी मोटर मार्ग की मांग

वन मंत्री ने कहा कि बाघों की गणना राज्य के वरिष्ठ अधिकारियों की देख-रेख में किया गया। वे खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे थे। वन मंत्री ने इस दौरान गढ़वाल व कुमाऊं को जोड़ने वाली कंडी मोटर मार्ग के निर्माण को लेकर पीएम के सामने अपनी डिमांड रखी। पीएम से इस पर हस्तक्षेप करने की मांग की। कहा, इस मार्ग के बनने से गढ़वाल व कुमाऊं की दूरी 85 किमी कम हो जायेगी।